सत्यखबर सफीदों
शास्त्रों में गौमाता की पूजा व सेवा का विधान है। यह बात हरियाणा गौसेवा आयोग के चेयरमैन श्रवण कुमार गर्ग ने कही। वे नगर की स्वामी गौरक्षानंद गौशाला में आयोजित अपने अभिनंदन समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर गौशाला प्रबंधन समिति ने उनका फूलों की मालाओं व गुलदस्तों के साथ जोरदार अभिनंदन किया।
इस मौके पर गौसेवा आयोग के सदस्य कुलबीर खर्ब, स्वामी वजीरानंद, प्रधान पालाराम राठी, सख्चिव शैलेंद्र दीवान, शिवचरण दास गर्ग, रामेश्वर दास गुप्ता, गुलाब सिंह किरोड़ीवाल, मा. रणधीर सैनी, शिवचरण कंसल, श्रवण गोयल, कैलाश गुप्ता, तीर्थराज गर्ग, राकेश जैन, ईश्वर शर्मा, अमन जैन, सतीश शर्मा व अखिल गुप्ता विशेष रूप से मौजूद थे। अपने संबोधन में श्रवण कुमार गर्ग ने कहा कि गाय में 33 करोड़ देवी-देवता निवास करते हैं।
देवता का अर्थ है देने वाला। ठीक उसी प्रकार गाय हमेशा इस जगत के लोगों को हर समय कुछ ना कुछ देती ही रहती है और वह कभी किसी से कुछ भी नहीं लेती हैं। गाय का यूं तो पूरी दुनिया में ही काफी महत्व है लेकिन भारत के संदर्भ में बात की जाए तो यहां पर प्राचीनकाल से गाय को पूजनीय व वंदनीय माना गया है। प्राचीन भारत में गाय समृद्धि का प्रतीक मानी जाती थी।
जिस राज्य में जितनी गायें होती थीं उसको उतना ही संम्पन्न माना जाता था। गाय का मनुष्य के जीवन में बहुत महत्व है। गाय आज भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे अपने घरों में गाय को पाले और वे घर में नहीं पाल सकते तो उसने गौशालाओं में पलने में अपना तन-मन-धन से सहयोग करें।
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