Supreme Court ने शाम की अदालतों और वर्चुअल सुनवाई की मांग को किया खारिज, कहा ये
Supreme Court ने शुक्रवार को एक जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया जिसमें देशभर के जिला अदालतों में शाम की अदालतों और वर्चुअल सुनवाई की व्यवस्था करने की मांग की गई थी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या वह जानता है कि देश में कितनी जिला अदालतें हैं? शाम की अदालतों की मांग की गई है, लेकिन वकील इसका विरोध करेंगे।
याचिका का मुख्य मुद्दा
Supreme Court में यह याचिका दायर की गई थी कि जिला अदालतों में शाम के समय अदालतें लगाई जाएं और वर्चुअल सुनवाई की व्यवस्था की जाए। याचिकाकर्ता किशन चंद जैन ने अपनी याचिका में कहा कि ट्रायल कोर्ट में वर्चुअल सुनवाई को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा सकता है।
Supreme Court का रुख
Supreme Court की बेंच, जिसमें मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल थे, ने इस याचिका पर सुनवाई के दौरान कई सवाल उठाए। बेंच ने कहा कि प्रशासन की कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए सभी जिला अदालतों के लिए समान निर्देश नहीं दिए जा सकते।
मुख्य न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता से पूछा, “क्या आपको पता है कि देश में कितनी जिला अदालतें हैं?” बेंच ने यह भी कहा कि अगर हम शाम की अदालतों के लिए निर्देश जारी करते हैं, तो क्या वकील दिन भर नियमित अदालतों में बहस करने के बाद शाम की अदालतों में भी बहस करेंगे?
बेंच के सवाल
Supreme Court ने कहा कि देश इतना बड़ा और जटिल है कि एक ही समाधान सब पर लागू नहीं किया जा सकता। बेंच ने यह भी कहा कि वकील शाम की अदालतों का विरोध करेंगे क्योंकि यह उनकी कार्यशैली पर प्रभाव डाल सकता है।
वर्चुअल सुनवाई पर विचार
वर्चुअल सुनवाई की बात करें तो, Supreme Court ने यह कहा कि इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए व्यापक विचार-विमर्श और तैयारी की आवश्यकता होगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि वर्चुअल सुनवाई के लिए प्रशासनिक और तकनीकी समस्याओं का समाधान आवश्यक है।
प्रशासनिक कठिनाइयाँ
Supreme Court ने प्रशासनिक कठिनाइयों का हवाला देते हुए कहा कि एक जैसा निर्देश सभी जिला अदालतों के लिए लागू नहीं किया जा सकता। हर जिला अदालत की अपनी अलग चुनौतियां और संसाधन होते हैं, जिन्हें ध्यान में रखकर ही कोई निर्णय लिया जा सकता है।
याचिका की अस्वीकृति के कारण
- वकीलों का विरोध: शाम की अदालतों को लेकर वकीलों का विरोध होना तय है, क्योंकि यह उनकी कार्यशैली और समय पर असर डाल सकता है।
- प्रशासनिक जटिलताएँ: देशभर में विभिन्न जिला अदालतों की प्रशासनिक स्थिति अलग-अलग है, जिससे एक ही समाधान सभी के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता।
- वर्चुअल सुनवाई की तैयारी: वर्चुअल सुनवाई को लागू करने के लिए तकनीकी और प्रशासनिक समस्याओं का समाधान करना होगा, जो अभी एक ही बार में संभव नहीं है।
निष्कर्ष
Supreme Court ने स्पष्ट किया कि शाम की अदालतों और वर्चुअल सुनवाई की मांग को लेकर एक समान समाधान लागू नहीं किया जा सकता है। अदालत ने यह भी कहा कि इस मामले में प्रशासनिक और व्यावहारिक कठिनाइयों को ध्यान में रखना आवश्यक है।
इस फैसले के बाद, वकील और अन्य कानूनी पेशेवरों को अपनी दिनचर्या और कार्यशैली में संभावित बदलावों के लिए तैयार रहना होगा। साथ ही, वर्चुअल सुनवाई के लिए आवश्यक तकनीकी और प्रशासनिक तैयारियों पर भी ध्यान देना होगा।
Supreme Court का यह फैसला दर्शाता है कि कानूनी प्रणाली में बदलाव लाना एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें विभिन्न पहलुओं और समस्याओं को ध्यान में रखना पड़ता है।