सत्यखबर
उत्तराखंड से साइबर क्राइम का मामला सामने आया है जहां विदेशों में बैठे व्यापारियों (ठग) ने भारतीयों को 15 दिनों में पैसे दोगुने करने का लालच देकर एक मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से 250 करोड़ रुपये से ज्यादा की चपत लगाई है। इस मामले का बता जब चला जब तीन स्थानीय (राज्य के) पीड़ितों ने पुलिस में शिकायत कर ठगों के खिलाफ एसीएफ दर्ज करवाई। जिसके बाद पुलिस द्वारा कार्रवाई करने के दौरान ठगों के एक भारतीय साथी को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं एसटीएफ के अनुसार यह मामला 250 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का हो सकता है। आपको बता दें कि इस मामले में अभी विवेचना के बाद कुछ लोगों को गिरफ्तार किया जा सकता है।
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साइबर ठगी के इतिहास में एसटीएफ उत्तराखंड की यह सबसे बड़ी कार्रवाई है। इसका खुलासा करते हुए उत्तराखंड पुलिस के प्रवक्ता एडीजी अभिनव कुमार ने बताया कि रोहित कुमार निवासी श्यामपुर और राहुल कुमार गोयल निवासी कनखल हरिद्वार ने साइबर थाने को एक शिकायत की थी। शिकायत के अनुसार दोनों ने गूगल प्ले स्टोर से पावर बैंक नाम से एक एप्लीकेशन डाउनलोड की थी। निवेश संबंधी इस एप्लीकेशन में 15 दिनों में पैसा दोगुना करने का दावा किया गया था।इस लालच में आकर दोनों ने क्रमश: 91 हजार और 73 हजार रुपये गंवा दिए।
इन मामलों में साइबर थाने में दो मुकदमे दर्ज कर जांच शुरू की गई। जिन बैंकों खातों, ऑनलाइन वॉलेट में धनराशि ट्रांसफर हुई उनकी जानकारी ली गई। पता चला कि रोजर पे और पेयू वॉलेट के माध्यम से यह पैसा आईसीआईसीआई और पेटीएम बैंक के खातों में गया है। आगे जांच में आया कि पेटीएम बैंक का खाता प्रमुख संदिग्ध खाता है और इसका संचालन पवन कुमार पांडेय निवासी, सेक्टर 99, नोएडा कर रहा है। एसटीएफ एसएसपी अजय सिंह की अगुवाई में पवन कुमार पांडेय को मंगलवार को नोएडा से गिरफ्तार कर लिया गया। पवन कुमार के खिलाफ अनियमित जमा योजना प्रतिबंध अधिनियम के तहत भी मुकदमा दर्ज किया गया।
एसटीएफ के अनुसार शुरूआती जांच में पता चला कि यह पॉवर बैंक नाम की एप्लीकेशन फरवरी 2021 में शुरू की गई थी। यह एप 12 मई 2021 तक संचालन में रही। इसके बाद एकाएक क्रैश हो गई। इसके अब तक कुल 50 लाख लोगों ने डाउनलोड किया था। साइबर थाने ने वित्तीय लेनदेन का अध्ययन किया तो पता चला कि इसके माध्यम से 250 करोड़ रुपये से ज्यादा ठगे गए हैं। एसटीएफ के अनुसार यह धनराशि 500 करोड़ या इससे भी ज्यादा होने की आशंका है।
वहीं एसटीएफ की जांच में सामने आया है कि इस पूरी फर्जी योजना के तार विदेशों के व्यापारियों से से जुड़े हैं। पता चला कि वहां के कुछ व्यापारी भारतीय निवेशकों से दोस्ती कर अपने साथ कमीशन के नाम पर जोड़ते हैं। पॉवर बैंक नाम की यह एप्लीकेशन पहले ऑनलाइन लोन प्रदान करती थी। अब अपराध के तरीके में बदलाव कर ये लोग विश्वास जीतकर पैसा दोगुना करने का प्रलोभन देकर धनराशि निवेश कराते हैं। भारत के नागरिको के ही बैंक खाते और उनके मोबाईल नम्बर का प्रयोग किया जाता है।
बता दें कि शुरूआत में इस एप्लीकेशन के माध्यम से लोगों को उनकी धनराशि बढ़ाकर वापस भी की गई। इसके बाद सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचार प्रसार इसे और बढ़ाया गया। इसके बाद अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध पूरे देश में फैल गया। हर दिन करोड़ों रुपये की धनराशि एक खाते से दूसरे खाते और आगे विभिन्न खातों में ट्रांसफर की जाने लगी। ऐसा करने से पुलिस भी भ्रमित हो गई।
ठगी में प्रयोग किए गए खाते विभिन्न फर्जी कंपनियों के नाम से रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज में रजिस्टर्ड हैं। एसटीएफ के मुताबिक इसी तरह की 25 मोबाइल एप्लीकेशन की सूची हाथ आई है। यह सब एप्लीकेशन संदिग्ध कार्यों में लगी हुई हैं। इन सबके बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है।
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