सत्य खबर, दिल्ली
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था। जिसके बाद हार की जिम्मेदारी लेते हुए मौजूदा कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी ने पद से इस्तीफा दे दिया था। यही वो समय है जब कांग्रेस के युवा ब्रिगेड के कमजोर होने की शुरुआत हो गई थी। राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद उनके खेमे के नेताओं की फजीहतें शुरू हो गईं। अध्यक्षों को बदला गया और चुनावों की तरफ ध्यान केंद्रित किया गया और युवा ब्रिगेड की अनदेखी शुरू हो गई। कई युवा नेता पार्टी में खुद को असुरक्षित महसूस करने लगे। राहुल युवा चेहरों को कांग्रेस की पीढ़ी मानते थे लेकिन धीरे-धीरे दूरियां भी बढ़ती गईं।
राहुल गांधी जिन्हें कांग्रेस का भविष्य समझते थे वो अब पार्टी से खफा हैं। राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव तो हारा ही साथ ही साथ अपने करीबी मित्रो और भरोसेमंद साथियों का भरोसा गंवा दिया। जिसकी वजह से युवा ब्रिगेड ने पार्टी को अलविदा कहना शुरू कर दिया। ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रशाद, अशोक तंवर, प्रियंका चतुर्वेदी, खुशबू सुंदर, प्रद्योत माणिक्य वर्मा, सुष्मिता देव इत्यादि ने पार्टी छोड़ दी। जबकि कुछ तो पार्टी में साइडलाइन हैं। जिनमें सचिन पायलट, दीपेंद्र हुड्डा, मिलिंद देवड़ा और नवीन जिंदल शामिल हैं।
तभी तो उन्होंने कहा था कि जो लोग हकीकत और भाजपा का सामना नहीं कर सकते वो पार्टी छोड़ सकते हैं और निडर नेताओं को कांग्रेस में लाना चाहिए। यह पहला मौका था जब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने पार्टी के सोशल मीडिया विभाग के 3,500 कार्यकर्ताओं को जूम के माध्यम से संबोधित किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कांग्रेस के दिग्गज नेता ने नाम न छापने की शर्त पर एक प्रतिष्ठित अखबार को जानकारी दी कि हम भी कांग्रेस की मौजूद स्थिति को लेकर खुश नहीं है और उनका मानना है कि भविष्य में भी कोई सुधार नहीं होने वाला है। हालांकि पार्टी छोड़ने के बारे में विचार नहीं कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि जिंदगी के अहम साल उन्होंने पार्टी के साथ गुजारे हैं।
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