बढ़ती पेट्रोल और डीजल की कीमतें थमी हुई हैं लेकिन कीमतें अभी भी आम आदमी के लिए ज़्यादा हैं। सरकार करो से करोड़ों रुपये कमा रही है, जनता के बजट की जानकारी नहीं है।
कोरोना और लॉकडाउन दोनों एक साथ मिल गए और आम जनता को कुचल दिया। लोगों का वेतन कम या सीमित है। और पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम नहीं होती है या सरकार इस पर लगाए गए अत्यधिक कर को कम नहीं करती है। पिछले सात वर्षों में सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों पर करो से बहुत पैसा कमाया है। और अभी भी सरकार का पेट भरा नहीं हैै,
दूसरी ओर, आम जनता की जेब खाली और खाली हो रही है।लोकसभाा में सरकार ने कहा कि जब मोदी सरकार २०१४ में सत्ता में आई थी, तब पेट्रोल पर कर 10.3 रुपये था, जो 300 प्रतिशत बढ़कर 32.90 रुपये हो गया है। साथ ही सरकार डीजल पर 4.52 रुपये का कर लगा रही थी, जो 31.80 रुपये हो गया है। मई 2014 में पेट्रोल 71.41 रुपये था जो आज 91.17 रुपये हो गया है। डीजल जो पहले 56.71 रुपये था, आज 81.47 रुपये हो गया है। पेट्रोल 220 फीसदी और डीजल 600 फीसदी बढ़ गया है।
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इससे पहले, सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क से 71,160 करोड़ रुपये कमाए थे, जबकि पिछले 10 महीनों में बढ़कर 2.94 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
आम आदमी की आय की बात करें तो आम आदमी की आय में 36 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2014-15 के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, आम आदमी की आय 72,889 रुपये थी जो 2020-21 में बढ़कर 99,155 रुपये हो गई है।
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