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555th Prakash Parv: गुरु नानक देव जी के 14 नाम, 12 देशों में विभिन्न उपनामों से पुकारा जाता है

555th Prakash Parv: सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी का जन्मोत्सव कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। गुरु नानक जी सिख धर्म के पहले गुरु थे, और उनके जीवन के महान योगदान को याद करते हुए हर साल गुरु नानक जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष 2024 में गुरु नानक जयंती 15 नवंबर को मनाई जाएगी, और यह गुरु नानक देव जी की 555वीं जयंती होगी।

इस विशेष अवसर पर पंजाब के विभिन्न स्थानों पर नगर कीर्तन आयोजित किए जा रहे हैं। गुरु नानक देव जी को न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में कई नामों से पुकारा जाता है। भारत में उन्हें गुरु नानक देव जी और गुरु नानक साहिब के नाम से जाना जाता है, जबकि पाकिस्तान में उन्हें बाबा नानक और नानकशाह के नाम से पुकारा जाता है।

गुरु नानक देव जी ने अपनी आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत पंजाब के सुलतानपुर लोधी से की थी और इस यात्रा को ‘उदासी’ के रूप में जाना जाता है। जब वे विभिन्न देशों में गए, तो वहां के लोग उन्हें अलग-अलग नामों से पुकारने लगे। गुरु नानक देव जी के 12 देशों में 14 अलग-अलग नाम प्रचलित हैं।

555th Prakash Parv: गुरु नानक देव जी के 14 नाम, 12 देशों में विभिन्न उपनामों से पुकारा जाता है

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गुरु नानक देव जी के 14 नाम और 12 देशों में उनकी पहचान

गुरु नानक देव जी ने चार प्रमुख उदासियाँ की थीं और हर यात्रा में उन्हें एक नया नाम दिया गया। भारतीय उपमहाद्वीप के बाहर भी उनकी शिक्षाओं का प्रभाव गहरा था।

  1. भारत में गुरु नानक देव जी को ‘गुरु नानक देव जी’ और ‘गुरु नानक साहिब’ कहा जाता है।
  2. पाकिस्तान में उन्हें ‘बाबा नानक’ और ‘नानकशाह’ के नाम से जाना जाता है। पाकिस्तान में उन्होंने श्री करतारपुर साहिब से भी अपनी उदासी की शुरुआत की थी।
  3. चीन में उन्हें ‘बाबा फुसा’ के नाम से पुकारा जाता है।
  4. इराक में गुरु नानक देव जी को ‘नानक पीर’ के नाम से सम्मानित किया जाता है।
  5. नेपाल में उन्हें ‘नानक ऋषि’ के नाम से जाना जाता है।
  6. भूटान और सिक्किम में गुरु नानक देव जी को ‘नानक रिपोचिया’ कहा जाता है।
  7. श्रीलंका में उनका नाम ‘नानकाचार्य’ था।
  8. रूस में उन्हें ‘नानक कमदार’ के नाम से जाना जाता है।
  9. मिस्र में गुरु नानक देव जी को ‘नानक वली’ के नाम से संबोधित किया जाता है।
  10. सऊदी अरब में उन्हें ‘वली हिंद’ के नाम से पुकारा जाता है।
  11. तिब्बत में गुरु नानक देव जी का नाम ‘नानकलामा’ था।

गुरु नानक देव जी ने अपनी यात्राओं के दौरान यह सिखाया कि ‘एक ओंकार’ यानी ‘ईश्वर एक है’, और यह संदेश उन्होंने लगभग 12 देशों की 248 शहरों में दिया।

गुरु नानक देव जी का संदेश: ईश्वर एक है

गुरु नानक देव जी का सबसे महत्वपूर्ण संदेश था “ईश्वर एक है”। उनकी उदासियाँ और यात्राएं मानवता, समानता और भाईचारे का संदेश देने के लिए थीं। उन्होंने दुनियाभर में अपने विचारों का प्रसार किया और लोगों को धार्मिक उन्माद और भेदभाव से ऊपर उठने का संदेश दिया। गुरु नानक देव जी का जीवन सरलता, सत्य और प्रेम का प्रतीक बन गया।

गुरु नानक देव जी का प्रभाव केवल सिख धर्म तक सीमित नहीं था, बल्कि उनकी शिक्षाएँ आज भी पूरी दुनिया में लोगों को प्रेरित करती हैं। उनका जीवन और उनके विचार आज भी दुनियाभर में श्रद्धा और सम्मान के साथ याद किए जाते हैं।

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555वीं जयंती का महत्व

गुरु नानक देव जी की 555वीं जयंती इस वर्ष विशेष रूप से मनाई जा रही है। इस दिन को दुनिया भर में श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया जाता है। पंजाब में विशेष रूप से नगर कीर्तन और गुरुद्वारों में पूजा-अर्चना का आयोजन किया जा रहा है। गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं का प्रसार आज भी लगातार किया जा रहा है, और उनकी जयंती पर हर साल लाखों लोग एकत्रित होते हैं।

गुरु नानक देव जी की 555वीं जयंती इस बार पूरे देश और दुनिया में धूमधाम से मनाई जा रही है। उनकी शिक्षाएँ आज भी लोगों को एकता, भाईचारे और प्रेम का संदेश देती हैं। गुरु नानक देव जी के प्रति दुनिया भर में आदर और श्रद्धा है, और उनके द्वारा दिए गए “ईश्वर एक है” के संदेश ने धर्म और समाज की सीमाओं को पार करते हुए पूरी दुनिया को एकजुट किया है।

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