आज मनाया जा रहा है कारगिल दिवस
शहीद हुए जवानों को किया जा रहा है याद
हरियाणा के कुल 77 जवानों ने दी थी अपनी कुर्बानी
महेंद्रगढ़ जिले से 9 जवान हुए थे शहीद
युद्ध के 21 साल बाद भी परिजनों के नहीं सूखे आंसू
शासन और प्रशासन द्वारा किए वादों की जोह रहे हैं बाट
सत्य खबर महेंद्रगढ़ (उमादत कौशिक)
26 जुलाई भारत के इतिहास का वो दिन है, जिस दिन साल 1999 में भारत ने करीब 2 महीने तक चले कारगिल युद्ध में विजय हासिल की थी…जिसके चलते कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों के सम्मान के लिए हर साल ये दिवस मनाया जाता है…बता दें कि हरियाणा वीरों की धरा है….यहां के प्रत्येक गांव से कोई ना कोई वीर जवान सेना में कार्यरत है… 1999 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में हरियाणा के कुल 77 जवान अपनी मिट्टी की रक्षा करते हुए मां भारती पर कुर्बान हो गए थे….
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लेकिन उनकी शहादत के बाद स्थानीय प्रशासन उनके परिजनों से किए गए वादों को पूरा नहीं कर सका….प्रशासन के इस अन्याय से शहीदों के परिजन बेहद आहत हैं…जिला महेंद्रगढ़ जो कि सैनिक बहुल्य क्षेत्र के नाम से जाना जाता है, भी वीरता दिखाते हुए कुर्बानी देने में पीछे नहीं रहा…इस लड़ाई में जिले के 9 जवानों ने देश के नाम शहादत दे अपने नाम इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित करवाये…जिनमें हवलदार शिव कुमार, ककराला शहीद सिपाही हनुमान सिंह कोटिया और शहीद परमिंद्र सिंह उन्हाणी प्रमुख हैं….
बहराल कारगिल युद्ध को 21 साल बीत गए हैं…लेकिन आज भी शहीद परमिंद्र के माता पिता की आखों से आंसू नहीं सूखे हैं…और सूखे भी तो कैसे..क्योंकि परमिंद्र इन बुढे मां बाप का इकलौता सहारा था…जिसने इस देश को अहमियत दे अपनी कुर्बानी दे दी…लेकिन बेटे के जाने के बाद सरकार और प्रशासन ने इनको अनदेखा कर दिया…जिसके चलते आज भी ये सरकार के किए वादों से वंचित है…
वहीं शहीद शिव कुमार जिनका उपमंडल के गांव ककराला में 2 दिसंबर 1964 को हुआ था..जिन्होंने भी कारगिल युद्ध में वीरगति हासिल की थी…शहीद शिवकुमार के दो बच्चे एक लड़का और एक लड़की हैं… शिवकुमार जबलपुर से सेना में भर्ती हुए थे….आज उनके जज्बे को ककराला ही नहीं बल्कि पूरा देश उनके बलिदान को सलाम करता है।
इसके अलावा शहीद हनुमान सिंह का जन्म 26 मार्च 1978 को कनीना उपमंडल के गांव कोटिया में हुआ…. इनके पिताजी उदमी राम आर्मी से सेवानिवृत्त हैं, दो भाइयों में हनुमान सिंह छोटा था एक बहन है… शहीद हनुमान सिंह ने दसवीं कक्षा अपने गांव के पास के एक छोटे से गांव करीरा से पास थी….वहीं 1997 में सेना में भर्ती हो गए…25 जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध में देश के लिए वीरगति हासिल की
बहराल पाक्सितान के साथ हुए युद्ध को 21 साल बीत चुके हैं लेकिन आज भी शहीदों के परिवार सरकार और प्रशासन की तरफ से किए गए वादों के पूरा होने की बाट जोह रहे हैं…लेकिन मानों शासन और प्रशासन ने इन जवानों के शहीद होने के बाद इन परिवारों से मुख ही मोड़ लिया हो..क्योंकि अब शहीद के इन परिवारों की ना ही शआसन से औऱ ना ही प्रशासन से खैर खबर पूछने आता है,,कि वो किस हाल में जी रहे हैं….
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