सत्य खबर राजस्थान
भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया तथा विधानसभा में उप नेता राजेन्द्र राठौड़ आलाकमान के निशाने पर है। विधानसभा से चार विधायको के गायब होने को भाजपा के शीर्ष नेताओं ने गंम्भीरता से लिया है, इसलिए दोनों नेताओं का विकल्प तेजी से तलाश करने की प्रक्रिया प्रारंभ होगई है। इसके अलावा इनसे मिलने या संपर्क करने वालों का विवरण भी खुफिया तौर पर आलाकमान के पास पहुंच रहा है।
अशोक गहलोत सरकार को सचिन पायलट के अलावा भाजपा के कुछ नेता गिराने के लिए सक्रिय थे। जब पायलट ने दावा किया कि वे गहलोत की सरकार गिराने के लिए ढाई दर्जन से ज्यादा विधायकों का बंदोबस्त कर सकते है। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, सतीश पूनिया और राजेंद्र राठौड़ भी इस मुहिम में तेजी से सक्रिय होगये।
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आलाकमान की ओर से प्रदेश की राजनीतिक हालातो का जायजा लेने के लिए वरिष्ठ नेता ओमप्रकाश माथुर को जयपुर भेजा गया। तीन चार रोज रुकने के बाद वे बैरंग दिल्ली लौट गए। शीर्ष नेताओं को प्रस्तुत रिपोर्ट में उन्होंने सतीश पूनिया और राजेन्द्र राठौड़ को फ्यूज बल्ब बताते हुए इनकी कार्यशैली से अवगत कराया। कमोबेश यही फीडबैक वसुंधरा ने भी दिया था। रिपोर्ट में कहा गया कि सतीश पूनिया को शीघ्र प्रदेशाध्यक्ष पद से नही हटाया गया तो पार्टी को भारी क्षति उठानी पड़ सकती है। आलाकमान को इनके अक्खड़ व्यवहार से भी अवगत कराया गया।
ज्ञात हुआ है कि दोनो नेताओं की हर गतिविधि से पार्टी आलाकमान वाकिफ है। जर्मन में निर्मित जेमोजिन के जरिये किसी भी व्यक्ति की बातचीत और संदेशो को ट्रैक किया जा सकता है। जेमोजिन 400 मीटर के दायरे में काम करता है। अधिकांश प्राइवेट डिटेक्टिव कंपनिया इसी तरह के उपकरणों को उपयोग में ले रही है। अब किसी के फोन को टेप करने की आवश्यकता नही है। इसके अलावा लोकोटेक के जरिये किसी की भी करंट एग्जेक्ट लोकेशनन का पता लगाया जा सकता है।
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कोरिया की कंपनी द्वारा निर्मित एक डिवाइस के माध्यम से भी लोकेशन की सही जानकारी प्राप्त की जा सकती है। किसी के वाहन में एक छोटी सी चिप के जरिये भी इस कार्य को बखूबी अंजाम दिया जा सकता है। पीआई और आईएमईआई के जरिये लोकेशन का पता लगाना बहुत पुराना तरीका होगया है। एक एसएमएस भेजकर भी किसी की लोकेशन मालूम की जा सकती है।
एसओजी ने पता लगाया था कि सतीश पूनिया और राजेंद्र राठौड़ हरियाणा सचिन पायलट से मिलने गए थे। दोनो ने भले ही खंडन किया हो, लेकिन मुख्यमंत्री ने इसी आधार पर दावा किया था। लोकेशन के अलावा इनके पास फोटोग्राफ भी बताए। एसओजी तथा एसीबी के पस कई प्रकार के आधुनिक उपकरण है जिनके जरिये किसी व्यक्ति की जासूसी की जा सकती है।
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सचिन पायलट या उनके साथी विधायक भले ही बीजेपी नेताओं से संपर्क की बात का खंडन करते रहे हो। लेकिंन सरकारी एजेंसियों के पास दोनो के बीच हुई मुलाकात और बातचीत के पुख्ता सबूत है। अभी पायलट ने आलाकमान के सामने अपना पक्ष रखकर सहानुभूति हासिल की है। जिस दिन गहलोत अपने तुरुप के इक्के को खोलेंगे, कई लोगों की असलियत सामने आ जायेगी। ऐसे में योद्धाओ की किरकिरी होना स्वाभाविक है।
प्रदेश में मचे घमासान के दौरान कई लोगों ने सरकार को गिराने और बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। गहलोत ने आपने बचाव के लिए कई लाइफ बेल्ट का इस्तेमाल किया। पायलट गुट के लौट आने के बाद भी गहलोत ने इन पर ना तो उस वक्त भरोसा किया और न ही आज भरोसा है। मेल-मिलाप की रस्म अदायगी की गई है।
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अगर गहलोत को पायलट गुट पर भरोसा होता तो वे अपने समर्थक विधायकों को फेयरमोंट होटल ले जाने के बजाय सबको अपने अपने घर जाने देते। लेकिन गहलोत विश्वास मत हासिल करने से पहले कोई जोखिम नही उठाना चाहते थे। जैसे ही उन्होंने विश्वास मत हासिल किया, सभी विधायकों आज़ाद कर दिया। पायलट गुट पर भरोसा नही होने के कारण गहलोत ने स्टेपनी के तौर पर भाजपा के चार विधायकों को तो तोड़ लिया ही, इसके अलावा भाजपा के करीब छह विधायक रिजर्व में और थे जो क्रॉस वोटिंग करते।
भाजपा आलाकमान ने चार विधायको की गुमशुदगी को ना केवल वहुत गंभीरता से लिया है बल्कि प्रदेश नेताओ की बहुत बड़ी असफलता माना है। चार विधायको को गायब करने का अर्थ है, चील के घोंसलें से मांस गायब करना। जो पार्टी अब तक दूसरो के घोसलों से मांस चुराती रही है, आज उसी के घोंसले से मांस निकालना बेहद शर्मनाक व मिर्ची लगने के समान है।
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