सत्य खबर, चंडीगढ़
एक तरफ सरकार किसानों के उत्थान के बड़े-बड़े दावे कर रही है परंतु दूसरी तरफ सरकार के अधिकारी और कुछ व्यापारी मिलकर किसानों को लूटने में लगे हुए हैं। इन अधिकारियों और व्यापारियों के लिए सरकार के आदेश कोई मायने नहीं रखते। ऐसा ही एक मामला आजकल हरियाणा के किसानों को झेलना पड़ रहा है जब अधिकारियों द्वारा सरकार के आदेश के बावजूद किसानों को एक-2 कंपनीयों की मोटर लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है। जबकि सरकार द्वारा ट्यूबवेल कनेक्शन के लिए 3 स्टार रेटिंग वाली कुल 8 कंपनियों को मान्यता दी है।
आपके टीवी स्क्रीन पर दिखाई दे रही यह आदेश की प्रतियां फतेहाबाद के बिजली विभाग के अधिकारियों द्वारा जारी की गई हैं। इन प्रतियों में साफ तौर पर लिखा हुआ है कि अगर किसानों को ट्यूबवेल का कनेक्शन लेना है तो इन दो कंपनियों की ही मोटर को खरीदना पड़ेगा। बिजली विभाग के अधिकारियों द्वारा बकायदा इन कंपनियों के खाता नंबर भी लिखकर किसानों के पास भेजे हैं।
हालांकि सरकार द्वारा किसानों की मांग को देखते हुए आठ कंपनियों को ट्यूबवेल कनेक्शन के लिए 3 स्टार रेटिंग वाली मोटर बेचने के लिए मान्यता दी है। लेकिन अधिकारी दो कंपनियों के साथ मिलकर किसानों को जबरदस्ती यही मोटर लेने के लिए मजबूर कर रहे हैं। कंपनी और अधिकारियों की मिलीभगत इसी बात से सिद्ध हो जाती है कि बकायदा एक कंपनी के द्वारा तो एचवीपीएन और डीएचबीवीएन का मार्क लगाकर विज्ञापन चलाया गया और किसानों को कहा गया कि केवल एसी मोटर को खरीदें। यही नहीं बिजली विभाग के अधिकारियों ने एक कंपनी के पोस्टर तक अपने दफ्तर में लगाए जिसमें कहा गया कि केवल इस मोटर को ही मान्यता मिली हुई है।
अब बड़ी बात यह है कि इन अधिकारियों के लिए सरकार के आदेश बड़े हैं या फिर कंपनियों से की गई मिलीभगत। सरकार द्वारा आठ कंपनियों को मंजूरी दिए जाने के बाद हरियाणा की कहीं समर्सिबल मोटर बनाने वाली कंपनियों ने भी सरकार से उन्हें मंजूरी दिए जाने की मांग की है। इनमें से ज्यादातर कंपनियां करनाल और अंबाला क्षेत्र में स्थापित हैं। इन कंपनियों का कहना है कि हमारी मोटर भी सरकार द्वारा मांगे के मानक को पूरा करती हैं तो ऐसे में हरियाणा की कंपनियों को दरकिनार करना कहीं ना कहीं हरियाणा के व्यापार को खत्म करने जैसा है।
हरियाणा के मोटर निर्माता कंपनियों के द्वारा बिजली मंत्री रंजीत सिंह के अलावा उद्योग मंत्री दुष्यंत चौटाला को भी पत्र लिखकर मदद करने की मांग की है। हालांकि हरियाणा के समर्सिबल निर्माता कंपनियों को उद्योग मंत्री दुष्यंत चौटाला ने जल समस्या के समाधान का आश्वासन दिया है।
इन कंपनियों को कब मंजूरी मिलेगी यह तो बाद की बात है लेकिन जिन कंपनियों को मंजूरी सरकार ने दे रखी है उनको इग्नोर कर केवल दो कंपनियों को अधिकारियों द्वारा सपोर्ट करना कहीं ना कहीं दाल में काला होने को दिखाता है। अब देखना होगा कि सरकार इस पूरे मामले पर कब संज्ञान लेती है या फिर किसानों को इसी प्रकार से दो कंपनियों के लिए लूटने को छोड़ दिया जाएगा। ब्यूरो रिपोर्ट सत्य खबर
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