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Punjab: 137 करोड़ गुवावा बाग़ घोटाला, ED ने आरोपियों और मुआवजा प्राप्त किसानों का रिकॉर्ड मांगा

Punjab: इंफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) ने पंजाब के 137 करोड़ रुपये के गुवावा बाग़ घोटाले की जांच तेज कर दी है। ED के जलंधर सहायक निदेशक (AD) विकास खत्री ने पंजाब सरकार को एक पत्र लिखकर गुवावा बाग़ घोटाले की सतर्कता जांच में सामने आए सभी आरोपी अधिकारियों और जिन किसानों को GMADA ने मुआवजा दिया है, उनके रिकॉर्ड की मांग की है।

Punjab: 137 करोड़ गुवावा बाग़ घोटाला, ED ने आरोपियों और मुआवजा प्राप्त किसानों का रिकॉर्ड मांगा

66 लोगों को जारी किए गए समन

AD खत्री ने 66 लोगों को समन जारी किए हैं। ED ने इन आरोपियों के फोटो, बैंक खाता विवरण, आधार कार्ड, पैन कार्ड और पासपोर्ट विवरण की मांग की है। अगर मामले की जांच कर रहे अधिकारियों की मानें, तो ED का अगला कदम इन आरोपियों और किसानों के बैंक खातों को जब्त करना और उन्हें पासपोर्ट प्राधिकरण से जोड़ना होगा, ताकि घोटाले से जुड़े कोई भी आरोपी और मुआवजा प्राप्तकर्ता विदेश न भाग सकें।

घोटाले की जांच के दौरान की गईं छापेमारी

27 मार्च को, ED ने पंजाब में 22 स्थानों पर छापेमारी की, जिसमें एक्साइज कमिश्नर वरुण रूजम और फतेहगढ़ साहिब के DC धीमान के निवास स्थान शामिल थे। छापेमारी मोहाली, पटियाला, बरनाला, फतेहगढ़ साहिब, बठिंडा और चंडीगढ़ में की गई थी।

पंजाब की सतर्कता पहले ही इस मामले की जांच कर रही है और अब तक 22 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इन अधिकारियों के अलावा, ED ने राज्य में कई प्रॉपर्टी डीलरों, बिल्डरों, व्यापारियों और GMADA के पूर्व अधिकारियों के घरों पर भी छापेमारी की। एक्साइज और टैक्सेशन कमिश्नर वरुण रूजम के घर की तलाशी के दौरान, ED ने उनके घर के बाहर एक बगीचे में कुछ दस्तावेज़ फटे और फेंके हुए पाए। इसके संबंध में, ED ने अब आरोपित अधिकारियों और मुआवजा प्राप्तकर्ताओं का रिकॉर्ड मंगाया है।

गुवावा बाग़ घोटाले की पृष्ठभूमि

यह घोटाला Greater Mohali Development Authority (GMADA) के Aerotropolis प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण से संबंधित है। GMADA ने परियोजना के लिए भूमि पूलिंग नीति के अनुसार दरें निर्धारित की थीं। भूमि पर लगाए गए गुवावा पेड़ों की कीमत को अलग से मुआवजा के रूप में दिया गया था। सभी फलदार पेड़ों की कीमत को Horticulture Department द्वारा निर्धारित किया गया था। इन पेड़ों की उम्र को 4 से 5 साल दिखाया गया था, जबकि वास्तव में ये 2018 में लगाए गए थे। उच्च न्यायालय ने मामले में दोषी लाभार्थियों से कुल 72.36 करोड़ रुपये जमा करने का आदेश दिया था, जिसमें से अब तक 43.72 करोड़ रुपये जमा किए जा चुके हैं। GMADA द्वारा अधिग्रहित की जाने वाली भूमि पर निर्धारित सीमा से अधिक गुवावा पौधे लगाए गए थे। आरोप है कि जिन लोगों ने भूमि को पट्टे पर लिया, उन्होंने प्रति एकड़ 2,000 से 2,500 पेड़ दिखाए। यह भी आरोप है कि उन्होंने 2018 में भूमि को पट्टे पर लिया और वहां गुवावा पौधे लगाए, जबकि इन पौधों को 2016 से रिकॉर्ड में दर्शाया गया।

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