Punjab: सुखबीर सिंह बादल ने पार्टी प्रमुख पद से इस्तीफा दिया, पंजाब की राजनीति में नई हलचल
Punjab की राजनीति में एक बड़ा मोड़ आया है, जब शिरोमणि अकाली दल (SAD) के प्रमुख और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। यह जानकारी शिरोमणि अकाली दल के उपाध्यक्ष डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने अपने एक्स अकाउंट (पूर्व में ट्विटर) के माध्यम से दी। उन्होंने बताया कि सुखबीर बादल ने यह इस्तीफा पार्टी की कार्यकारी समिति को सौंप दिया है। इस्तीफा देने के बाद सुखबीर सिंह बादल ने पार्टी के सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं का धन्यवाद किया, जिन्होंने उनके नेतृत्व में उन्हें पूरा समर्थन दिया।
सुखबीर बादल के इस्तीफे के बाद पार्टी की कमान पार्टी के उपाध्यक्ष डॉ. दलजीत सिंह चीमा को सौंपी जा सकती है, हालांकि इस प्रक्रिया में समय लग सकता है। इस इस्तीफे से पंजाब की राजनीति में नए बदलावों की आहट सुनाई दे रही है, जहां शिरोमणि अकाली दल की स्थिति पहले की तुलना में काफी कमजोर हो गई है।
शिरोमणि अकाली दल की स्थिति और चुनावी परिणाम
शिरोमणि अकाली दल की हालत पिछले कुछ वर्षों में लगातार कमजोर होती जा रही है। पार्टी को 2017 के विधानसभा चुनावों में भारी हार का सामना करना पड़ा था। पार्टी ने 59 सीटों से गिरकर सिर्फ 15 सीटों पर अपनी स्थिति बनाई। इस हार के पीछे सबसे बड़ा कारण गुरु ग्रंथ साहिब के अपमान की घटनाओं को माना गया। इन घटनाओं से पंजाबी समाज का एक बड़ा वर्ग नाराज हो गया था। इसके अलावा, डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को माफी देने का विवाद और समेदh सैनी की डीजीपी के रूप में नियुक्ति भी पार्टी के खिलाफ चला गया। इन सब मुद्दों ने पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाया।
इसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में स्थिति और भी बिगड़ी, जिससे पार्टी की मुश्किलें और बढ़ गईं। इस दौरान, पार्टी के भीतर एक समिति बनाई गई थी, जिसका नेतृत्व पूर्व विधायक इकबाल सिंह झुंढा ने किया था। इस समिति को पार्टी की हार के कारणों पर रिपोर्ट देने और पार्टी को फिर से मजबूत करने के लिए सुझाव देने का कार्य सौंपा गया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट में हार के कारणों का विश्लेषण करते हुए सभी नेताओं से इस्तीफा देने की सिफारिश की थी।
सुखबीर बादल का इस्तीफा और पार्टी विभाजन
सुखबीर सिंह बादल ने रिपोर्ट की सिफारिशों के बाद पार्टी की सभी विंग्स को भंग कर दिया था, हालांकि इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया। रिपोर्ट में हालांकि अप्रत्यक्ष रूप से सुखबीर बादल से इस्तीफा देने की बात कही गई थी। इस्तीफे का दबाव लगातार बढ़ता गया, जिसके कारण पार्टी में विभाजन की स्थिति उत्पन्न हुई। अकाली दल में पहले शामिल हुए नेता सुखदेव सिंह ढींडसा, जो बाद में पार्टी से बाहर हो गए थे, अब वापस लौट आए थे। हालांकि, 2019 के बाद कई वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी छोड़ दी, जिनमें परमिंदर सिंह ढींडसा, प्रो. प्रेम सिंह चंदुमाजरा, बीबी जागीर कौर और गुरप्रताप सिंह वडाला प्रमुख थे।
सुखबीर बादल द्वारा अपनी गलतियों को स्वीकार करना
अपने इस्तीफे से पहले, सुखबीर सिंह बादल ने श्री अकाल तख्त साहिब के समक्ष अपनी गलतियों को स्वीकार किया था और उनके द्वारा की गई गलियों की जिम्मेदारी ली थी। अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघुबीर सिंह ने सुखबीर बादल को ‘टंਕहीयां’ (धार्मिक दंड) घोषित किया था, हालांकि अब तक उनके खिलाफ कोई धार्मिक सजा का ऐलान नहीं हुआ है।
सुखबीर बादल ने श्री अकाल तख्त साहिब से मिलने के लिए दो दिन पहले ही मुलाकात की कोशिश की थी, लेकिन वे उनसे नहीं मिल सके। इस दौरान उन्हें एक दुर्घटना में पैर में फ्रैक्चर हो गया, जिसके कारण उन्हें सर्जरी करवानी पड़ी। इस बीच उन्होंने पार्टी प्रमुख पद से इस्तीफा दे दिया।
आगे की राह और पार्टी की रणनीति
अब शिरोमणि अकाली दल की कमान पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष बलविंदर सिंह भुंदर के हाथों में है, जिन्होंने 18 नवंबर को चंडीगढ़ स्थित पार्टी मुख्यालय में कार्यकारी समिति की एक आपात बैठक बुलाई है। इस बैठक में सुखबीर बादल के इस्तीफे पर चर्चा की जाएगी और पार्टी के भविष्य की रणनीति पर फैसला लिया जाएगा।
इसके अलावा, यह भी ध्यान में रखा जा रहा है कि पार्टी के अध्यक्ष पद और अन्य पदों की अवधि 14 दिसंबर 2024 को समाप्त हो रही है। ऐसे में पार्टी में नेतृत्व के बदलाव को लेकर नई अटकलें भी लगाई जा रही हैं। कई विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी के अगले अध्यक्ष के रूप में डॉ. दलजीत सिंह चीमा का नाम सामने आ सकता है, लेकिन इस प्रक्रिया में समय लग सकता है।
सुखबीर बादल के इस्तीफे का राजनीतिक महत्व
सुखबीर सिंह बादल के इस्तीफे को पंजाब की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना माना जा रहा है। शिरोमणि अकाली दल की जो स्थिति पिछले कुछ वर्षों में रही है, उसमें इस फैसले को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। पार्टी के भीतर एक नई दिशा की आवश्यकता महसूस हो रही है, और यह इस्तीफा शायद पार्टी के लिए आत्ममंथन का एक समय हो सकता है। हालांकि, पार्टी में नेतृत्व की स्थिति को लेकर उठने वाले सवालों के बीच, यह देखना होगा कि शिरोमणि अकाली दल अपनी पुरानी ताकत को कैसे हासिल करता है और पंजाब की राजनीति में अपनी जगह बनाता है।
सुखबीर सिंह बादल का इस्तीफा पंजाब की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत हो सकता है। पार्टी के भीतर जो बदलाव की जरूरत महसूस की जा रही थी, वह अब धीरे-धीरे सामने आ रही है। पार्टी के नेतृत्व में होने वाले बदलाव से शिरोमणि अकाली दल को अपनी खोई हुई जमीन को वापस हासिल करने का मौका मिल सकता है। अब यह देखना होगा कि नए नेतृत्व के साथ पार्टी किस दिशा में आगे बढ़ती है और क्या यह बदलाव पार्टी की राजनीतिक स्थिति को सुधारने में मदद करेगा।