सत्यखबर राजस्थान
वसुंधरा राजे के दिल्ली दौरे और राजस्थान की राजनीति में सक्रियता से सियासी समीकरण नाटकीय अंदाज में बदलता नजर आ रहा है। जहां कांग्रेस में सरकार बचाने को लेकर हर संभव प्रयास कर रही है, वहीं वसुंधरा के सक्रिय होने के बाद बीजेपी खेमे में भी बहुत बड़ी हलचल देखने को मिल रही है।
पिछले 3 दिन से वसुंधरा के दिल्ली में डेरा डालने से सारे राजनीतिक पंडित और समीकरणों में नया भूचाल आ गया है। जिस माहौल में वसुंधरा राजे ने बीजेपी शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात की है, उससे राजनीतिक गलियारों में खासी चर्चा है कि वसुंधरा राजे का केंद्रीय नेतृत्व से न मुलाकात करने के कई सियासी मायने हो सकते हैं क्योंकि जिस माहौल में वसुंधरा राजे ने बीजेपी संगठन महामंत्री बीएल संतोष और बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की है, उसके दूरगामी परिणाम राजस्थान की राजनीति में देखे जा सकते हैं। इन दोनों की मुलाकात के बाद वसुंधरा ने जिस तरीके से शनिवार को राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) से भी मुलाकात की उससे लगता है कि वसुंधरा राजे कोई बड़ा निर्णय लेने के मूड में हैं।
पिछले कुछ समय से देखा जा रहा है कि जब-जब वसुंधरा राजे केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात करती हैं, उसके बाद कोई बड़ा फैसला होता हुआ नजर आया था। इसी संदर्भ में सूत्रों के अनुसार, इस बार भी मुलाकात के दौरान वसुंधरा राजे ने केंद्रीय नेतृत्व को साफ तौर से कह दिया है कि पार्टी को संगठित और मजबूत रखना है तो उनकी बातों को तवज्जो देनी पड़ेगी। वसुंधरा राजे ने केंद्रीय नेतृत्व को साफ तौर से अवगत करा दिया है कि जिस तरीके से उनको दरकिनार कर कई फैसले लिए जा रहे हैं, वे बिल्कुल पार्टी के हित में नहीं है।
सूत्रों की मानें तो वसुंधरा ने शीर्ष नेतृत्व को साफ अवगत करा दिया है कि उनको इग्नोर करने का बड़ा खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ सकता है। राजे ने अवगत कराया कि उनकी इमेज खराब करने को लेकर पार्टी के भीतर और सहयोगी दलों के द्वारा कोशिश की जा रही है, वह बिल्कुल सहन करने के काबिल नहीं है। लिहाजा उनको बड़ा फैसला लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। वसुंधरा ने आरएलपी से रिश्ते समाप्त करने की मांग की।
बीजेपी के विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि वसुंधरा राजे ने केंद्रीय नेतृत्व को साफ शब्दों में कह दिया है कि आरएलपी के हनुमान बेनीवाल के साथ पार्टी का एलायंस खत्म किया जाए अन्यथा पार्टी बड़ा नुकसान झेलने के लिए तैयार रहे। सूत्रों का यहां तक कहना है कि वसुंधरा राजे ने पार्टी नेतृत्व को यह भी इशारा कर दिया कि जिस तरह से हनुमान बेनीवाल ने उनकी छवि खराब करने के लिए उनके ऊपर कांग्रेस से सांठ-गांठ के आरोप लगाये थे, वो बिल्कुल ना काबिले बर्दाश्त है। इसलिए बीजेपी हनुमान बेनीवाल के साथ गठबंधन तुरंत प्रभाव से खत्म करे, नहीं तो वे पार्टी में नहीं रहेगी। इसके बाद सकते आई पार्टी गठबंधन को लेकर कोई बड़ा फैसला ले सकती है। सूत्रों का कहना है कि आने वाले एक-दो दिन में पार्टी की ओर से कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है, जिसमें खासतौर से यह फैसला शामिल है।
वसुंधरा को संसदीय बोर्ड में मिल सकती है जगह
वसुंधरा राजे के तेवर को देखते हुए उनको मनाने की कोशिश की जा सकती है. सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय नेतृत्व आरएलपी से गठबंधन समाप्त करने के अलावा उनको संसदीय बोर्ड में स्थान देकर उनका मान और सम्मान बरकरार रखने की कोशिश कर सकती है, जिस तरीके से वसुंधरा राजे के तेवर देखे जा रहे हैं, उससे लगता है कि बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व उनकी बातों से सहमत होकर आरएलपी से संबंध समाप्त कर उनको केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी दे सकता है।
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