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UP: BJP का स्थान अटल, SP की चाल बदल गई; इस चुनाव में, Akhilesh Yadav ने मुस्लिमों और यादवों को प्राथमिकता दी

UP में BJP अपने ब्राह्मण, क्षत्रिय और कुर्मी कार्ड पर अड़ी हुई है तो वहीं SP ने एमवाई (मुस्लिम-यादव) की रणनीति बदल दी है. इस बार उसने कुर्मी और मौर्य-शाक्य-सैनी-कुशवाहा जातियों से अधिक उम्मीदवार उतारे हैं। BJP ने सबसे ज्यादा टिकट ब्राह्मणों और ठाकुरों को दिए हैं, जबकि SP ने ओबीसी कार्ड खेला है.

BJP और उसके सहयोगी दल राज्य की 75 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं. BJP ने अपने कोटे की सीटों पर 21 फीसदी ब्राह्मण और 17 फीसदी ठाकुर उम्मीदवार दिए हैं. जबकि उसके 8 फीसदी उम्मीदवार कुर्मी हैं. BJP ने 2019 के चुनाव में भी कमोबेश यही रणनीति अपनाई थी और अपने 78 में से 73 उम्मीदवारों को जीत दिलाई थी. तब BJP के ब्राह्मण, ठाकुर और कुर्मी उम्मीदवारों की संख्या क्रमश: 22, 18 और 9 फीसदी थी.

यहां आपको बता दें कि साल 2019 में BJP ने अपनी सहयोगी अपना दल (एस) को दो सीटें दी थीं. 2019 के चुनाव में एसपी-बीSP गठबंधन के बावजूद SP को अपेक्षित सफलता नहीं मिली. उनके खाते में सिर्फ पांच सीटें आईं. यही वजह है कि इस बार SP ने टिकट देने की अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है.

2019 में SP ने UP में 37 सीटों पर चुनाव लड़ा था. तब उन्होंने सबसे ज्यादा टिकट यादवों को दिए थे. दूसरे नंबर पर मुसलमान थे. उसके 27 फीसदी उम्मीदवार यादव और 11 फीसदी मुस्लिम थे. वहीं आठ फीसदी टिकट कुर्मियों को दिए गए.

इस बार SP UP में 62 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. इनमें से राबर्ट्सगंज को छोड़कर सभी सीटों पर उसके उम्मीदवार घोषित हो चुके हैं। यादव और मुस्लिम मतदाता SP का बेस वोट बैंक माने जाते हैं. UP की आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी करीब 20 फीसदी है.

लेकिन इस बार SP ने उन्हें टिकटों में सिर्फ 6.5 फीसदी भागीदारी दी है, जो आबादी से काफी कम है. आबादी के हिसाब से पिछड़ी जातियों में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी यादवों की है, लेकिन इस बार SP ने अखिलेश परिवार के पांच नेताओं को यादव उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतारा है. साल 2019 में 27 फीसदी यादव उम्मीदवारों की तुलना में ये आंकड़ा सिर्फ 8 फीसदी है.

समाजवादी पार्टी ने कुर्मी, मौर्य-कुशवाहा-शाक्य-सैनी जातियों को तरजीह दी है. ओबीसी जातियों में कुर्मी-पटेल की हिस्सेदारी 7.5 फीसदी है, जबकि SP ने इस समुदाय के 10 उम्मीदवार उतारे हैं और उन्हें टिकटों में 1.6 फीसदी हिस्सेदारी दी है. इसी तरह ओबीसी जातियों में मौर्य-कुशवाहा-शाक्य-सैनी की भागीदारी सात फीसदी है, जिन्हें SP ने 10 फीसदी टिकट दिया है.

SP की रणनीति बदलने की वजह

लविवि के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रो. संजय गुप्ता का कहना है कि SP का अपने बेस वोट बैंक की बजाय दूसरी जातियों को तरजीह देना उसकी सोशल इंजीनियरिंग का हिस्सा है. यादवों और मुसलमानों को उचित प्रतिनिधित्व न देना अभी SP के लिए फायदेमंद लग सकता है, लेकिन इसके दूरगामी परिणाम नुकसानदायक हो सकते हैं।

BJP के जातिवार प्रत्याशी

जाति 2024 (प्रतिशत) 2019 (प्रतिशत)
ब्राह्मण 16 (21%) 17 (22%)
ठाकुर 13 (17%) 14 (18%)
कुर्मी 6 (8%) 7 (9%)
पासी 6 (8%) 6 (7.7%)
लोधी 4 (5.3%) 3(4%)
जाट 3 (4%) 4 (5%)
निषाद 3 (4%) 3 (4%)
सैनी-शाक्य-कुशवाहा 3 (4%) 4 (5%)
खटिक-सोनकर 3 (4%) 3(4%)
बनिया सामान्य 2 (2.6%)
जाटव 2 (2.6%) 2 (2.5%)
गुर्जर 2 (2.6%)

BJP ने भूमिहार, पंजाबी, पारसी, कश्यप, बनिया (ओबीसी), यादव, तेली, धनगर, धानुक, वाल्मिकी, गोंड और कोरी से एक-एक उम्मीदवार मैदान में उतारा है। यानी 1.3 फीसदी हिस्सेदारी दी गई है. जबकि 2019 में कश्यप, यादव, राजभर, तेली, वाल्मिकी, धनगर, कठेरिया, कोरी और गोंड से एक-एक उम्मीदवार मैदान में उतारे गए थे. लेकिन प्रतिशत केवल 1.3 था.

SP के जातिवार प्रत्याशी

जाति 2024 (प्रतिशत) 2019(प्रतिशत)
कुर्मी-पटेल 10 (16%) 3 (8%)
पासी 7 (11%) 3 (8%)
कुशवाहा-शाक्य-सैनी 6 (10%)
जाटव 6 (10%)
निषाद 5 (8%) 3 (8%)
यादव 5 (8%) 10 (27%)
मुस्लिम 4 (6.5%) 4 (11%)
ब्राह्मण 4 (6.5%) 2 (5%)
ठाकुर 2 (3%) 2 (5%)
सवर्ण वैश्य 2 (3%) 2 (5%)
खत्री 2 (3%)
जाट 2 (3%)

SP ने वाल्मिकी, गुर्जर, राजभर, भूमिहार, पाल और लोधी से एक-एक उम्मीदवार मैदान में उतारा है. यानी 1.6 फीसदी हिस्सेदारी दी गई है. जबकि 2019 में लोधी, वाल्मिकी, कायस्थ, जाटव, कुशवाह, नोनिया, चौहान, कोल, धानुक से एक-एक प्रत्याशी मैदान में उतारा था। लेकिन प्रतिशत 2.7 ही रहा.

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