सत्यखबर, चढ़ीगढ़
हरियाणा भाजपा के नए अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर गतिवधियां चरम पर हैं। हरियाणा भाजपा के नेता अपनी रणनीतियों केे हिसाब से जोर लगा रहे हैं। इन सबके बीच पूर्व केेंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह अलग ही गेम खेलने में लगे हुए हैं। वह अपने बेटे हिसार से सांसद बृजेंद्र सिंह काे केंद्रीय मंंत्री बनाने के लिए गोटी फिट करने में लगे हैं। इसके लिए वह खास रणनीति के तहत प्रदेश अध्यक्ष चुनाव के लिए लॉबिंग कर रहे हैं और केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर की नाम आगे बढ़ा रहे हैं।
दूसरी ओर, हरियाणा में बरौदा विधानसभा सीट के उपचुनाव से पहले भाजपा-जजपा गठबंधन की राजनीति लगातार करवट ले रही है। जुलाई के पहले सप्ताह में जहां हरियाणा भाजपा के नए अध्यक्ष के नाम का ऐलान संभव है, वहीं बरौदा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल की कैबिनेट का विस्तार भी हो सकता है। मनोहर कैबिनेट में एक मंत्री जजपा और एक मंत्री भाजपा कोटे से बनाया जा सकता है।
भाजपा अध्यक्ष पद के लिए होने वाले चुनाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री चौ. बीरेंद्र सिंह अलग से अपना गेम जमाने की फिराक में हैं। उनकी कोशिश है कि प्रदेश अध्यक्ष पद के चुनाव में ऐसी गोटी फिट की जाए, ताकि हींग लगे न फिटकरी और रंग चोखा चढ़ जाए । यानी उनके सांसद बेटे बृजेंद्र सिंह को केंद्र सरकार में मंत्री बनाया जा सके।कांग्रेस से भाजपा में आए बीरेंद्र सिंह अब पार्टी की रीति-नीति से पूरी तरह वाकिफ हो चुके हैं। अपने आइएएस बेटे बृजेंद्र सिंह को हिसार से सांसद बनवाने के लिए उन्होंने न केवल मंत्री पद छोड़ दिया था, बल्कि राज्यसभा की सीट तक से इस्तीफा दे दिया था।
सीएम नहीं बन पाने का उन्हेंं आज तक बेहद मलाल है, लेकिन खुशी इस बात की है कि बृजेंद्र सिंह की राजनीति में कामयाब एंट्री कराने में बीरेंद्र सिंह कामयाब रहे हैं। अब बीरेंद्र सिंह का सपना अपने बेटे को केंद्र व प्रदेश की राजनीति में स्थापित करने का है। इसी के लिए वह प्रयास करते दिखाई दे रहे हैं। इसके लिए बीरेंद्र सिंह को प्रदेश अध्यक्ष पद के चयन का मौका सबसे माकूल दिखाई दे रहा है।
जानकारी के अनुसार बीरेंद्र सिंह ने केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर का नाम इसलिए प्रदेश अध्यक्ष के लिए चलाया है, ताकि हाईकमान गुर्जर को मंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए कह दे। गुर्जर यदि केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देंगे तो केंद्र में एक सीट खाली होगी और बीरेंद्र सिंह जाट कोटे में अपने बेटे बृजेंद्र सिंह की दमदार ढंग से पैरवी कर सकेंगे। बीरेंद्र सिंह के इस गेम को गुर्जर और मनोहर लाल के प्रति नरम रुख के रूप में माना जा रहा है, लेकिन इसमें बीरेंद्र का बड़ा राजनीतिक गेम छिपा है।
बीरेंद्र सिंह के इस गेम के विपरीत कृष्णपाल गुर्जर चाहते हैं कि पंजाब में विजय सांपला की तरह उन्हेंं केंद्रीय मंत्री रहते हुए ही प्रदेश अध्यक्ष का पद मिल जाये तो ठीक वरना वह अपने मौजूदा पद में ही खुश हैं। भाजपा ने लोकसभा चुनाव में एक व्यक्ति दो पद और परिवारवाद का जिस तरह से विरोध किया था, उसके चलते यदि गुर्जर को केंद्रीय मंत्री पद और अध्यक्ष दोनों मिल गए तो केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत, रतनलाल कटारिया और सांसद धर्मवीर सिंह समेत कई सांसद और विधायक इसके विरोध में खड़े हो सकते हैं।
दूसरी ओर, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के चुनाव में पूर्व मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ और कैप्टन अभिमन्यु मजबूत दावेदार हैं। माना जा रहा है कि भाजपा हाईकमान के लिए धनखड़ और कैप्टन अभिमन्यु की दावेदारी को नजरअंदाज करना आसान नहीं होगा।
दरअसल, अकेले कृष्णपाल गुर्जर प्रदेश अध्यक्ष पद के मजबूत दावेदार नहीं हैं। वह सीएम की पसंद जरूर हैं, लेकिन कहीं न कहीं सीएम को भी लगता है कि वह प्रदेश में अपने समानांतर कद वाले नेता को खड़ा करने की गलती नहीं करेंगे, जबकि हाईकमान चेहरे की बजाय राजनीतिक कद को ज्यादा महत्व देना चाह रहा है।
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