सत्य खबर, बापौली
किसानों द्वारा जहां गेंहू के अवशेष जलाने से प्रदूषण फैल रहा है, वहीं भूमि की उर्वरकता शक्ति भी कम हो रही है। प्रशासन द्वारा कठोर आदेश दिए जाने के बाद भी किसान जानबूझकर जल्दबाजी में गेंहू के अवशेष जलाने के गलत कदम उठा रहे हैं। अभी भी खेतों में अधिकांश फसल की कटाई का कार्य शेष है ऐसे में आगजनी की घटना से दूसरे किसानों का नुकसान भी हो सकता है पर अब इसे अधिकारियों की लापवाही कहें या किसानों का अलहड़पन कि खेतों में गेंहू के अवशेष जलाने का सिलसिला जारी है। जिससे किसी भी समय खडी व कटी हुई फसल भी आग की चपेट में आ सकती है। खेतों में किसान गेंहू के अवशेष जलाकर दूसरे किसानों के लिए परेशानी खड़ी कर रहे हैं।हालांकि प्रशासन की ओर से गेंहू के अवशेष जलाने पर जुर्माना करने के आदेश भी जारी किए हैं पर उसके बावजूद भी कुछ किसान नासमझी कर प्रकृति की अनमोल धरोहर से खिलवाड तो कर ही रहे हैं साथ ही अपने पड़ोसियों के लिए भी खतरा बने हुए। वहीं इस मामलें में प्रशासनिक अधिकारी कोई कार्रवाही करने को तैयार नहीं हैं।
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वहीं इस बारे में जब कृषि विज्ञान केन्द्र ऊझा के प्रभारी डा.राजबीर गर्ग से बात की गई तो उन्होंने बताया की गेंहू के अवशेष जलाने से जमीन में आधा फु ट तक सुक्ष्म जीवाणु मर जाते हैं, जिससे जमीन की ऊर्वरा शक्ति कम हो जाती हैं। जिससे फ सल कम होती है। डा.गर्ग ने कहा कि गेंहू के अवशेषों को जलाने की बजाए काट कर पानी भर दें ताकि इसके सडने से ऊर्वरा शक्ति को बढाया जा सके। वहीं इस बारे में जब उपायुक्त धमेन्द्र सिंह से बात की गई तो उनका कहना था कि फिलहाल उनका ज्यादा ध्यान जानजेवा बिमारी कोरोना पर केन्द्रीत है उनका पहला प्रयास यही है कि अपने पानीपत जिला को कोरोना से बचाया जाए वैसे भी अभी तक उनके संज्ञान में खेतों में गेंहू के अवशेष जलाए जाने का कोई मामला नहीं आया है अगर ऐसा हो रहा है तो वह जांच करायेंगे तथा कानूनी कार्रवाही करायेंगे।
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