केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह को बीजेपी ने दिए झटके,जानिए कैसे
BJP gave shocks to Union Minister Rao Inderjit Singh
सत्य खबर, चंडीगढ़ । हरियाणा की राजनीति में हमेशा से दक्षिण हरियाणा का अहम रोल रहा है। सूबे में सरकार बनने की गारंटी मतलब अहीरवाल (दक्षिणी हरियाणा) को पूरी तरह साध लेना ही रहा है। भारतीय जनता पार्टी ने रविवार को रेवाड़ी से विधायक रह चुके रणधीर सिंह कापड़ीवास की घर वापसी कराई। प्रदेश के मुखिया मनोहर लाल खट्टर और प्रदेशाध्यक्ष नायब सैनी ने खुद कापड़ीवास का गर्मजोशी से पार्टी में स्वागत किया।
आज से ठीक साढ़े 4 साल पहले कापड़ीवास की बगावत के चलते उन्हें पार्टी से निष्कासित कराने वाले केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के लिए ये किसी बड़े झटके से कम नहीं है।
कापड़ीवास ने राव इंद्रजीत सिंह पर ही पिछले विधानसभा चुनाव में टिकट कटवाने का आरोप लगाते हुए बागी होकर रेवाड़ी सीट से चुनाव लड़ा था। जिसकी वजह से यहां राव इंद्रजीत सिंह के समर्थित भाजपा प्रत्याशी सुनील मुसेपुर की हार हुई।
इनमें 2 नाम सबसे प्रमुख थे। एक निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले रणधीर सिंह कापड़ीवास और दूसरे रेवाड़ी सीट से टिकट के दावेदार डॉ. अरविंद यादव थे। दोनों पर राव इंद्रजीत सिंह ने काफी बार निशाना साधा। निर्दलीय चुनाव लड़ने पर पार्टी ने रणधीर सिंह कापड़ीवास को तो बकायदा 6 साल के लिए सस्पेंड भी कर दिया था।
दोबारा सरकार बनने पर सबसे पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल के खास डॉ. अरविंद यादव को हरको बैंक का चेयरमैन बनाकर राव इंद्रजीत सिंह को पहला झटका दिया गया था। डॉ. अरविंद यादव फिलहाल पर्यटन निगम के चेयरमैन हैं।
रणधीर सिंह कापड़ीवास निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़कर भले ही राव इंद्रजीत सिंह समर्थित नेता को हराने में कामयाब जरूर रहे, लेकिन उनका पार्टी के सीनियर नेताओं से तालमेल हमेशा बना रहा। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, भाजपा संसदीय बोर्ड की सदस्य डॉ. सुधा यादव, मुख्यमंत्री मनोहर लाल और गृहमंत्री अनिल विज से उनकी मुलाकातें होती रही। साढ़े 4 साल में कापड़ीवास ने कई मौके पर राव इंद्रजीत सिंह को लेकर तो काफी कुछ बोला, लेकिन बीजेपी को लेकर कभी कुछ नहीं कहा।
इससे ही माना जा रहा था कि देर ही सही, लेकिन कभी ना कभी कापड़ीवास जरूर घर वापसी कर ही लेंगे। पहले रधणीर सिंह कापड़ीवास ने अपने भतीजे मुकेश कापड़ीवास को एक्टिव किया। कुछ दिन पहले ही मुकेश कापड़ीवास को संगठन में युवा मोर्चा में गुरुग्राम जिले का प्रभारी बनाया गया। इसके बाद रविवार को रणधीर सिंह कापड़ीवास को भी पार्टी में शामिल करा दिया। कापड़ीवास ने रेवाड़ी सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़कर 30 हजार से ज्यादा वोट लिए थे।
रणधीर सिंह कापड़ीवास भाजपा के पुराने नेता रहे हैं। कापड़ीवास ने ही रेवाड़ी सीट पर 6 बार लगातार चुनाव लड़कर जीत दर्ज करने वाले कांग्रेस के कैप्टन अजय सिंह यादव का 2014 में जीत का रथ रोका था। हालांकि उस वक्त परिस्थितियां अलग थीं।
दरअसल, राव इंद्रजीत सिंह गुरुग्राम लोकसभा सीट से लगातार 2 बार 2014 और 2019 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े और दोनों ही बार जीत दर्ज करते हुए केंद्र सरकार में राज्यमंत्री बने। राव इंद्रजीत सिंह 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। राव इंद्रजीत सिंह का गुरुग्राम से लेकर नांगल चौधरी तक खुद का जनाधार है लेकिन राव की दबाव वाली राजनीति के चलते बीजेपी कुछ समय से राव इंद्रजीत सिंह को झटके पर झटका दे रही है।
पहले गुरुग्राम जिले से ही ताल्लुक रखने वाले भूपेंद्र यादव को केंद्र सरकार में उनसे बड़े ओहदे का मंत्रालय देकर मंत्री बनाया गया। इसके बाद पिछले साल उनकी धुर विरोधी डॉ. सुधा यादव को संसदीय बोर्ड में शामिल कर लिया गया।
अब कुछ समय पहले ही प्रदेशाध्यक्ष बनाए गए नायब सैनी ने अपनी नई टीम में ज्यादातर राव विरोधी नेताओं को ही जगह दी है। इसमें हरियाणा की पूर्व डिप्टी स्पीकर रही संतोष यादव और जीएल शर्मा को पार्टी का प्रदेश उपाध्यक्ष तो उनके एक और विरोधी पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह को भी संगठन में एडजस्ट करते हुए लोकसभा चुनाव प्रभारी बना दिया गया।
रणधीर सिंह कापड़ीवास ही ऐसे नेता बचे थे, जिन्हें एडजस्ट किया जाना बाकी था। इसकी पटकथा प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद पहले बार रेवाड़ी दौरे पर पहुंचे नायब सैनी ने उसी दिन लिख दी थी जब वह आधी रात कापड़ीवास से मिलने के लिए उनके घर पर पहुंच गए थे।