हरियाणा में बीजेपी और अकाली गठबंधन खतरे में क्यों पडा, जानिए
सत्यखबर कालांवाली (जगदीश प्रजापति) – हरियाणा में बीजेपी अकाली गठबंधन खतरे में क्यों पडा कल सिरसा में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला ने प्रैस वार्ता में कहा की फिलहाल हमारा अकाली से गठंधन की कोई चर्चा नही है। बल्कि अकाली अकाली हमारी सहयोगी पार्टी जरूर है। विधान सभा में गठबंधन करना है या नही इस पर कोई चर्चा नही हुई । क्या बीजेपी को इतना कोनफीडेंस है की वह अकेले चुनाव लड कर जीत जाऐगें। जबकी बीजेपी और अकाली दल का गठबधंन बहुत पुराना है चाहे वह पजांब में ही है। राजनेतिक पंडितो का मानना है कि किसी राज्य दल का गठबंधन हो तो उनकी कोशिश रहती है कि गंठबधन को अन्य राज्य मे फैलाया जाए।
लेकिन हाली में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 79 विधान सभा सीटों पर बढत हासिल हुई उसमें दो सीटें वह है यहां पर अकाली दल चुनाव लडते है अम्वाला शहर और कालांवाली हल्कीं कालांवाली में अकाली दल का मौजूदा विधायक है। हो सकता है कि बीजेपी अकालीदल को कालावांली की सीट देना दनी चाहती इसलिए अकालीदल से दुरी वना रही हो ।अगर आज की स्थिती की बात करे तो वीजेपी के पास हर सीट पर चार से पांच दावेदार है। इसलिए बीजेपी अकालीदल को सीट नही दे रही। अकालीदल और बीजेपी का गठंबधन दिल्ली में भी रहा है वहां पर 2017 में मनजिंद्र सिंह सिरसा भी बीजेपी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लडे और जिते भी । हो सकता है कि हरियाणा में अकालीदल का एक ही विधायक है बलकौर सिंह उनको एडजेसट कर लिया जाए उनको बीजेपी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लडाया जाए।
वही अगर आज की स्थिति की बात करे तो लोक सभा चुनावो में अकाली दल ने बीना शर्त के सर्मथन दिया था। अकालीदल की भी एक मजबूरी रही है कि वह देवीलाल के परिवार के खास रहे है।
सुत्रो कि बात करे तो आज हरियाणा में अकालीदल को अपने आप को मजबूत करने के लिए भाजपा का साथ जरूरी है। पिछले समय की बात करें तो भले ही भाजपा अकालीदल का गठंबधन रहा हो हरियाणा में भाजपा का अकालीदल ने विरोध ही किया है। लेकिन अब समय ने करवट ले ली भाजपा हरियाणा में प्रबल पार्टी है। लेकिन राजनिति मतें ऐसा कुछ नही होता राजहनिति में एक और एक ग्याहर होते है। हरियाणा में कई सीटे है यहां पर अकालीदल का अच्छा खासा प्रभाव है। करनाल करूक्षेत्र कालांवाली अंम्बाला पिहोवा डवबाली रानिया अन्य सीटे है सुभाष बराला ने जो कल ब्यान जारी किया है राजनेतिक सुत्रो की माने तो यह फैसला उनके के हाथ में नही है।
यह फैसला तो अमीत शाह डा अनिल जैन ,मुख्य मंत्री मनहोर लाल खटटर के लेवल पर होगा और यह फैसला तब होगा जब आचार सहिंता लग जाएंगी। अकाली दल अंदर से चहता है कि वह देवीलाल पपिवार को छोड कर भाजपा के साथ हरियाणा मे सिख राजनिति करे। वही भाजपा भी नही चाहेगी की अकालीदल से नाता तोडा जाए क्योकि आने वाले समय में पजांब में चुनाब है वहा पर्र भाजपा को एक मजबूत सहयोगी दल की जरूरत है। कालावाली हरियाएएा की वह सीट है जो पजांब के साथ लगती है। हो सकता है कि भाजपा आपने चिन्न्ह पर अकाली दल को सीट दे दे।