सत्या खबर, दिल्ली
टोक्यो ओलंपिक 2020 के दूसरे दिन भारत की वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने देश को पहला मेडल दिला दिया है। इसके साथ उन्होंने ओलंपिक खेलों की भारोत्तोलन स्पर्धा में पदक के लिए भारत का 21 सालों के लंबे इंतजार को खत्म कर दिया है। सैखोम मीराबाई चानू ने महिलाओं की 49 किग्रा वर्ग में क्लीन एंड जर्क में सिल्वर मेडल अपने नाम किया है। चानू ने कुल 202 किलोग्राम का भार उठाकर भारत को यह मेडल दिलाया है। वहीं, चीन की हाऊ झिहू गोल्ड मेडल की हकदार बनी हैं। टोक्यो ओलंपिक में वेटलिफ्टिंग में भारत के लिए सिल्वर मेडल जीतने पर इंफाल में मीराबाई चानू के परिवार के सदस्यों ने खुशी जाहिर की है। मीराबाई चानू के रिश्तेदार ने कहा, “मैं बहुत खुश हूं। मेरी बहन को रजत पदक मिला है। उसे उसकी मेहनत का फल मिला है।” मीराबाई चानू के गांव में उसका परिवार साथ में बैठकर टीवी पर चानू का प्रदर्शन देख रहा था। उस वक्त सभी के आंखों में जोश नजर आ रहा था। इस जीत के साथ ही मीराबाई चानू ने ओलंपिक में इतिहास रच दिया है।
इस जीत के बात मीराबाई चानू ने कहा, “मैं बहुत खुश हूं कि मैंने मेडल जीता। पूरा देश मुझे देख रहा था और उनकी उम्मीदें थीं, मैं थोड़ा नर्वस थी लेकिन मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की ठान ली थी। मैंने इसके लिए कड़ी मेहनत की।”भारत के मणिपुर की मीराबाई ने वेटलिफ्टिंग में भारत को 21 साल बाद कोई मेडल दिलाया है। इससे पहले कर्णम मल्लेश्वरी ने सिडनी ओलंपिक 2000 में देश को वेटलिफ्टिंग में बॉन्ज दिलाया था।कहते हैं कि किसी भी जीत के पीछे कड़ी मेहनत छिपी होती है। मीराबाई ने भी इस मेडल को जीतने के लिए जी जान लगा दिया था। वह ऐसे स्टेज से ऊपर उठी हैं जहां से उठने में लोगों को लंबा वक्त लग जाता है।
यह भी पढ़े… बाइक- स्कूटी थर्ड-पार्टी बीमा क्लेम नहीं है आसान, जानिए कैसे दूर करें ये मुश्किल…
2016 में मीराबाई चानू को रियो ओलंपिक में बड़ी निराशा जनक स्थिति का सामना करना पड़ा था। उस दौरान वह अपना खेल पूरा नहीं कर पाई थी। जिसके कारण मीरा ओलंपिक में अपने वर्ग में दूसरी खिलाड़ी बन गई थी जिनके नाम के आगे “डिड नॉट फिनिश” लिखा गया था। जो भार मीरा हर रोज प्रैक्टिस में आसानी से उठा लेती थी, उस दिन ओलंपिक में जैसे उनके हाथ बर्फ की तरह जम गए थे।
उस वक्त भारत में रात होने के कारण इस नजारे को ज्यादा लोग नहीं देख पाए थे, लेकिन सुबह उठने पर यह खबर फैल गई और वह भारतीय प्रशंसकों की नजर में उनकी छवी खराब हो गई थी। हालात यह बन गए थे कि 2016 में वह डिप्रेशन में चली गई और उन्हें मनोवैज्ञानिक से अपना इलाज कराना पड़ा था।
इस असफलता का सामना करने के बाद मीराबाई ने खेल से दूरी बना ली, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अपनी शानदार वापसी कीमीराबाई 2018 में ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रमंडल खेलों में 48 किलोवर्ग के आरोत्तोलन में गोल्ड मेडल जीता था और अब टोक्यो ओलंपिक में सिल्वर मेंडल जीत कर उन्होंने वेटलिफ्टिंग में भारत के लिए नया इतिहास रच दिया है।8 अगस्त 1994 को जन्मी मीराबाई का बचपन मणिपुर के एक छोटे से गांव में बीता है। संसाधन के अभाव में भी वो कभी पीछे नहीं हटी और कड़ी मेहनत के बाद आज मीरा ने वेटलिफ्टिंग कर अपने बचपन का सपना पूरा कर दिखाया।
Copper scrap alloying Scrap copper processing technology Recycling yard management
Copper cable scrap recycling and export site, Metal waste transportation services, Copper scrap monitoring
Aluminum scrap supplier Aluminium scrap demand-supply analysis Metal reclaiming and utilization center