श्रीराम कथा मर्यादापूर्वक जीवन जीने की कला सिखाती है – रामस्वरूपाचार्य
सत्यखबर सफीदों, (महाबीर) – वेदाचार्य दंडी स्वामी डा. निगमबोध तीर्थ महाराज के परम सानिध्य एवं बंधु सेवा संघ के तत्वाधान में नगर की पुरानी अनाज मंडी में चल रहे श्रीराम कृपा प्रेरणा उत्सव में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कथावाचक पूज्यपाद श्री काद्मगिरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामस्वरूपाचार्य महाराज ने कहा कि श्रीराम कथा व्यक्ति को मर्यादापूर्वक जीवन जीने की कला सिखाती है। हर किसी को भगवान श्रीराम के आदर्शों के मार्ग पर चलना चाहिए।
रामचरित मानस पूरे मानव जाति एवं मानव सभ्यता के लिए आचार संहिता का काम करता है और किसी भी अमर्यादित कार्य के पहले आत्मा को उस काम का गलत होने संकेत देता है। उन्होने कहा कि राम कथा अमृत रस है और इसका पान करने वाले जीवन में सही मार्ग को चुनते हैं। मानव ही नहीं, देवता भी श्रोता बनकर श्रीराम कथा का श्रवण करने को आतुर रहते हैं। वर्तमान में प्रभु श्रीराम का नाम जपने से ही मनुष्यों को सारे फल की प्राप्ति हो जाती है। भगवान की आराधना के लिए स्वच्छ व पवित्र मन की जरूरत है।
यह धरती स्वर्ग से से भी सुंदर है, यही कारण है कि स्वर्ग के देव भी धरती पर आने को तरसते हैं। उन्होंने कहा कि पापी कितना ही बलशाली और प्रभावशाली क्यों न हो, जीत हमेशा सत्य की ही होती है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भी जीवनभर सत्य के मार्ग पर ही चलते रहे। यही वजह है कि हर मुसीबत उनके सामने बौनी पड़ गई। श्रीराम सत्य के पुजारी थे और पूरा जीवन उन्होंने एक आदर्श के रूप में बिताया।
हमेशा बड़ों की आज्ञा का पालन किया और कमजोर से कभी वैर-भाव नहीं रखा। प्रभु राम के गुण पूरे विश्व में सभी पुरुषों में उत्तम थे, इसीलिए उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। इस कलयुग में हम सभी को श्रीराम के आदर्शों पर चलने का प्रयास करना चाहिए। इस जीवन रूपी वैतरनी पार करने के लिए श्रीराम नाम जप का ही सहारा है।