सरकार किसान व आढ़तियों की आवाज डंडे के जोर से दबाना चाहती है – बजरंग गर्ग
सरकार कोरोना की आड़ में नए-नए कानून बनाकर किसान व आढ़तियों को नाजायज तंग कर रही है – बजरंग गर्ग
सरकार को किसान व आढ़तियों के हित में तीन नए अध्यादेश तुरंत प्रभाव से वापिस लेने चाहिए – बजरंग गर्ग
सत्यखबर चंडीगढ़
अखिल भारतीय व्यापार मंडल के राष्ट्रीय महासचिव व हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने व्यापारी व किसान नेताओं से बातचीत करने के उपरांत कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा किसान बचाओ मंडी बचाओ पीपली, कुरुक्षेत्र में 10 सितंबर को केंद्र सरकार के तीन अध्यादेश के विरोध में होने वाले सम्मेलन पर प्रतिबंध लगाने के उद्देश्य से पीपली में धारा 144 लगाने की कड़े शब्दों में निंदा की। प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने कहा की सरकार किसान व व्यापारियों की आवाज डंडे के जोर से दबाना चाहती है जो सरासर गलत है।
गर्ग ने कहा कि केंद्र व प्रदेश सरकार कोरोना महामारी में किसान, व्यापारी, मजदूर व आम जनता को सुविधा देने की बजाए कोरोना की आड में नए-नए फरमान जारी करके किसान व आढ़तियों को नाजायज तंग करने पर तुली है। जो किसी भी तरह देश के हित में नहीं है। जबकि सरकार को कोरोना महामारी व आर्थिक नुकसान को देखते हुए देश व प्रदेश की जनता को ज्यादा से ज्यादा सुविधा व रियायतें देनी चाहिए। मगर सरकार किसान, आढ़ती व आम जनता की समस्याओं को हल करने बजाए हिटलर की तरह तानाशाही करके जनता को नाजायज तंग करने में लगी हुई है। जिसे किसी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा।
प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने कहा कि जब सरकार के प्रतिनिधि जगह -जगह सम्मेलन कर रहे हैं तो किसानों द्वारा पीपली में सम्मेलन को रोकने के लिए धारा 144 लगाना कहां का इंसाफ है। जबकि सरकार को किसान व आढ़तियों की समस्या को समझते हुए केंद्र सरकार द्वारा जो तीन नए अध्यादेश लाए हैं उसे किसान व आढ़तियां के हित में तुरंत वापस लेना चाहिए और केंद्र व प्रदेश सरकार को किसान व व्यापारियों से मिलजुल कर इस समस्या का तुरंत समाधान करना चाहिए अगर यह तीन अध्यादेश देश व प्रदेश में लागू हो जाते हैं तो देश का किसान व मंडी पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगी।
प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने कहा कि सरकार को ऐसा कोई फैसला नहीं लेना चाहिए। जिससे किसान, आढ़ती व आम जनता को नुकसान हो। सरकार को कोई भी फैसला लेने से पहले कृषि संबंधित किसान, व्यापार संबंधित व्यापारी व कर्मचारी, मजदूर संबंधित निर्णय के लिए उनके संगठन के प्रतिनिधियों से विचार-विमर्श करके निर्णय लेना चाहिए। ताकि सरकार का किसान, व्यापारी, मजदूर, कर्मचारी व आम जनता के साथ किसी प्रकार की नाराजगी ना रहे।
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