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Bathinda: गुरुद्वारे के ग्रंथी की हैरतअंगेज करतूत, पुलिस ने किया गिरफ्तार

Bathinda: बठिंडा के कोटशमीर गांव स्थित गुरुद्वारा चकरियन साहिब में काम करने वाले ग्रंथी पारगट सिंह की एक हैरतअंगेज करतूत सामने आई है। पारगट सिंह, जो हरियाणा के फतेहाबाद जिले के बड़ियाला का निवासी है, ने गुरुद्वारे के लेटर पैड और मुहर चुरा कर उन लोगों को विवाह प्रमाणपत्र जारी किए जो प्यार के लिए शादी कर रहे थे।

Bathinda: गुरुद्वारे के ग्रंथी की हैरतअंगेज करतूत, पुलिस ने किया गिरफ्तार

इस घटना की जानकारी देते हुए सदर पुलिस थाने के इंचार्ज मेजर सिंह ने बताया कि कोटशमीर के निवासी हरप्रीत सिंह ने शिकायत दर्ज कराई थी। हरप्रीत ने बताया कि पारगट सिंह ने 17 जुलाई 2024 को गुरुद्वारे की सेवाओं से इस्तीफा दे दिया था और उस समय वह गुरुद्वारे के लेटर पैड और मुहर अपने साथ ले गया था।

घटना का विवरण

पारगट सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान गुरुद्वारे की आधिकारिक मुहर और लेटर पैड का उपयोग कर कुछ लोगों को विवाह प्रमाणपत्र जारी किए। यह प्रमाणपत्र उन जोड़ों के लिए थे जो बिना किसी धार्मिक या पारिवारिक सहमति के प्यार की शादी कर रहे थे। इस प्रकार की गतिविधियां न केवल धार्मिक संस्थानों के प्रति विश्वास को चोट पहुँचाती हैं, बल्कि समाज में अव्यवस्था भी पैदा करती हैं।

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हरप्रीत सिंह की शिकायत के बाद, पुलिस ने मामले की जांच शुरू की। उन्होंने पाया कि पारगट सिंह ने अपने निजी लाभ के लिए गुरुद्वारे की मुहर और लेटर पैड का दुरुपयोग किया। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कार्रवाई की और पारगट सिंह को गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस की कार्रवाई

पुलिस ने पारगट सिंह को गिरफ्तार करने के बाद उससे पूछताछ की। पूछताछ के दौरान उसने अपने अपराध को स्वीकार किया और बताया कि वह आर्थिक लाभ के लिए यह सब कर रहा था। पुलिस ने इस मामले में और भी जांच शुरू की है ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या पारगट सिंह ने अकेले यह सब किया या फिर इसके पीछे और भी लोग शामिल थे।

पुलिस का मानना है कि इस तरह की घटनाएं समाज में धार्मिक संस्थानों की विश्वसनीयता को कमजोर करती हैं। उन्होंने कहा कि वे ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई करेंगे ताकि भविष्य में कोई भी इस तरह के अपराध करने की हिम्मत न करे।

धार्मिक संस्थानों का महत्व

गुरुद्वारे और अन्य धार्मिक संस्थान समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये केवल धार्मिक सेवाओं का स्थान नहीं होते, बल्कि वे सामाजिक एकता और भाईचारे का भी प्रतीक होते हैं। ऐसे में जब इन संस्थानों का दुरुपयोग होता है, तो यह समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय बन जाता है।

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पारगट सिंह की इस घटना ने लोगों के बीच यह सवाल खड़ा किया है कि क्या हमें अपने धार्मिक संस्थानों के प्रति अधिक सतर्क रहना चाहिए। क्या हमें अपने धार्मिक संस्थानों के कर्मचारियों की गतिविधियों पर नजर रखनी चाहिए? यह सवाल महत्वपूर्ण है क्योंकि धार्मिक विश्वास और सामाजिक व्यवस्था पर इस तरह की घटनाओं का गहरा असर होता है।

सामाजिक प्रतिक्रिया

इस घटना के बाद, स्थानीय लोगों में भारी नाराजगी देखने को मिल रही है। कई लोगों ने पुलिस की कार्रवाई की सराहना की है और कहा है कि ऐसे लोगों को सख्त सजा मिलनी चाहिए जो धार्मिक संस्थानों का दुरुपयोग करते हैं। लोगों का मानना है कि इस तरह के व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि समाज में ऐसे अपराधों की पुनरावृत्ति न हो।

कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा है कि इस घटना के बाद धार्मिक संस्थानों को अपने नियमों और प्रक्रियाओं को अधिक सख्त करने की आवश्यकता है। उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके कर्मचारी सही तरीके से कार्य कर रहे हैं और धार्मिक संस्थान के सिद्धांतों का पालन कर रहे हैं।

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