मुलाकात कीजिए 70 वर्षीय ‘मांझी’ से, जिन्होंने पहले दो एकड़ की जगह में पार्क बनाया और फिर पहाड को खोदकर उस तक जाने का रास्ता। आश्चर्यचकित हो गए न जानकर, लेकिन ये सत्यहै।
उदमीराम बताते हैं कि जून में प्राचीन सती माता मंदिर में कुछ दिन रहने के लिए एक संत आए थे। संत ने सती माता मंदिर की और सुबह टहलने आए पंचायत समिति सदस्य महेंद्र सिंह व उनसे यहां एक पार्क का निर्माण करवाने की बात कही। ताकि युवा पीढ़ी सुबह-शाम यहां घूम सके तथा योग कर सके। उन्होंने इस बात के लिए ग्राम पंचायत से बात की, लेकिन पंचायत से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला
इस काम को पूरा करने के लिए उदमीराम ने गांव के सरंपच व ग्रामीणों से बात की और आर्थिक सहयोग की मांग की। ग्रामीणों ने स्वेच्छा से पार्क के निर्माण के लिए करीब 5 लाख रुपए का दान इकट्इा किया। इस धन से उदमीराम की देखरेख में उनकी टीम ने शक्ति माता के प्राचीन मंदिर के निकट ऊबड़-खाबड़ एवं कांटेदार पेड़ पौधों वाले स्थान को समतल करवाकर 2 एकड़ भूमि पर एक सुंदर पार्क बनाया।
हालांकि अभी पार्क का निर्माण काम चल रहा है। फुटपाथ के साथ 2 एकड़ जमीन में करीब 500 पौधे लगाए गए हैं। इसके अलावा पीने के लिए जल और बैठने के लिए बेंच की व्यवस्था भी की गई है। पार्क के गेट का निर्माण कप्तान श्रीराम निजी कोष से करवा रहे हैं। इस पार्क के निकट शनि देव महाराज के मंदिर का निर्माणकार्य निर्माणाधीन है। इसके अलावा शक्ति माता के मंदिर का जीर्णोद्धार भी किया जाना है।
एक आधुनिक सुविधाओं से युक्त योग शाला का स्थापित करने की भी योजना है। उदमीराम बताते हैं कि यह स्थान छोटे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित हो सकता है। क्योंकि यहां पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए करीब 1 किलोमीटर लंबा पहाड़ी क्षेत्र है।
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