Jagan Mohan Reddy और बहन शर्मिला के बीच संपत्ति विवाद गहराया, शर्मिला बोलीं – ‘वह अकेले वारिस नहीं’
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस Jagan Mohan Reddy और उनकी बहन वाईएस शर्मिला के बीच संपत्ति विवाद अब गहराता जा रहा है। हाल ही में, तेलुगू दैनिक ‘साक्षी’ में प्रकाशित एक खबर के जवाब में शर्मिला ने वाईएसआर समर्थकों को एक खुला पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने कहा कि Jagan Mohan Reddy परिवार की संपत्ति के अकेले वारिस नहीं हैं। उनके पिता वाईएस राजशेखर रेड्डी के जीवनकाल में और उनके निधन के बाद भी किसी संपत्ति का बंटवारा नहीं हुआ है।
पिता की अंतिम इच्छा – संपत्ति का बंटवारा पोते-पोतियों में समान रूप से हो
शर्मिला ने अपने पत्र में लिखा, “आज की तारीख तक, मेरे और मेरे बच्चों के अधिकार क्षेत्र में कोई संपत्ति नहीं है। Jagan Mohan Reddy परिवार की संपत्तियों के अकेले उत्तराधिकारी नहीं हैं। पिता की अंतिम इच्छा थी कि सभी पारिवारिक व्यवसाय चारों पोते-पोतियों में समान रूप से बांटे जाएं। वाईएसआर केवल Jagan Mohan Reddy के नहीं थे, बल्कि पूरे परिवार के थे। Jagan Mohan Reddy केवल संरक्षक के रूप में कार्य कर रहे हैं और यह उनकी जिम्मेदारी है कि वे इन संपत्तियों को चारों पोते-पोतियों में समान रूप से बांटे।”
‘साक्षी’ के समाचार पर हंगामा
आंध्र प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष ने ‘साक्षी’ अखबार में प्रकाशित एक खबर के जवाब में पत्र जारी किया। ‘साक्षी’ अखबार खुद Jagan Mohan Reddy के स्वामित्व में है। शर्मिला ने दावा किया कि साक्षी में छपे तथ्य सही नहीं हैं और उन्हें तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। उन्होंने कहा कि सच्चाई का पता लगाना और उसे लोगों के सामने रखना उनका कर्तव्य है।
मां ने लिखी सैकड़ों चिट्ठियां
शर्मिला ने बताया कि यह दावा कि वाईएसआर के जीते जी संपत्ति का बंटवारा हो गया था, यह भी गलत है। उन्होंने कहा कि सभी संपत्तियां, जिन पर Jagan Mohan Reddy दावा करते हैं, असल में पारिवारिक संपत्तियां हैं। उनकी मां वाईएस विजयम्मा ने संपत्ति के बंटवारे के संबंध में सैकड़ों पत्र लिखे हैं। लेकिन अभी तक उनके बच्चों को संपत्ति का कोई हिस्सा नहीं मिला है, जबकि उनका कानूनी हक बनता है।
200 करोड़ रुपये के मुद्दे पर चुप्पी तोड़ी
शर्मिला ने 2009 से 2019 के बीच 200 करोड़ रुपये देने के दावे पर भी जवाब दिया। उन्होंने कहा कि उस समय Jagan Mohan Reddy का नजरिया कुछ और था। 10 साल में 200 करोड़ रुपये कंपनियों से प्राप्त लाभांश का आधा हिस्सा है, जो यह स्पष्ट करता है कि उनके बच्चों का भी कंपनियों में समान अधिकार है। इसे एहसान या उपहार के रूप में नहीं देखा जा सकता, बल्कि यह हमारी बराबरी का हिस्सा है। भले ही इसे कर्ज के रूप में दिखाया गया हो, लेकिन बराबरी के हिस्से की स्वीकृति इसमें निहित है।
मुख्यमंत्री बनने के बाद Jagan Mohan Reddy का बदला व्यवहार
शर्मिला ने बताया कि 2019 में मुख्यमंत्री बनने के बाद Jagan Mohan Reddy का व्यवहार बदल गया। उन्होंने परिवार को अलग करने का प्रस्ताव रखा और लगभग आधे घंटे के भीतर यह तय हो गया कि कौन-कौन सी संपत्ति किसके हिस्से में जाएगी। इस बंटवारे के तहत ‘साक्षी’ में 40 प्रतिशत, भारती सीमेंट्स में 40 प्रतिशत, सरस्वती पावर में 100 प्रतिशत, यलहंका की संपत्ति में 100 प्रतिशत, और अन्य संपत्तियां सहित दिवंगत वाईएसआर का निवास उनके हिस्से में आया। इसके बाद एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर भी हस्ताक्षर किए गए।
आलोचना रोकने का दबाव
शर्मिला ने कहा कि मुख्यमंत्री बनने के बाद जगन मोहन ने उनसे उम्मीद की कि वे उनकी आलोचना बंद कर दें। जब उन्होंने ऐसा नहीं किया, तो जगन ने उनके और उनकी मां के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में एक मामला दायर किया और आरोप लगाया कि उन्होंने धोखे से सरस्वती पावर में हिस्सेदारी हासिल की।
समर्थकों से अपील – भ्रमित न हों
शर्मिला ने अपने पत्र के अंत में कहा कि उनकी मां को संपत्ति का कोई लालच नहीं है और वाईएसआर के समर्थकों को इस मुद्दे पर भ्रमित नहीं होना चाहिए। MoU पर हस्ताक्षर हुए पांच साल बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक उन्हें एक भी संपत्ति नहीं मिली है। उन्होंने इस मुद्दे पर न तो मीडिया से बात की और न ही कानूनी रास्ता अपनाया। आर्थिक समस्याओं के बावजूद उन्होंने परिवार और वाईएसआर की गरिमा को बनाए रखने का पूरा प्रयास किया है।
इस तरह से, वाईएस Jagan Mohan Reddy और उनकी बहन वाईएस शर्मिला के बीच का यह संपत्ति विवाद अब गहराता जा रहा है। दोनों भाई-बहन के बीच तल्खी की इस खबर ने समर्थकों और आम जनता के बीच भी उथल-पुथल मचा दी है।