कभी करीब, कभी दूर… क्या Mamata Banerjee भारतीय गठबंधन के संबंध में ‘इंतजार और देखने’ की मोड़ में हैं?
Mamata Banerjee: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आने से तीन दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष Mallikarjun Kharge ने 1 जून को भारतीय गठबंधन के शीर्ष नेताओं की बैठक बुलाई है. आखिरी चरण के मतदान के दिन भारतीय गठबंधन के शीर्ष नेता दिल्ली में 2024 के चुनाव की समीक्षा और भविष्य की रणनीति बनाने पर मंथन. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख Mamata Banerjee भारत गठबंधन की बैठक में शामिल नहीं होंगी, जबकि पहले उन्होंने विपक्षी गठबंधन को बाहर से समर्थन देने की बात कही थी. इस तरह Mamata Banerjee भारत गठबंधन से कभी करीब तो कभी दूर नजर आती हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या Mamata ‘वेट एंड वॉच’ के मूड में नजर आ रही हैं?
PM Modi और बीजेपी को सत्ता की हैट्रिक लगाने से रोकने के लिए कांग्रेस समेत 30 से ज्यादा छोटे-बड़े विपक्षी दल एक मंच पर आए और गठबंधन कर चुनाव लड़ने का फैसला किया. इसका नाम इंडिया अलायंस रखा गया, जिसका सुझाव Mamata Banerjee ने दिया था. हालांकि, जब सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस से बात नहीं बनी तो Mamata ने बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. Mamata ने 2024 में ‘एकला चलो’ का फैसला किया, लेकिन साथ ही इंडिया अलायंस के साथ बने रहने की बात भी रखी.
इंडिया अलायंस की बैठक में Mamata हिस्सा नहीं लेंगी
Mamata Banerjee ने चुनाव नतीजों के बाद इंडिया अलायंस को बाहर से समर्थन देने की बात कही थी, लेकिन चुनाव बाद की परिस्थितियों को देखते हुए उन्होंने इंडिया अलायंस की होने वाली बैठक में शामिल होने से हाथ खींच लिया है. Mamata Banerjee ने पत्रकारों से कहा कि वह 1 जून को इंडिया अलायंस की बैठक में हिस्सा नहीं लेंगी, क्योंकि वह बंगाल में चुनाव और रेमल चक्रवात के कारण व्यस्त हैं. मेरी प्राथमिकता लोगों को चक्रवात से राहत सुनिश्चित कराना है. हालांकि, Mamata Banerjee ने कहा है कि वह इंडिया अलायंस की बैठक में अपनी जगह अपने प्रतिनिधि को भेजेंगी.
1 जून की बैठक से दूर रहने की Mamata ने बताई ये वजह
टीएमसी प्रमुख Mamata Banerjee भले ही आखिरी चरण के मतदान और चक्रवात को आधार बनाकर इंडिया अलायंस की बैठक से दूरी बनाए हुए हैं, लेकिन राजनीतिक जानकार इसे Mamata Banerjee की राजनीतिक रणनीति का हिस्सा मान रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस कहते हैं कि Mamata Banerjee चुनाव से पहले अपने पत्ते नहीं खोलना चाहतीं. इस बार चुनाव विशेषज्ञ भी चुनाव नतीजों का सही अनुमान नहीं लगा पा रहे हैं और यह बताने की स्थिति में नहीं हैं कि सरकार किसकी बनने जा रही है? लोकसभा चुनाव में किसी भी पार्टी की लहर नहीं है, जिसके चलते नतीजे बेहद चौंकाने वाले हो सकते हैं. इसीलिए Mamata Banerjee काफी संभलकर आगे बढ़ रही हैं और नतीजों के बाद भी अपनी भूमिका बरकरार रखना चाहती हैं.
वहीं, वरिष्ठ पत्रकार विजय उपाध्याय का कहना है कि जिन बातों को आधार बनाकर Mamata Banerjee ने बैठक में शामिल नहीं होने का फैसला लिया है, उससे एक बात साफ हो जाती है कि वह फिलहाल इंडिया अलायंस से दूरी बनाए रखना चाहती हैं. टीएमसी के बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने के फैसले के बाद यह साफ हो गया कि Mamata का भारत गठबंधन से कोई संबंध नहीं है. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी कहा है कि चुनाव के बाद Mamata Banerjee भी बीजेपी को समर्थन दे सकती हैं.
नतीजों के बाद Mamata अपना रुख साफ करना चाहती हैं
माना जा रहा है कि वह फिलहाल इंडिया अलायंस में शामिल होकर अपना रुख साफ नहीं करना चाहती हैं और चुनाव नतीजों के बाद ही अपनी तस्वीर साफ करना चाहती हैं. इसीलिए वह इंडिया अलायंस से कभी दूर तो कभी करीब नजर आती हैं. लोकसभा चुनाव के नतीजों से पहले Mamata Banerjee खुलकर विपक्षी खेमे के साथ खड़ी नहीं होना चाहतीं. वह अपनी जीती हुई सीटों की संख्या और अपनी जरूरतों के आधार पर बातचीत कर इंडिया अलायंस में शामिल होने के बारे में सोचेंगी.
1 जून को अंतिम चरण का चुनाव, 4 जून को नतीजे
Mamata Banerjee द्वारा बताए गए इन कारणों को बीजेपी भारत गठबंधन से बचने का बहाना बता रही है. बीजेपी नेता सैयद सफर इस्लाम का कहना है कि इंडिया अलायंस की बैठक में शामिल नहीं होने के लिए Mamata Banerjee ने आखिरी चरण के चुनाव का बहाना बनाया है, जबकि वोटिंग के दिन उनका बंगाल में क्या काम है. वहीं, टीएमसी की ओर से कहा जा रहा है कि Mamata Banerjee इंडिया अलायंस की सभी बैठकों में शामिल होती रही हैं, लेकिन 1 जून को आखिरी चरण का चुनाव है. बंगाल में 9 सीटों पर वोटिंग है, लेकिन उससे भी ज्यादा राज्य पर चक्रवात का खतरा मंडरा रहा है. इसीलिए वे अपने प्रतिनिधि भेज रहे हैं. टीएमसी विपक्ष की हर बैठक में हिस्सा लेती रही है और आगे भी लेती रहेगी.