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Punjab News: बेअंत सिंह हत्याकांड में दोषी बलवंत सिंह राजोआना को मिली 3 घंटे की पैरोल, भाई के भोग में शामिल होने की मिली अनुमति

Punjab News: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या में दोषी बलवंत सिंह राजोआना को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने तीन घंटे की पैरोल दी है। इस पैरोल का उद्देश्य उन्हें 20 नवंबर को अपने भाई कुलवंत सिंह राजोआना के भोग में शामिल होने के लिए जेल से बाहर आने की अनुमति देना था। राजोआना को यह पैरोल मंगलवार को अदालत द्वारा दी गई और इसके बाद वह आज सुबह जेल से बाहर आए।

राजोआना का परिवारिक दुःख और पैरोल की मांग

राजोआना ने पैरोल के लिए आवेदन करते हुए बताया कि उनके भाई कुलवंत सिंह राजोआना का निधन 14 नवंबर को हुआ था। उनके भाई के भोग का आयोजन 20 नवंबर को लुधियाना के मनजी साहिब गुरुद्वारा में किया जाना था, और उन्होंने अदालत से यह अनुरोध किया था कि उन्हें इस धार्मिक और पारिवारिक अवसर पर शामिल होने की अनुमति दी जाए।

पैरोल के लिए उन्होंने पहले पटियाला जेल के सुपरिंटेंडेंट के पास आवेदन किया था, लेकिन उनका आवेदन अस्वीकृत कर दिया गया था। इसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की, जिसमें उन्होंने अदालत से तीन घंटे की पैरोल देने की मांग की थी।

Punjab News: बेअंत सिंह हत्याकांड में दोषी बलवंत सिंह राजोआना को मिली 3 घंटे की पैरोल, भाई के भोग में शामिल होने की मिली अनुमति

अदालत का फैसला और पैरोल की शर्तें

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायधीश जी. एस. गिल ने उनकी याचिका का निस्तारण करते हुए तीन घंटे की पैरोल की मंजूरी दी। अदालत ने यह आदेश पारित करते हुए कहा कि बलवंत सिंह राजोआना को अपने भाई के भोग में शामिल होने के लिए तीन घंटे की पैरोल दी जाए, लेकिन इस दौरान उन्हें उच्च सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। अदालत ने यह भी सुनिश्चित किया कि पैरोल के दौरान राजोआना की कोई भी गतिविधि जेल की सुरक्षा से बाहर न हो और यह केवल परिवारिक धार्मिक आयोजन तक सीमित रहे।

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राजोआना के वकील ने कोर्ट में यह भी बताया कि उनका मुवक्किल 28 साल, 9 महीने और 14 दिनों से जेल में बंद है और वह हमेशा अपने बर्ताव में सुधार करते रहे हैं। उनका यह अनुरोध था कि इस एक विशेष अवसर पर उन्हें पैरोल दी जाए, ताकि वह अपने पारिवारिक कर्तव्यों का पालन कर सकें।

28 साल से अधिक समय से जेल में बंद हैं राजोआना

बलवंत सिंह राजोआना को 1995 में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या में शामिल होने के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी। वह 28 वर्षों से अधिक समय से जेल में बंद हैं और इस दौरान कई बार उनकी सजा में बदलाव की मांग की गई थी, लेकिन अब तक उनकी सजा पर कोई विशेष निर्णय नहीं आया है।

राजोआना की हत्या में शामिल होने के कारण उनके ऊपर गंभीर आरोप थे, लेकिन उनका परिवार और समर्थक समय-समय पर उनके पक्ष में आवाज़ उठाते रहे हैं। हालांकि, राजोआना की पैरोल से जुड़े फैसले हमेशा ही जटिल और संवेदनशील रहे हैं।

राजोआना के समर्थन में परिवार और समर्थकों का बयान

राजोआना के परिवार और समर्थकों ने हमेशा उनका समर्थन किया है, और कई बार उन्होंने यह दावा किया है कि राजोआना की सजा न्यायिक प्रणाली की ओर से एक बड़ी गलती थी। उनका कहना था कि राजोआना एक सामाजिक उद्देश्य के तहत कार्य कर रहे थे, और उनकी गतिविधियाँ हमेशा पंजाब की राजनीति और समाज के लिए एक प्रेरणा रही हैं।

हालांकि, इस मामले में राजनीतिक और कानूनी पक्ष हमेशा विवादास्पद रहे हैं। कुछ लोग मानते हैं कि राजोआना की पैरोल से पंजाब में राजनीतिक माहौल को प्रभावित किया जा सकता है, जबकि कुछ लोग इसे व्यक्तिगत और पारिवारिक दृष्टिकोण से देखते हैं।

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भविष्य में क्या हो सकता है?

राजोआना की पैरोल की मंजूरी के बाद अब सवाल यह उठता है कि क्या उनका जेल से बाहर आना और पैरोल पर रहना उनके मामले में किसी बड़े बदलाव की ओर इशारा करता है। क्या इस घटना से भविष्य में पंजाब सरकार और केंद्र सरकार की नीतियों पर असर पड़ेगा? क्या इसे किसी बड़े राजनीतिक घटनाक्रम से जोड़ा जाएगा?

इन सवालों के बीच यह भी ध्यान देने योग्य है कि राजोआना का जेल से बाहर आना किसी प्रकार की हिंसा या असहमति को जन्म नहीं दे, इसके लिए प्रशासन को उचित सुरक्षा उपायों की आवश्यकता होगी। इस मामले में जेल प्रशासन और सुरक्षा बलों को अतिरिक्त सतर्कता बरतनी होगी ताकि कोई अप्रिय घटना न घटे।

बलवंत सिंह राजोआना को तीन घंटे की पैरोल दिए जाने के फैसले ने एक बार फिर उनके मामले को सुर्खियों में ला दिया है। परिवार के सदस्य, समर्थक और विपक्षी इस निर्णय को विभिन्न दृष्टिकोणों से देख रहे हैं। हालांकि, यह एक परिवारिक अवसर है, लेकिन इसे लेकर राजनीति, कानूनी और समाजिक दृष्टिकोण से सवाल उठने स्वाभाविक हैं।

यह पैरोल किसी बड़े राजनीतिक या सामाजिक बदलाव का संकेत हो सकता है, या फिर यह केवल एक व्यक्तिगत घटना तक सीमित रहेगा। आने वाले समय में यह देखना होगा कि इस निर्णय के बाद क्या राजनीतिक, कानूनी और सामाजिक प्रभाव होंगे, और क्या यह मामले की दिशा को प्रभावित करेगा या नहीं।

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