हरियाणा

सफीदों नगरपालिका के सचिव को 25 हजार रूपए जुर्माना

सत्यखबर सफीदों (महाबीर मित्तल) – सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत राज्य जनसूचना अधिकारी सफीदों नगरपालिका के सचिव पंकज जून को राज्य सूचना आयुक्त जयसिंह बिश्रोई ने एक अपील की सुनवाई मे 25 हजार रूपए का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना आगामी 30 सितम्बर तक या तो राज्य के निर्धारित हैड मे जमा कराने या फिर डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से सूचना आयोग को अदा करने का निर्देश दिया गया है। यह भी निर्देश दिया गया है कि वह आयोग द्वारा इससे पहले 25 फरवरी 2019 को जारी आदेश की पालना करते हुए इस आदेश की प्रति प्राप्त करने के पंद्रह दिन की अवधि के भीतर अपीलार्थी को मांगी गई सूचना उपलब्ध कराए और इसकी सूचना आयोग को भेजे अन्यथा उसके विरूद्ध इस अधिनियम की धारा 20(2)के तहत उसकेविरूद्ध दण्डात्मक कार्रवाई की जाएगी।

बता दें कि इस धारा मे सेवा नियमों के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रावधान उपलब्ध है। जारी फैसले मे आयुक्त जयसिंह बिश्रोई ने लिखा है कि जनसूचना अधिकारी ने इस मामले मे ना मांगी गई सूचना उपलब्ध कराई, ना कारण बताओ नोटिस का जबाब दिया और ना ही आयोग के समक्ष पेश हुआ। बिश्रोई ने फैसले मे अधिनियम की धारा 19 (5) के हवाले से स्पष्ट किया है कि किसी अपील मामले मे, सूचना उपलब्ध कराने की मनाही को सही साबित करने की जिम्मेदारी उस जनसूचना अधिकारी की है जिसने सूचना देने से मना किया है। मामला यह है कि सफीदों के रामदास प्रजापत ने 23 जनवरी 2018 को सफीदों नगरपालिका के सचिव एवम राज्य जनसूचना अधिकारी को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत तीन सूचना जारी करने का आवेदन किया था।

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सूचना आवेदन मे नगरपालिका ने वर्ष 2004 से वर्ष 2017 तक विभिन्न कार्यो के लिए विभिन्न संस्थाओं को जमीन आबंटित करने के पारित प्रस्तावों की प्रतियां मांगी गई थी और यह जानकारी मांगी गई थी कि यदि ऐसे प्रस्तावों की अनुमति सरकार से मिलने से पहले जिन मामलों मे काम शुरू करा दिया गया ऐसे मामलों मे प्रस्ताव की स्थिति क्या है। इसके अलावा प्रजापत ने सूचना मांगी थी कि सफीदों मे नगरपालिका की कितनी जमीन पर अवैध कब्जे हैं और कब्जे हटाने के पालिका ने क्या प्रयास किए हैं। प्रजापत ने आयोग के फैसले की प्रति के साथ बताया कि बार बार अनुरोध के बावजूद जब सूचना नही मिली तो उन्होने आयोग मे अपील दायर कर दी।

पालिका प्रशासन मे लापरवाहियों का दौर किस हद मे है, इस मामले से भी स्पष्ट है जिसमे सूचना के आवेदन को तो 450 दिन से भी ज्यादा लटका ही दिया गया, जो आयोग के फैसले के बावजूद आज तक लटका है, सूचना आयोग द्वारा 25 फरवरी 2019 को जारी पंद्रह दिन के भीतर सूचना उपलब्ध कराने के निर्देश को नजरअंदाज किया गया, आयोग द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस का जबाब नही दिया और ना ही अपील की सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने के निर्देश के बावजूद पेश नही हुआ।

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