1993 Mumbai bomb blasts: 257 लोगों की मौत के मामले में 7 आरोपियों के खिलाफ सुनवाई शुरू
1993 Mumbai bomb blasts: 1993 में हुए मुंबई सीरियल बम धमाकों ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। 12 बम धमाकों की श्रृंखला में 257 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी और 700 से अधिक लोग घायल हुए थे। यह घटना अब भी भारतीय इतिहास में सबसे घातक आतंकी हमलों में से एक मानी जाती है। इस भीषण घटना के बाद, मामले में कई आरोपियों की गिरफ्तारी हुई और दो चरणों की सुनवाई में कुल 106 लोगों को दोषी ठहराया गया, जिसमें याकूब मेमन भी शामिल था जिसे 2015 में फांसी दी गई थी।
अब, इस मामले के तीसरे चरण की सुनवाई विशेष अदालत में सात आरोपियों के खिलाफ शुरू हुई है, जो पहले फरार थे और विभिन्न समयों पर पकड़े गए थे। ये सुनवाई विशेष टाडा (टेररिस्ट एंड डिसरप्टिव एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट) जज वी. डी. केदार की अदालत में हो रही है।
मुंबई को हिलाने वाले 12 बम धमाके
12 मार्च 1993 का दिन मुंबई के इतिहास में काले दिन के रूप में दर्ज है। इस दिन शहर के विभिन्न हिस्सों में 12 बम धमाके हुए, जिनकी योजना और क्रियान्वयन संगठित अपराध जगत के सरगना दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों ने की थी। इन धमाकों ने देश के सबसे बड़े व्यावसायिक और सांस्कृतिक केंद्र को बुरी तरह से हिला कर रख दिया था। मुंबई जैसे बड़े और महत्वपूर्ण शहर पर इस तरह के हमले ने न केवल शहर बल्कि पूरे देश में भय और अनिश्चितता का माहौल पैदा कर दिया था।
अभियुक्तों की गिरफ्तारी और सुनवाई की प्रक्रिया
1993 के धमाकों के मामले में कई अभियुक्तों को समय-समय पर पकड़ा गया, जिसमें प्रमुख रूप से अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम भी शामिल था, जिसे 2005 में पुर्तगाल से प्रत्यर्पित किया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। इन बम धमाकों की जांच और मुकदमों में अब तक 106 लोगों को दोषी ठहराया जा चुका है। अब इस तीसरे चरण की सुनवाई में सात आरोपियों के खिलाफ अदालत में गवाही दर्ज की जा रही है, जिनके नाम हैं: फारूक मंसूरी उर्फ़ फारूक टकला, अहमद लम्बू, मुनाफ हलारी, अबू बकर, सोहेब कुरैशी, सईद कुरैशी और यूसुफ बटका।
सात आरोपियों के खिलाफ सुनवाई
इन सात आरोपियों के खिलाफ जो सुनवाई चल रही है, उसमें अभियोजन पक्ष ने 41 नए गवाहों को पेश करने का फैसला किया है। यह गवाह उन घटनाओं और तथ्यों की पुष्टि करेंगे, जो 1993 के बम धमाकों के साथ जुड़े हुए हैं। विशेष टाडा अदालत में अब तक दो गवाहों की गवाही दर्ज की जा चुकी है।
इस मामले में अब भी 26 आरोपी फरार हैं, जिनमें से कई का नाम अंतरराष्ट्रीय अपराध जगत से जुड़ा हुआ है। दाऊद इब्राहिम और उसके कई सहयोगियों का नाम इस मामले में प्रमुखता से आता है, जो अब भी भारतीय न्यायिक प्रणाली की पकड़ से बाहर हैं। सरकार और जांच एजेंसियां लगातार इन्हें पकड़ने के प्रयास कर रही हैं, लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली है।
धमाकों की योजना और क्रियान्वयन
मुंबई में हुए इन बम धमाकों की योजना और क्रियान्वयन में दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों की मुख्य भूमिका थी। कहा जाता है कि इन धमाकों की योजना के पीछे मुख्य कारण 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद हुए सांप्रदायिक दंगों का बदला लेना था। धमाकों को अंजाम देने के लिए हथियार और विस्फोटक सामग्रियां विदेशों से मंगाई गई थीं और इन्हें मुंबई में छुपाकर रखा गया था।
इन विस्फोटकों को बड़ी सावधानी से मुंबई के प्रमुख स्थानों पर रखा गया था ताकि अधिकतम क्षति पहुंचाई जा सके। इन धमाकों ने न केवल सैकड़ों निर्दोषों की जान ली, बल्कि शहर की आर्थिक और सामाजिक ढांचे को भी हिलाकर रख दिया।
अबू सलेम और अन्य प्रमुख आरोपी
इन बम धमाकों के मुख्य योजनाकारों में से एक अबू सलेम था, जिसे 2005 में पुर्तगाल से प्रत्यर्पित किया गया। उसे इस मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। अबू सलेम के अलावा, टाइगर मेमन, अनीस इब्राहिम और कई अन्य अपराधी भी इस साजिश में शामिल थे, जिनमें से कई अब भी फरार हैं।
याकूब मेमन, जो टाइगर मेमन का भाई था, को इस मामले में फांसी दी गई थी। याकूब ने अपनी सफाई में दावा किया था कि वह निर्दोष है और उसने आत्मसमर्पण किया था, लेकिन अदालत ने उसे दोषी ठहराया और 2015 में उसकी फांसी की सजा को अंजाम दिया गया।
न्याय की लंबी लड़ाई
1993 के मुंबई बम धमाकों के पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए न्याय की यह लड़ाई बहुत लंबी और कठिन रही है। सैकड़ों लोग, जिनके अपने इस भीषण हमले में मारे गए, अब भी न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इस मामले की जटिलता और आरोपी व्यक्तियों की बड़ी संख्या के कारण इसे सुलझाने में कई साल लग गए।
अब, तीसरे चरण की सुनवाई में 7 और आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चल रहा है, और आशा की जा रही है कि उन्हें भी जल्द से जल्द उनके कृत्यों के लिए दंडित किया जाएगा। अभियोजन पक्ष की ओर से 41 गवाहों को पेश करने की योजना है, जिससे इन आरोपियों के खिलाफ ठोस सबूत पेश किए जा सकें।
आतंकवाद के खिलाफ सख्त संदेश
1993 के बम धमाकों का मामला न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक कड़ा संदेश है कि आतंकवाद किसी भी देश और समाज को कितनी गंभीरता से प्रभावित कर सकता है। इस मामले में सैकड़ों निर्दोषों की जान गई, और यह घटना आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर देती है।
भारत सरकार और न्यायिक प्रणाली ने इन मामलों में गंभीरता दिखाई है और आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। हालांकि, अब भी कई प्रमुख आरोपी फरार हैं, जिनकी गिरफ्तारी के लिए सरकार और सुरक्षा एजेंसियां लगातार प्रयासरत हैं।