कैबिनेट बैठक के अगले दिन आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अहम बैठक हुई. आज की बैठक को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी गई. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैड बैंक जिसे असेट री-कंस्ट्रक्शन कंपनी कहते हैं उसका ऐलान किया. इस बैंक के लिए 30 हजार 600 करोड़ की गारंटी सरकार देगी. 1 फरवरी 2021 को बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने इसकी घोषणा की थी. बैड बैंक को करीब 2 लाख करोड़ का NPA ट्रांसफर किया जाएगा. पहले फेज में इसके अंतर्गत 90 हजार करोड़ का एनपीए ट्रांसफर किया जाएगा.
वित्त मंत्री ने कहा कि बैड बैंक के अलावा डेट मैनेजमेंट कंपनी का भी गठन किया गया है. पब्लिक सेक्टर बैंकों के पास बैड बैंक में 51 फीसदी और डेट मैनेजमेंट कंपनी में 49 फीसदी हिस्सेदारी होगी. बैंकों की वित्तीय हालत को लेकर वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले छह सालों में 5 लाख करोड़ से ज्यादा रिकवरी की गई. मार्च 2018 से अब तक 3 लाख करोड़ से ज्यादा रिकवरी की गई. 1 लाख करोड़ तो केवल राइट-ऑफ कर दिए गए लोन से रिकवरी हुई है. पिछले छह सालों में बैंकों के असेट में काफी सुधार आया है.बैड बैंक या असेट री-कंस्ट्रक्शन कंपनी बैंकों के बैड लोन को खरीद लेता है और फिर वह उसकी उगाही अपने तरीके से करती है. आमतौर पर जब कोई बैड बैंक एक बैड लोन को खरीदता है तो वह केवल 15 फीसदी कैश के रूप में भुगतान करता है. बाकी का 85 फीसदी सिक्यॉरिटी रिसिप्ट के रूप में होता है. इसी सिक्यॉरिटी रिसिप्ट के रूप में 30600 करोड़ की सरकारी गारंटी का ऐलान किया गया है.
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से बैंकों की वित्तीय हालत में काफी सुधार हुआ है. 2018 में देश में 21 पब्लिक सेक्टर बैंक थे और इनमें केवल 2 बैंक फायदे में थे. 2021 में केवल दो बैंकों ने नुकसान बताया है. इससे साफ होता है कि बैंकों के बैलेंसशीट में काफी सुधार आया है.
बैंकों को लगातार री-कैपिटलाइज किया गया है
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि पिछले पांच सालों में बैंकों को हर साल हजारों करोड़ से रीकैपिटलाइज किया गया है. वित्त वर्ष 2017-18 में 90 हजार करोड़, वित्त वर्ष 2018-19 में 1.06 लाख करोड़, 2019-20 में 70 हजार करोड़, 2020-21 में 20 हजार करोड़ और चालू वित्त वर्ष के लिए 20 हजार करोड़ का ऐलान किया गया है.
इसके अलावा इंडिया डेट रिजॉल्यूशन कंपनी लिमिटेड के स्थापना का भी फैसला किया गया है. इस कंपनी में सरकारी बैंकों की हिस्सेदारी 49 फीसदी होगी, बाकी हिस्सेदारी प्राइवेट कंपनियों की होगी.
क्या होता है बैड बैंक
Bad Bank कोई बैंक नहीं है, बल्कि यह एक असेट री-कंस्ट्रक्शन कंपनी (एआरसी) होती है. बैंकों के डूबे कर्ज को इस कंपनी के पास ट्रांसफर कर दिया जाएगा. इससे बैंक आसानी से ज्यादा लोगों को लोन से दे सकेंगे और इससे देश की आर्थिक ग्रोथ रफ्तार पकड़ेगी. आसान शब्दों में कहें तो जब कोई व्यक्ति या संस्था किसी बैंक से पैसा यानी लोन लेकर उसे वापस नहीं करता है, तो उस लोन खाते को बंद कर दिया जाता. इसके बाद उसकी नियमों के तहत रिकवरी की जाती है. ज्यादातर मामलों में यह रिकवरी हो ही नहीं पाती या होती भी है तो न के बराबर. नतीजतन बैंकों का पैसा डूब जाता है और बैंक घाटे में चला जाता है.
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