Electric Car vs Petrol Car: इलेक्ट्रिक कार या पेट्रोल कार? कौन सी है ज्यादा आर्थिक? जानें सही विकल्प
Electric Car vs Petrol Car: आजकल, बहुत से लोग पेट्रोल और डीजल कारों को छोड़कर इलेक्ट्रिक कारों की ओर रुख कर रहे हैं। ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि इलेक्ट्रिक कार और पेट्रोल कार में से कौन सी ज्यादा आर्थिक होगी। अगर आप भी इस कन्फ्यूजन में हैं, तो इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस तरह से इलेक्ट्रिक और पेट्रोल कारों के खर्च की तुलना की जा सकती है और कौन सी कार आपके लिए ज्यादा फायदे की हो सकती है।
पेट्रोल कार के खर्च
पेट्रोल कार की बात करें तो उसकी चलाने की लागत प्रति किलोमीटर लगभग 7-8 रुपये होती है। यदि आपकी पेट्रोल कार महीने में 1500 किलोमीटर चलती है और उसका माइलेज 12-15 किलोमीटर प्रति लीटर है, तो आपको हर महीने लगभग 12,000 रुपये का पेट्रोल भरना पड़ेगा। दिल्ली में हाल ही में पेट्रोल की कीमत 94.72 रुपये प्रति लीटर है। ऐसे में, पेट्रोल कार चलाना महंगा साबित हो सकता है।
इलेक्ट्रिक कार के खर्च
अब बात करते हैं इलेक्ट्रिक कार की। यदि आप इलेक्ट्रिक कार को भी समान दूरी (1500 किलोमीटर) चलाते हैं, तो इलेक्ट्रिक कार की लागत प्रति किलोमीटर लगभग 1-1.5 रुपये होती है। दिल्ली में वर्तमान में बिजली की औसत लागत 6.11 रुपये प्रति यूनिट है। एक इलेक्ट्रिक कार को पूरी तरह से चार्ज करने के लिए लगभग 20 यूनिट बिजली की जरूरत होती है, जिससे चार्ज करने की कुल लागत करीब 2500 रुपये आती है। इस तरह, आप हर महीने लगभग 10,000 रुपये की बचत कर सकते हैं यदि आप इलेक्ट्रिक कार चलाते हैं।
रखरखाव की लागत
इलेक्ट्रिक कारों का रखरखाव पेट्रोल कारों की तुलना में बहुत कम होता है। पेट्रोल कारों में कई सारे कम्पोनेंट्स होते हैं और इनके रखरखाव के लिए आपको नियमित सर्विसिंग की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, पेट्रोल कारों में इंजन ऑइल, एअर फिल्टर, ब्रेक पैड्स आदि की नियमित देखभाल करनी पड़ती है, जबकि इलेक्ट्रिक कारों में इनमें से अधिकतर चीजें नहीं होती हैं।
प्रदूषण
पेट्रोल और डीजल कारें पर्यावरण को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाती हैं और वायु प्रदूषण बढ़ाती हैं, जिससे वैश्विक गर्मी का खतरा बढ़ता है। इसके विपरीत, इलेक्ट्रिक कारें बहुत कम वायु प्रदूषण करती हैं और इसलिए पर्यावरण के लिए बेहतर विकल्प मानी जाती हैं।
आयु
हाल ही में, दिल्ली और कई अन्य राज्यों में 10 साल से पुरानी पेट्रोल और डीजल कारों को हटाने के आदेश दिए गए हैं। जबकि इलेक्ट्रिक कारों की उम्र 15 साल तक हो सकती है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इलेक्ट्रिक कार की बैटरी 10-12 साल तक आराम से चल सकती है, जिससे आपको लंबे समय तक बिना किसी परेशानी के कार चलाने का फायदा मिलता है।
निष्कर्ष
यदि आप पेट्रोल और इलेक्ट्रिक कारों के बीच चयन करने में असमंजस में हैं, तो आपको अपनी जरूरतों और बजट के अनुसार निर्णय लेना चाहिए। पेट्रोल कारें जहां शुरुआती कीमत में सस्ती हो सकती हैं, वहीं इलेक्ट्रिक कारें लंबी अवधि में अधिक आर्थिक साबित होती हैं। इलेक्ट्रिक कारों की चलाने की लागत और रखरखाव की लागत कम होती है, साथ ही ये पर्यावरण के लिए भी बेहतर होती हैं।
इसलिए, अगर आप लंबी अवधि के लिए आर्थिक और पर्यावरण-मित्र विकल्प की तलाश में हैं, तो इलेक्ट्रिक कार आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है।