Punjab: मुख्यमंत्री भगवंत मान को फोर्टिस अस्पताल से मिली छुट्टी, चार दिन तक थे भर्ती, कांग्रेस नेता परगट सिंह ने भी की मुलाकात
Punjab: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को मोहाली के फोर्टिस अस्पताल से चार दिनों के इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई है। मुख्यमंत्री को रविवार दोपहर करीब 3 बजे अस्पताल से छुट्टी मिली। भगवंत मान को शनिवार को बैक्टीरियल संक्रमण लेप्टोस्पाइरोसिस का पता चला था, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें एंटीबायोटिक्स दी जा रही थीं। इससे पहले, मुख्यमंत्री का बुधवार को नियमित जांच के लिए फोर्टिस अस्पताल में दाखिला हुआ था, लेकिन तबीयत बिगड़ने के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा।
परगट सिंह ने की मुलाकात
मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य की जानकारी लेने के लिए कांग्रेस नेता परगट सिंह ने भी अस्पताल में पहुंचकर उनसे मुलाकात की। परगट सिंह ने कहा, “मैं आम आदमी पार्टी का विरोधी हूं, लेकिन एक मुख्यमंत्री राज्य का प्रमुख होता है, और उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी रखना हमारी जिम्मेदारी है। इसलिए मैं मुख्यमंत्री भगवंत मान से मिलने आया हूं। यह पंजाब की संस्कृति है कि हम एक-दूसरे के स्वास्थ्य के बारे में पूछताछ करते हैं।”
परगट सिंह ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री से मुलाकात की और उनका स्वास्थ्य सुधार पर है। इसके साथ ही उन्होंने इस बात पर नाराजगी जताई कि मुख्यमंत्री की अपनी पार्टी के विधायकों ने उनसे मुलाकात नहीं की। उन्होंने कहा, “आपके मुख्यमंत्री अस्पताल में भर्ती हैं और आपकी पार्टी के लोग उनसे मिलने नहीं आए, यह डर का परिणाम है। जब दिल्ली में कोई छींक भी मारता है, तो ये लोग ट्वीट कर शुभकामनाएं देते हैं, लेकिन अपने ही मुख्यमंत्री के अस्पताल में भर्ती होने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। यह पंजाबियों का चरित्र नहीं है।”
डॉक्टरों का बयान
फोर्टिस अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. आर.के. जसवाल ने बताया कि मुख्यमंत्री भगवंत मान का हृदय शुक्रवार को जांचा गया था। डॉक्टरों ने बताया कि उनकी हालत फेफड़ों की धमनियों में उच्च रक्तचाप (पल्मोनरी आर्टरी हाइपरटेंशन) के कारण खराब हो गई थी। इसके चलते उन्हें सांस लेने में तकलीफ और छाती में दर्द जैसी समस्याएं हो रही थीं। डॉक्टरों की टीम ने मुख्यमंत्री के हृदय की धमनियों की भी जांच की थी, जिसकी रिपोर्ट आने के बाद ही इलाज की अगली दिशा तय की जाएगी। डॉक्टरों के अनुसार, मुख्यमंत्री को तब तक अस्पताल में भर्ती रखा गया, जब तक हृदय की जांच की सभी रिपोर्ट्स स्पष्ट नहीं हो जातीं। हालाँकि, रविवार को उनकी सभी रिपोर्ट्स आ जाने के बाद, उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
10 दिन पहले भी बिगड़ी थी तबीयत
मुख्यमंत्री भगवंत मान की तबीयत करीब 10 दिन पहले भी अचानक खराब हो गई थी। तब वे चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर थे, और उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें तुरंत दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहां भी उन्हें कुछ समय तक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई थी।
स्वास्थ्य में सुधार और भविष्य की चुनौतियाँ
हालांकि अब मुख्यमंत्री भगवंत मान की तबीयत में सुधार हो रहा है, लेकिन डॉक्टरों के अनुसार, उनका उच्च रक्तचाप और हृदय संबंधी समस्याएं भविष्य में भी चिंता का विषय हो सकती हैं। बढ़ी हुई धमनियों का रक्तचाप उनके शरीर पर अधिक दबाव डाल रहा है, जिससे सांस लेने में कठिनाई और छाती में दर्द जैसी समस्याएं हो रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि मुख्यमंत्री को आगे भी अपनी सेहत का ध्यान रखना होगा और नियमित जांच करवानी होगी।
मुख्यमंत्री का स्वास्थ्य, खासतौर पर उनके हृदय की स्थिति, पंजाब की राजनीति में भी चर्चा का विषय बना हुआ है। एक ओर जहां मुख्यमंत्री भगवंत मान अपने राज्य की जनता के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उनकी सेहत के प्रति लापरवाही उन्हें और उनके प्रशासन को भविष्य में समस्याओं का सामना करवा सकती है।
राजनीतिक पक्षों की प्रतिक्रिया
भगवंत मान की तबीयत को लेकर राजनीतिक गलियारों में भी चर्चाएं तेज हो गई हैं। जहां कांग्रेस नेता परगट सिंह ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली, वहीं आम आदमी पार्टी के कई विधायकों द्वारा उनके स्वास्थ्य के प्रति उदासीनता पर सवाल खड़े किए गए। परगट सिंह ने इस पर खुलकर कहा कि मुख्यमंत्री के अपने विधायकों का उनसे मिलने न आना चिंता का विषय है। उन्होंने इसे दिल्ली के डर से जोड़ते हुए कहा कि दिल्ली में कोई घटना होती है तो ये विधायक तुरंत प्रतिक्रिया देते हैं, लेकिन अपने ही मुख्यमंत्री की तबीयत बिगड़ने पर चुप्पी साध लेते हैं।
यह घटना राजनीतिक दलों के भीतर आपसी संबंधों और समर्थन की स्थिति पर भी सवाल खड़े करती है। मुख्यमंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद पर बैठे व्यक्ति की तबीयत खराब होने पर भी अगर उनकी पार्टी के नेता उन्हें समर्थन देने के लिए नहीं पहुंचते, तो यह स्थिति राजनीतिक दृष्टिकोण से भी चिंताजनक है।