सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :- आर्य समाज के प्रांगण में रविवारीय साप्ताहिक सत्संग में पुरोहित मिथिलेश शास्त्री ने यज्ञ सम्पन्न करवाया तथा यज्ञमान के आसन पर इंद्रजीत आर्य उपस्थित रहे। पुरोहित मिथिलेश शास्त्री ने अथर्ववेद मंत्र का उपदेश देते हुए कहा कि गृघ्रयातुं जहि हे मानव तु गिद्ध की चाल यानि आदत छोड़ दे। गिद्ध पक्षी लालची होता है, पाप का मूल कारण लोभ लालच है। जिस प्रकार गिद्ध मरते-सिसकते प्राणियों को नोच कर मांस खाता है उसके दर्द की परवाह नहीं करता, उसी प्रकार गिद्ध वृति मनुष्य निर्बल, दु:खी व लाचार की मजबूरी का फायदा उठाता है। जो व्यक्ति लाचारी से मरता है, उसको गिद्ध दृष्टि वाला और मारता है। जो व्यक्ति मामूली आर्थिक लाभ के लिए लालच में आकर अनर्थ करता है, वह गिद्ध मनोवृति व राक्षस प्रवृति का होता है। इसलिए गिद्ध की वृति का त्याग करना चाहिए। इसलिए भारतीय शासकों-नेताओं को भी गिद्ध की चाल छोड़कर जनकल्याण व जनसेवा के कार्य करके यशरूपी धन अर्जित करने का प्रयास करना चाहिए। इस अवसर पर नरेश चंद, इंद्रजीत, विजय कुमार, कृष्ण गोपाल, अनुराग, आमोद, किताब सिंह, बलवीर, बलवीर शास्त्री, अर्जुन दास, धर्मपाल आर्य, धर्मपाल गुप्ता आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
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