सत्यखबर,रोहतक
कोरोना संक्रमण से हुई मौतें शासन प्रशासन के लिए आंकड़ों का खेल बनकर रही गई हैं। इस महामारी से पिछले चार दिन में छह लोग काल का ग्रास बन चुके हैं। जबकि अस्पताल खाली हैं। कई दिनों से यहां कोरोना संक्रमित एक भी मरीज नहीं आया है। दो महीने दिन-रात धधकते रहे श्मशान भूमि भी अब शांत हैं। पिछले 47 दिनों से एक भी कोरोना संक्रमित शव दाह संस्कार के लिए यहां नहीं पहुंचा है। यही नहीं, जिन इलाकों में ये मौत दिखाई गई हैं, वहां के लोग इस तरह की कोई बात नहीं होने से इनकार कर रहे हैं। इसके बावजूद कागजों में छह मौतें होना आंकड़ों के खेल को साफ दर्शाता है। शनिवार को भी स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में श्रीनगर कॉलोनी की 44 वर्षीय महिला की मौत की पुष्टि की गई है।
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इस सरकारी कर्मचारी की मौत से इलाके के सम्मानित लोगों ने इनकार किया है।शुक्रवार को विभाग ने दो मौतों की पुष्टि की। इनमें से एक भी शव श्मशान नहीं गया। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, सात जून को जिले में 523वीं मौत हुई थी। इसी दिन श्मशान के रिकॉर्ड के मुताबिक, अंतिम कोरोना संक्रमित शव का दाह संस्कार हुआ था। इसके बाद विभाग लगातार कोरोना से मौत होने का दावा करता रहा है। जिले में आठ जून से 24 जुलाई तक 42 मौतोें की पुष्टि की गई है। जबकि कोरोना संक्रमितों के लिए तय श्मशान में ये शव गए ही नहीं। ऐसे में इनका अंतिम संस्कार कहां और कैसे हुआ। यदि हां तो कोविड-19 नियमों के उल्लंघन का जिम्मेदार कौन-कौन होगा और यदि नहीं तो ये मौतें क्यों और किस लिए दिखाई गई, यह अपने आपमें बड़ा सवाल है। इसका जवाब कोरोना आंकड़ों से किए जा रहे खेल की पर्तें खोलकर रख देगा।
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