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Punjab by Election 2024: चार दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर, चुनाव राजनीतिक भविष्य को भी तय करेगा

Punjab by Election 2024: पंजाब विधानसभा की चार सीटों के लिए उपचुनाव की राजनीतिक पिच तैयार है। यह चुनाव 13 नवंबर को होने जा रहा है, और इस बार कई राजनीतिक दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। सभी नेता अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत हैं, क्योंकि यह चुनाव उनके राजनीतिक भविष्य को भी तय करेगा। इस उपचुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वारिंग, पूर्व डिप्टी सीएम और सांसद सुखजिंदर सिंह रंधावा, गुरमीत सिंह मीत हायर, और मनप्रीत बादल की राजनीतिक पहचान पर असर पड़ने वाला है।

राजा वारिंग का परिवारिक चुनावी दांव

पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष राजा वारिंग ने गिद्दरबाहा से विधायक के पद से इस्तीफा देकर अपनी पत्नी अमृता वारिंग को चुनावी मैदान में उतारा है। राजा वारिंग ने पिछले तीन चुनावों में इस विधानसभा क्षेत्र पर अपनी मजबूत पकड़ बनाई है। यही कारण है कि उन्होंने अपनी पत्नी को चुनाव में उतारा है ताकि पिछले चुनाव के परिणामों को दोहराया जा सके। उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने लोकसभा में 7 सीटें जीती थीं। अब उनकी चुनौती न केवल अपनी सीट को बचाना है, बल्कि अपने राजनीतिक भविष्य को भी सुरक्षित करना है। अगले विधानसभा चुनाव 2027 में होने हैं, इसलिए यह चुनाव परिणाम उनके लिए और भी महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।

हालांकि, राजा वारिंग का वोट प्रतिशत पिछले चुनावों की तुलना में गिरा है। 2017 में उन्होंने 45.9 प्रतिशत वोट हासिल किए थे, जो 2022 में घटकर 35.47 प्रतिशत रह गया।

Punjab by Election 2024: चार दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर, चुनाव राजनीतिक भविष्य को भी तय करेगा

रंधावा की प्रतिष्ठा की परीक्षा

उपचुनाव में पूर्व डिप्टी सीएम और सांसद सुखजिंदर सिंह रंधावा की स्थिति भी राजा वारिंग की तरह ही है। उन्होंने डेहरा बाबा नानक सीट से तीन बार जीत हासिल की है, लेकिन अब उनकी पत्नी जतिंदर कौर चुनावी मैदान में हैं। रंधावा ने कांग्रेस में कई महत्वपूर्ण पद संभाले हैं और 2022 विधानसभा चुनावों में भी उन्होंने अपनी सीट बचाई थी। अब, उनके लिए यह चुनाव उनकी प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। क्षेत्र के सांसद होने के नाते, उनकी जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है कि पार्टी इस सीट पर अच्छा प्रदर्शन करे।

रंधावा का वोट प्रतिशत भी पिछले चुनावों में गिरावट की ओर बढ़ रहा है। 2012 में 50.22 प्रतिशत वोट हासिल करने के बाद, यह 2017 में घटकर 42.83 प्रतिशत और 2022 में 36.70 प्रतिशत हो गया।

मनप्रीत बादल की राजनीतिक अस्तित्व की चुनौती

पांच बार विधायक रह चुके और दो बार वित्त मंत्री रहे मनप्रीत बादल के लिए पिछले चुनाव के परिणाम अच्छे नहीं रहे थे। उन्होंने पिछली बार कांग्रेस के टिकट पर बठिंडा शहरी सीट से चुनाव लड़ा और हार गए। उन्हें केवल 18.12 प्रतिशत वोट मिले। इस बार, वे भाजपा के उम्मीदवार के रूप में गिद्दरबाहा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। यदि मनप्रीत जीतते हैं, तो यह चुनाव उनके लिए एक जीवनरक्षक साबित हो सकता है, लेकिन यदि परिणाम विपरीत रहे, तो यह उनके राजनीतिक भविष्य के लिए खतरा बन सकता है।

मीत हायर का दोस्ताना मुकाबला

गुरमीत सिंह मीत हायर के लिए यह चुनाव विशेष है क्योंकि उनके सहपाठी हरिंदर सिंह ढिल्लों उनके विधानसभा क्षेत्र बARNाला से चुनाव लड़ रहे हैं। मीत हायर ने 2017 और 2022 में Barnala से विधायक के रूप में जीत हासिल की थी, इसलिए उनकी जिम्मेदारी भी इस चुनाव में बढ़ गई है। उनके लिए यह चुनाव न केवल उनकी व्यक्तिगत पहचान का प्रश्न है, बल्कि उनके राजनीतिक भविष्य का भी निर्धारण करेगा।

निर्णायक चुनाव परिणाम

इन चार दिग्गजों की प्रतिष्ठा इस उपचुनाव में दांव पर है, और उनके प्रदर्शन से न केवल उनकी व्यक्तिगत राजनीति पर प्रभाव पड़ेगा, बल्कि पार्टी के लिए भी नई दिशा तय करेगा। सभी नेताओं की नज़र इस चुनाव पर है, और यह देखने में दिलचस्प होगा कि कौन अपनी प्रतिष्ठा को बचा पाने में सफल होता है और कौन अपने राजनीतिक सफर को आगे बढ़ाने में सफल होता है।

उपचुनाव के महत्व

यह उपचुनाव न केवल पंजाब की राजनीतिक स्थिति को प्रभावित करेगा, बल्कि पूरे देश में राजनीतिक दांव-पेंचों का भी परिचायक बनेगा। यह उन नेताओं के लिए भी एक बड़ी परीक्षा होगी, जो अपनी पार्टी के लिए अपनी स्थिति को मजबूत बनाना चाहते हैं। न केवल ये चुनावी परिणाम व्यक्तिगत स्तर पर महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इनके द्वारा जनता के मन में जो विश्वास बनेगा, वह भी महत्वपूर्ण है।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, ये चुनाव भविष्य में पार्टी की राजनीति और नेतृत्व को भी प्रभावित कर सकते हैं। जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, सभी दिग्गजों की गतिविधियों पर नज़र रखना महत्वपूर्ण होगा। यह स्पष्ट है कि पंजाब में यह उपचुनाव कई मायनों में निर्णायक साबित होगा।

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