सत्यखबर, इन्द्री
इन्द्री में शहीद उधम सिहं समिति के आहवान पर आज शहीद-ए-आजम उधम सिहं का जन्म दिवस समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में सभी वर्ग, धर्म व सियासी दलों के नेताओं ने शहीद के चरणों में पुष्प अर्पित कर एकता की अनूठी मिसाल पेश की। शहीद उधम सिहं समिति ने आज फिर सभी सियासी दलों, सभी बिरादरी, संगठनों व धर्मो के लोगों को एक मंच पर लाकर इतिहास रचा। इस समारोह की अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष एम एस निर्मल ने की। समारोह में बड़ी संख्या में लोग शहीद को नमन् करने पहुंचे। इस अवसर पर शहीद उधन सिंह की जीवनी पर गीत की प्रस्तुति से उपस्थितजनों में जोश भर गया। समारोह हवन-यज्ञ और पूजन के साथ शुरू हुआ और शहीद की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने के बाद प्रसाद वितरण पर कार्यक्रम का समापन हुआ।
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शहीद उधम सिहं समिति के अध्यक्ष एम एस निर्मल ने कहा कि शहीद उधम सिहं जी का जीवन सघंर्ष से भर हुआ है जिस ने देश के लिए अपने प्रणों की आहूति देकर लोगों में देशप्रेम की प्ररेणा का संचार किया। शहीद उधम सिहं का जन्म 26 दिसम्बर 1899 को पंजाब के सुनाम कस्बे में साधारण किसान टहल सिहं के घर में हुआ। उधम सिहं के बचपन में मां का निधन हो गया। इसके बाद पिता और भाई का भी साया उनके सिर से उठ गया। अनाथ हुए शहीद उधम सिहं को अमृतसर के अनाथ आश्रम में रहकर अपनी पढ़ाई पूरी करनी पड़ी। जब उधम सिहं ने जवानी की तरफ कदम रखा तो 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में अंग्रेज हकूमत के गवर्नर माईकल ओयडवायर और जरनल डायर ने देश में आजादी की लड़ाई लडऩे वाले लोगों पर बैसाखी के पर्व के दौरान इकटठे हुए निर्दोष लोगों पर गोलियां चलवा खूनी होली खेली। इस दृष्य से उधम सिहं का खून खोल उठा तथा वहीं पर खून से सनी मिट्टी को उठकर इस घटना के दोषियों को सजा देने का निर्णय ले लिया। इसके लिए वह इग्ंलैण्ड गए और भरी जनसभा में ही दोनो हत्यारों को मौत के घाट उतारने का इंतजार करते रहे। आखिरकार वह दिन आ गया जिस की वह इंतजार में तडफ़ रहे थे। 13 मार्च 1940 को कि ग्ंसटन हाल में एक जनसभा हो रही जनसभा में उसमें ओयडवायर को हिन्दुस्तानियों की हत्या करने की सेखी पधारने मौत के घाट उतार कर भारतीयों के खून का बदला ले लिया। इस महान काम पर उनपर अंग्रेज हकूमत ने उनपर मुकदमा चलाया और 5 जून को उन्हे फांसी सुना दी गई। इसके 31 जुलाई 1940 को उन्हे शहीद कर दिया गया।
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