सत्यखबर, फरीदाबाद
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कमिश्नर के ऑफिस ने हरियाणा के खोरी गांव से करीब एक लाख लोगों को न हटाने की अपील की है।दिल्ली-फरीदाबाद बॉर्डर पर बसे खोरी गांव से लोगों को हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक हटाया जा रहा है। यहां की करीब 172 एकड़ जमीन को संरक्षित वन क्षेत्र घोषित किया गया है। इसमें से करीब 80 एकड़ इलाके में लोगों के घर बने हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 7 जून को हरियाणा सरकार को इस इलाके को खाली कराने का आदेश दिया है।खोरी गांव के माइनिंग के चलते संरक्षित वन पहले ही खत्म हो चुके हैं।
सरकार ने 1992 में इसे संरक्षित वन के तौर पर नोटिफाई किया, लेकिन तब भी वहां कोई जंगल मौजूद नहीं था। पैनल ने कहा कि लोगों को अपने घरों से हटाकर भारत सरकार 2022 तक सबको घर मुहैया कराने के अपने ही फैसले के उलट काम कर रही है।दिल्ली और फरीदाबाद के बॉर्डर पर मौजूद इस जमीन पर माइनिंग खत्म होने के बाद भू-माफियाओं के चंगुल में आकर पिछले 40 साल में नगर निगम, वन विभाग और पुलिस की मिलीभगत से अब बड़ी बस्ती बनकर तैयार हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे ही तोड़ने के आदेश दिए हैं।इस जमीन में से कितने हिस्से का किस तरह इस्तेमाल हो रहा है। दरअसल, सरकारी रिकॉर्ड में करीब 58 एकड़ जमीन रिहाइशी है, लेकिन हकीकत में ये आंकड़ा ज्यादा है। खोरी में करीब 80 एकड़ जमीन पर मकान बन चुके हैं। लोग पिछले 30-40 साल से यहां रह रहे हैं। एक लाख लोगों में से करीब 20,000 बच्चे हैं। वहीं, 5000 के करीब गर्भवती और बच्चों को दूध पिलाने वाली महिलाएं हैं। मानसून और कोरोना के दोहरे खतरे के बीच उन्हें बेघर नहीं किया जाना चाहिए।
🇮🇳 UN experts call on #India to halt evictions of some 100,000 people that began this week in midst of monsoon rains. India must urgently review its plans for razing #KhoriGaon & consider regularizing the settlement so as not to leave anyone homeless.
👉 https://t.co/RvoBRrCiMZ pic.twitter.com/btHeAeE10Z— UN Special Procedures (@UN_SPExperts) July 16, 2021
फरीदाबाद के खोरी गांव से लोगों को हटाने के लिए हरियाणा सरकार ने पुनर्वास नीति बनाई है। सरकारी ऐलान के मुताबिक, खोरी के लोगों को डबुआ कॉलोनी और बापू नगर में खाली पड़े 2545 फ्लैट दिए जाएंगे। लोगों को कुछ शर्तें माननी होंगी और पैसा भी चुकाना होगा।खोरी मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी के पदाधिकारी मोहम्मद सलीम, निर्मल गोराना, फुलवा देवी, मोहसिन, गवाडा प्रसाद, इकरार ने कहा कि 5 जुलाई को डीसी यशपाल मलिक एवं डीसीपी जयवीर सिंह राठी, डीसीपी मुकेश कुमार के साथ खोरी गांव संघर्ष समिति के लोगों के साथ बैठक हुई थी।
इसमें डीसी और डीसीपी ने बताया कि नगर निगम एवं डीसी फरीदाबाद एवं डीसीपी फरीदाबाद की एक ज्वाइंट मीटिंग होना है। उसके बाद अंतिम फैसला लिया जाएगा। सरकार की ओर से सर्वे एवं पुनर्वास के विषय पर 6 जुलाई को अंतिम फैसला आने वाला था। पर उससे पहले नगर निगम और पुलिस प्रशासन अपने साथ में बुल्डोजर लेकर खोरी पहुंच गया। इससे पता चलता है कि सरकार खोरी वासियों के साथ धोखा कर रही है।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय इससे पहले भी जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 खत्म होने पर भारत पर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगाए थे। इसके बाद, किसान आंदोलन के बारे में UNHRC बिना सच्चाई जाने बयान जारी किया था। भारत ने इनको लेकर विरोध भी दर्ज कराया था।
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