गुरुग्राम के सिलोखरा गांव में नगर निगम द्वारा सील की गई अवैध बिल्डिंग में सील किए जाने के बाद भी चल रहा है काम
सत्यखबर गुरुग्राम (ब्यूरो रिपोर्ट) – ‘जब सइयाँ भाए कोतवाल तो डर काहे का’ गुरुग्राम के सिलोखरा गांव में नगर निगम ने बिल्डिंग को सील किया है। करीब 1 साल से चल रहे काम के बाद सील किया है। सीएम विंडो पर शिकायत देने के बाद इस बिल्डिंग को सील किया गया है।
दिल्ली से सटे साइबर सिटी गुरुग्राम के सिलोखरा गांव में नगर निगम ने एक निर्माणाधीन बिल्डिंग को सील किया है। यह बिल्डिंग अवैध रूप से बनाई जा रही थी। डेढ़ साल पहले शिकायतकर्ता मुदित वशिष्ठ ने इस अवैध निर्माण की शिकायत नगर निगम गुरुग्राम को की गई थी, लेकिन नगर निगम ने इस पर कोई कार्यवाही नही की। लगातार शिकायत करने के बाद भी जब कोई कार्यवाही नहीं हुई तो शिकायतकर्ता नें इसकी लिखित शिकायत सीएम विंडो पर डाली, जिसके बाद नगर निगम हरकत में आया और आनन फानन में निर्माणाधीन बिडिंग को सील कर दिया गया।
लेकिन बिल्डिंग सील का दो गेट हैं और निगम नें एक गेट पर सील लगा दी लेकिन दूसरे गेट पर नहीं लगाई, जिसका फायदा निर्माणाधीन बिल्डिंग के मालिक नें उठाया। निर्माणाधीन बिल्डिंग के मालिक ने बिल्डिंग के दूसरे गेट से मजदूरों को अंदर बुलाकर काम करवाना चालू रखा। कोर्ट द्वारा बिल्डिंग को तोड़े जाने के ऑर्डर हो जाने के बाद भी नगर निगम इसको नहीं तोड़ रहा है। सीएम विंडो पर इसकी शिकायत देने के बाद भी एक साल से इस अवैध बिल्डिंग को नहीं तोड़ा गया है इस मामले की भी शिकायत नगर निगम को की गई, लेकिन इस पर भी नगर निगम ने चुप्पी साध रखी है।
गुरुग्राम के सिलोखरा गांव में एक निर्माणाधीन बिल्डिंग को सील तो कर दिया गया है लेकिन सील होने के बावजूद भी लगातार बिल्डिंग के अंदर काम चल रहा है। इस पर नगर निगम कमिश्नर नें कहा की अगर सील हुई बिल्डिंग में अगर अभी भी काम चल रहा है तो उस पर सख्त से सख्त कार्यवाही की जाएगी। इसके साथ साथ निगम कमिश्नर नें ये भी कहा की अगर प्रॉपर्टि प्रोपर ढंग से सील नहींहुई है तो जांच करके उसको सही ढंग से सील किया जाएगा।
गुरुग्राम में यह कोई पहली अवैध बिल्डिंग नहीं है जो ना तोड़ी गई हो बल्कि बहुत सारी ऐसी अवैध बिल्डिंग है जो नगर निगम के अधिकारियों की मिली भगत के चलते नहीं तोड़ी गई बल्कि कागजों में बिल्डिंग को तोड़ दिया गया है। ऐसा ही ये वाक्या भी है जिसके कोर्ट नें तोड़ने के ऑर्डर भी कर दिये है लेकिन एक साल से नगर निगम इसको नहीं तोड़ पाया है, बल्कि ये कहना सही होगा की नगर निगम के अधिकारियों की मिली भगत से इस बिल्डिंग को नहीं तोड़ा गया है बल्कि इसके अंदर अभी भी काम चल रहा है। अब ये तो समय ही बताएगा की कोर्ट के आदेशों का नगर निगम पालन करता है।