ताजा समाचार

BJP: 27 साल बाद पंजाब में अकेले मैदान में, 2024 के लोकसभा चुनावों में उम्मीदें हाई

Punjab की सभी 13 लोकसभा सीटों पर अंतिम चरण में 1 जून को मतदान होना है. इस बार Punjab में चुनावी मुकाबला चतुष्कोणीय नजर आ रहा है. इस बार Punjab में कोई गठबंधन नहीं है. तीन दशक बाद BJP और शिरोमणि अकाली दल एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में हैं. दिल्ली-गुजरात, हरियाणा, गोवा में साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस और आम आदमी पार्टी Punjab एक दूसरे के खिलाफ मैदान में हैं. Punjab में BJP का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन तीन लोकसभा सीटें जीतना रहा है, लेकिन पहली बार वह 13 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि क्या BJP दलबदलुओं के दम पर 2024 में तीन सीटों का बैरियर तोड़ पाएगी?

Punjab में BJP पहली बार अपने दम पर चुनाव लड़ रही है. अब तक BJP अकाली दल के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ती रही है. पिछले लोकसभा चुनाव में BJP ने तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से उसे 2 सीटों पर जीत मिली थी. इस बार सभी 13 सीटों पर BJP के उम्मीदवार हैं. BJP यहां पीएम मोदी के नाम के सहारे मैदान में है. BJP ने Punjab की 13 सीटों में से तीन गुरदासपुर, होशियारपुर और आनंदपुर साहिब पर अपने कैडर को उम्मीदवार बनाया है, जबकि बाकी सीटों पर दूसरे दलों से आए नेताओं पर दांव लगाया है. 2024 के लोकसभा चुनाव में BJP को Punjab से काफी उम्मीदें हैं.

BJP: 27 साल बाद पंजाब में अकेले मैदान में, 2024 के लोकसभा चुनावों में उम्मीदें हाई

Punjab में BJP की उम्मीद हिंदू वोटों पर

अकाली दल से नाता तोड़ने के बाद BJP की उम्मीदें Punjab में हिंदू समुदाय के वोट बैंक पर हैं. राज्य में करीब 39 फीसदी हिंदू मतदाता हैं. वे राजनीति के चुनावी खेल को बनाने या बिगाड़ने की ताकत रखते हैं। इस बार का चुनाव तय करेगा कि इससे BJP को फायदा होता है या नहीं. इसलिए BJP ने इस बार अकाली दल को दूर रखा ताकि वह 39 फीसदी वोट अपने पक्ष में ला सके. हालांकि, 2022 के चुनाव में BJP महज 6.6 फीसदी वोटों पर अटक गई और सिर्फ दो सीटें ही जीत सकी. इसके बाद भी BJP एक बार फिर अकेले चुनावी मैदान में उतर गई है. BJP नेताओं को उम्मीद है कि शिरोमणि अकाली दल से अलग होने के बाद हिंदुओं का वोट कांग्रेस की बजाय BJP को मिलेगा.

सिख वोट हासिल करने की कोशिश में पीएम मोदी

इस बार Punjab में BJP दो चुनौतियों के साथ मैदान में है, एक हिंदू वोटों को पार्टी की ओर लाना और दूसरा सिखों को पार्टी से जोड़ना. अकाली दल के साथ गठबंधन में होने के कारण BJP खुद को गुरदासपुर, होशियारपुर और अमृतसर लोकसभा सीटों तक ही सीमित कर रही थी. 1998 से 2004 तक BJP ये तीनों सीटें जीतने में सफल रही थी, लेकिन पिछले दो चुनावों से वह अमृतसर सीट हार रही है. नवजोत सिंह सिद्धू के BJP छोड़ने के बाद पार्टी के पास कोई बड़ा सिख नेता नहीं है. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद सिख समुदाय के बीच विश्वास बढ़ाने में लगे हुए हैं. पीएम मोदी हाल ही में पटना साहिब में लंगर परोसते नजर आए थे. Punjab में प्रचार करने पहुंचे पीएम मोदी सिख पगड़ी पहने नजर आए. इसी रणनीति के तहत BJP ने सिखों को पार्टी में शामिल किया और उन्हें टिकट भी दिए.

Punjab में लंबे समय तक गठबंधन में रहने के कारण BJP यहां अपने संगठन को मजबूत करने पर ध्यान नहीं दे पाई. साथ ही पार्टी अपने सिख नेता को भी तैयार नहीं कर पाई. हालांकि, इसकी भरपाई के लिए BJP ने दूसरे दलों के कई बड़े सिख नेताओं को न सिर्फ पार्टी में शामिल किया है, बल्कि उन्हें उम्मीदवार बनाने की चाल भी चली है. इतना ही नहीं BJP ने कांग्रेस छोड़कर आए जाट नेता माने जाने वाले सुनील जाखड़ को Punjab की कमान सौंपी है. इसके अलावा BJP ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी शामिल किया है.

BJP ने पटियाला से चार बार की कांग्रेस सांसद परनीत कौर को मैदान में उतारा है, जो पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी हैं. पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते और लगातार तीन बार सांसद रहे रवनीत सिंह बिट्टू को BJP ने लुधियाना से उम्मीदवार बनाया है, जो कांग्रेस से आए हैं. जालंधर सीट से सुशील कुमार रिंकू को टिकट दिया गया है, जो आम आदमी पार्टी के एकमात्र लोकसभा सदस्य थे और टिकट मिलने के बाद भी पार्टी छोड़कर BJP में शामिल हो गए थे. चुनाव से ठीक पहले BJP ने अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत तरणजीत सिंह संधू को भी पार्टी में शामिल कर लिया है और उन्हें अमृतसर से उम्मीदवार बनाया है. तरनजीत सिंह सिंधु के दादा तेजा सिंह समुंदरी सिखों के बड़े नेता हुआ करते थे.

Punjab में BJP का शहरी इलाकों में तो बड़ा आधार था ही, दूसरी पार्टियों से आए नेताओं का राजनीतिक आधार ग्रामीण इलाकों में भी है. ऐसे में BJP इस बार दूसरे दलों से आए नेताओं के सहारे करिश्माई प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है. BJP कभी Punjab में तीन सीटों पर चुनाव लड़ती थी, आज वह 13 सीटों पर अपनी किस्मत आजमा रही है. ऐसे में लोकसभा क्षेत्रों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है. इसी आधार पर पार्टी ने अपनी रणनीति तय की है. पार्टी ने उन सीटों को ए कैटेगरी में रखा है, जहां उसे जीत की ज्यादा उम्मीद है. BJP ने जालंधर, लुधियाना, अमृतसर, गुरदासपुर, होशियारपुर और पटियाला सीटों को श्रेणी ए में शामिल किया है। इसके बाद श्री आनंदपुर साहिब, फिरोजपुर, बठिंडा को श्रेणी बी में रखा गया है, जहां उसके लड़ने की उम्मीद है, जबकि खडूर साहिब, फतेहगढ़ साहिब, संगरूर और फरीदकोट को पार्टी ने फिलहाल सी श्रेणी में रखा है।

BJP को उनसे उम्मीदें हैं

गठबंधन में रहते हुए BJP अमृतसर, गुरदासपुर और होशियारपुर की सीटों पर चुनाव लड़ती थी. BJP इन सभी सीटों पर फोकस कर रही है. इसके साथ ही लुधियाना से कांग्रेस से BJP में आए तीन बार के सांसद रवनीत बिट्टू, जालंधर में आप से आए सांसद सुशील रिंकू और पटियाला में कांग्रेस से चार बार की सांसद परनीत कौर से भी उम्मीदें हैं. इन सीटों पर बड़ी संख्या में हिंदू मतदाता भी हैं, जहां BJP सिख और हिंदू वोटों के समीकरण के सहारे जीत की उम्मीद कर रही है. इस बार Punjab की 13 सीटों पर चतुष्कोणीय मुकाबला है, लेकिन पांच सीटें ऐसी हैं जहां बसपा के मजबूत उम्मीदवारों और मजबूत निर्दलीय उम्मीदवारों के मैदान में उतरने से मुकाबला बहुकोणीय हो गया है. ऐसे में बहुकोणीय मुकाबले में BJP को फायदा होने की उम्मीद है. देखने वाली बात यह होगी कि क्या BJP Punjab में तीन सीटों से आगे बढ़ पाएगी?

में BJP दो चुनौतियों के साथ मैदान में है, एक हिंदू वोटों को पार्टी की ओर लाना और दूसरा सिखों को पार्टी से जोड़ना. अकाली दल के साथ गठबंधन में होने के कारण BJP खुद को गुरदासपुर, होशियारपुर और अमृतसर लोकसभा सीटों तक ही सीमित कर रही थी. 1998 से 2004 तक BJP ये तीनों सीटें जीतने में सफल रही थी, लेकिन पिछले दो चुनावों से वह अमृतसर सीट हार रही है. नवजोत सिंह सिद्धू के BJP छोड़ने के बाद पार्टी के पास कोई बड़ा सिख नेता नहीं है. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद सिख समुदाय के बीच विश्वास बढ़ाने में लगे हुए हैं. पीएम मोदी हाल ही में पटना साहिब में लंगर परोसते नजर आए थे. Punjab में प्रचार करने पहुंचे पीएम मोदी सिख पगड़ी पहने नजर आए. इसी रणनीति के तहत BJP ने सिखों को पार्टी में शामिल किया और उन्हें टिकट भी दिए.

Punjab में लंबे समय तक गठबंधन में रहने के कारण BJP यहां अपने संगठन को मजबूत करने पर ध्यान नहीं दे पाई. साथ ही पार्टी अपने सिख नेता को भी तैयार नहीं कर पाई. हालांकि, इसकी भरपाई के लिए BJP ने दूसरे दलों के कई बड़े सिख नेताओं को न सिर्फ पार्टी में शामिल किया है, बल्कि उन्हें उम्मीदवार बनाने की चाल भी चली है. इतना ही नहीं BJP ने कांग्रेस छोड़कर आए जाट नेता माने जाने वाले सुनील जाखड़ को Punjab की कमान सौंपी है. इसके अलावा BJP ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी शामिल किया है.

BJP ने पटियाला से चार बार की कांग्रेस सांसद परनीत कौर को मैदान में उतारा है, जो पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी हैं. पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते और लगातार तीन बार सांसद रहे रवनीत सिंह बिट्टू को BJP ने लुधियाना से उम्मीदवार बनाया है, जो कांग्रेस से आए हैं. जालंधर सीट से सुशील कुमार रिंकू को टिकट दिया गया है, जो आम आदमी पार्टी के एकमात्र लोकसभा सदस्य थे और टिकट मिलने के बाद भी पार्टी छोड़कर BJP में शामिल हो गए थे. चुनाव से ठीक पहले BJP ने अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत तरणजीत सिंह संधू को भी पार्टी में शामिल कर लिया है और उन्हें अमृतसर से उम्मीदवार बनाया है. तरनजीत सिंह सिंधु के दादा तेजा सिंह समुंदरी सिखों के बड़े नेता हुआ करते थे.

Punjab में BJP का शहरी इलाकों में तो बड़ा आधार था ही, दूसरी पार्टियों से आए नेताओं का राजनीतिक आधार ग्रामीण इलाकों में भी है. ऐसे में BJP इस बार दूसरे दलों से आए नेताओं के सहारे करिश्माई प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है. BJP कभी Punjab में तीन सीटों पर चुनाव लड़ती थी, आज वह 13 सीटों पर अपनी किस्मत आजमा रही है. ऐसे में लोकसभा क्षेत्रों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है. इसी आधार पर पार्टी ने अपनी रणनीति तय की है. पार्टी ने उन सीटों को ए कैटेगरी में रखा है, जहां उसे जीत की ज्यादा उम्मीद है. BJP ने जालंधर, लुधियाना, अमृतसर, गुरदासपुर, होशियारपुर और पटियाला सीटों को श्रेणी ए में शामिल किया है। इसके बाद श्री आनंदपुर साहिब, फिरोजपुर, बठिंडा को श्रेणी बी में रखा गया है, जहां उसके लड़ने की उम्मीद है, जबकि खडूर साहिब, फतेहगढ़ साहिब, संगरूर और फरीदकोट को पार्टी ने फिलहाल सी श्रेणी में रखा है।

BJP को उनसे उम्मीदें हैं

गठबंधन में रहते हुए BJP अमृतसर, गुरदासपुर और होशियारपुर की सीटों पर चुनाव लड़ती थी. BJP इन सभी सीटों पर फोकस कर रही है. इसके साथ ही लुधियाना से कांग्रेस से BJP में आए तीन बार के सांसद रवनीत बिट्टू, जालंधर में आप से आए सांसद सुशील रिंकू और पटियाला में कांग्रेस से चार बार की सांसद परनीत कौर से भी उम्मीदें हैं. इन सीटों पर बड़ी संख्या में हिंदू मतदाता भी हैं, जहां BJP सिख और हिंदू वोटों के समीकरण के सहारे जीत की उम्मीद कर रही है. इस बार Punjab की 13 सीटों पर चतुष्कोणीय मुकाबला है, लेकिन पांच सीटें ऐसी हैं जहां बसपा के मजबूत उम्मीदवारों और मजबूत निर्दलीय उम्मीदवारों के मैदान में उतरने से मुकाबला बहुकोणीय हो गया है. ऐसे में बहुकोणीय मुकाबले में BJP को फायदा होने की उम्मीद है. देखने वाली बात यह होगी कि क्या BJP Punjab में तीन सीटों से आगे बढ़ पाएगी?

Back to top button