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Supreme Court: मजदूर के बेटे को ऐसे नहीं छोड़ सकते, वह IIT धनबाद में ही पढ़ेगा’, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, रद्द हुआ था दाखिला

Supreme Court: सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक मजदूर के बेटे को IIT धनबाद में दाखिला देने का आदेश दिया, जिसका दाखिला फीस जमा न करने के कारण रद्द कर दिया गया था। दलित युवा अतुल कुमार समय पर फीस जमा नहीं कर पाए थे, जिससे उन्हें IIT धनबाद में प्रवेश नहीं मिल सका था। अब अदालत ने संस्थान को आदेश दिया है कि उसे B.Tech कोर्स में दाखिला दिया जाए।

‘उसे ऐसे नहीं छोड़ सकते’ – सुप्रीम कोर्ट

मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, “हम इस प्रतिभाशाली युवा को मौका देने से वंचित नहीं कर सकते। उसे ऐसे नहीं छोड़ा जा सकता।”

Supreme Court: मजदूर के बेटे को ऐसे नहीं छोड़ सकते, वह IIT धनबाद में ही पढ़ेगा', सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, रद्द हुआ था दाखिला

IIT धनबाद में दाखिला देना होगा – सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेषाधिकारों का उपयोग करते हुए IIT धनबाद को आदेश दिया कि वह अतुल कुमार को विद्युत इंजीनियरिंग B.Tech कोर्स में दाखिला दे। पीठ ने अपने आदेश में कहा, “हम मानते हैं कि याचिकाकर्ता जैसा प्रतिभाशाली छात्र, जो एक पिछड़े वर्ग से आता है और जिसने दाखिला लेने के लिए हर संभव प्रयास किया, उसे वंचित नहीं किया जाना चाहिए। हम निर्देश देते हैं कि उम्मीदवार को IIT धनबाद में दाखिला दिया जाए और उसे उसी बैच में शामिल किया जाए जिसमें वह होता, यदि उसने समय पर फीस जमा कर दी होती।”

छात्र के पिता 17,500 रुपये जमा नहीं कर पाए

संविधान का अनुच्छेद 142 सुप्रीम कोर्ट को न्याय के हित में कोई भी आदेश पारित करने का अधिकार देता है। 18 वर्षीय अतुल कुमार के माता-पिता 17,500 रुपये की फीस 24 जून तक जमा नहीं कर पाए, जो फीस जमा करने की अंतिम तिथि थी। कुमार के माता-पिता ने उनके IIT सीट को बचाने के लिए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, झारखंड लीगल सर्विसेज अथॉरिटी और मद्रास उच्च न्यायालय तक भी अपील की थी।

छात्र के पिता दैनिक मजदूर हैं

अतुल कुमार, जो उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के तितौरा गांव के निवासी हैं, एक दैनिक मजदूर के बेटे हैं। उनका परिवार गरीबी रेखा से नीचे (BPL) के अंतर्गत आता है। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने भी उनकी मदद करने में असमर्थता जताई थी। चूंकि कुमार ने JEE परीक्षा झारखंड के एक केंद्र से दी थी, इसलिए उन्होंने झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण से भी संपर्क किया, जिन्होंने उन्हें मद्रास उच्च न्यायालय से संपर्क करने की सलाह दी थी, क्योंकि परीक्षा IIT मद्रास द्वारा आयोजित की गई थी। उच्च न्यायालय ने कुमार को सुप्रीम कोर्ट से संपर्क करने के लिए कहा था।

न्याय का हित

यह मामला न्याय की प्राप्ति के लिए संविधान में दिए गए विशेषाधिकारों का सही उपयोग है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला दिखाता है कि कैसे एक गरीब परिवार के छात्र को न्याय मिल सकता है, भले ही वह आर्थिक कठिनाइयों से जूझ रहा हो। अतुल कुमार की कड़ी मेहनत और संघर्ष ने आखिरकार उन्हें उनका हक दिलाया।

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