Tirupati Laddu controversy: श्री रविशंकर का बड़ा बयान तिरुपति लड्डू विवाद पर, 1857 के सिपाही विद्रोह की याद दिलाई
Tirupati Laddu controversy: आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर में लड्डू प्रसाद में पशु वसा के उपयोग को लेकर देशभर में हलचल मची हुई है। इस विवाद पर आध्यात्मिक गुरु और आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर का एक बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने इस मुद्दे पर गंभीर चिंता व्यक्त की और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के इस मामले को गंभीरता से लिया है। आइए जानते हैं उन्होंने इस मामले में क्या कहा।
1857 के सिपाही विद्रोह की तुलना
श्री श्री रविशंकर ने कहा, “हमने इतिहास की किताबों में पढ़ा है कि 1857 में सिपाही विद्रोह कैसे हुआ। अब हम देख रहे हैं कि कैसे हिंदुओं की भावनाएँ इस लड्डू के कारण चोटिल हो रही हैं। यह कुछ ऐसा है जिसे माफ नहीं किया जा सकता।” उन्होंने यह स्पष्ट किया कि धार्मिक भावनाओं को चोट पहुँचाना गंभीर मामला है और इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।
खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता पर सवाल
उन्होंने आगे कहा, “यह एक दुष्टता है और इसमें शामिल लोगों की लालच की चरम सीमा है। उन सभी को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। उनकी सम्पत्ति को जब्त किया जाना चाहिए और उन्हें जेल में डालना चाहिए। हमें न केवल लड्डू बल्कि हर खाद्य उत्पाद की जांच करनी चाहिए। बाजार में उपलब्ध घी के बारे में क्या? क्या कोई यह देख रहा है कि उसमें क्या डाला जा रहा है? सभी खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वालों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए, चाहे वह शाकाहारी लेबल के साथ हो या अन्यथा।”
आध्यात्मिक गुरु की समिति बनाने का सुझाव
श्री श्री रविशंकर ने यह भी सुझाव दिया कि मंदिर प्रबंधन को संतों, स्वामियों और आध्यात्मिक नेताओं की निगरानी में होना चाहिए। उन्होंने कहा, “हमें आध्यात्मिक गुरुओं की एक समिति बनानी चाहिए, जिसमें उत्तर और दक्षिण के संत शामिल हों। इसमें एक सरकारी व्यक्ति भी होना चाहिए, लेकिन उसकी भूमिका सीमित होनी चाहिए। लेकिन प्रमुख निर्णय, निगरानी और सभी कुछ धार्मिक बोर्डों द्वारा किया जाना चाहिए, जैसे SGPC, मुस्लिम निकाय, और ईसाई निकाय।”
मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू का आरोप
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने बुधवार को इस मुद्दे पर पूर्व वाईएसआर कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान तिरुपति मंदिर में लड्डू बनाने में निम्न गुणवत्ता की सामग्री और पशु वसा का उपयोग किया गया। उन्होंने कहा, “मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि जगन प्रशासन ने तिरुपति प्रसाद में घी की जगह पशु वसा का उपयोग किया। उन लोगों को शर्म आनी चाहिए जो करोड़ों भक्तों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान नहीं कर सके।”
धार्मिक भावनाओं का सम्मान आवश्यक
यह विवाद न केवल तिरुपति मंदिर के भक्तों के लिए बल्कि पूरे देश के धार्मिक समुदायों के लिए एक संवेदनशील मुद्दा बन गया है। धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना समाज के लिए अत्यंत आवश्यक है। श्री श्री रविशंकर के बयान ने इस मुद्दे को और भी महत्वपूर्ण बना दिया है, जिससे पता चलता है कि इस मामले की गंभीरता को समझा जा रहा है।