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Manipur Violence: मणिपुर में सुरक्षा संकट, मंत्री और विधायक के घरों पर हमले के बाद स्थिति तनावपूर्ण

Manipur Violence: मणिपुर में हाल ही में हिंसा और हमलों की घटनाओं ने राज्य में तनाव को बढ़ा दिया है। 16 नवंबर को मणिपुर के तीन मंत्रियों और छह विधायकों के घरों पर प्रदर्शनकारियों द्वारा हमला किया गया, जिससे राज्य में असुरक्षा का माहौल पैदा हो गया। पुलिस ने इस मामले में सात लोगों को गिरफ्तार किया है और राज्य सरकार ने हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का वादा किया है। आइए जानते हैं इस घटना के बारे में अधिक।

मणिपुर पुलिस ने की सात गिरफ्तारियां

मणिपुर पुलिस ने सार्वजनिक प्रतिनिधियों की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के आरोप में सात लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी कि इन गिरफ्तारियों को पिछले दो दिनों में अंजाम दिया गया है। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा कि प्रदर्शन के दौरान हिंसा और लूटपाट करने वालों की पहचान की गई है और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। राज्य सरकार ने यह भी कहा है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस पूरी तरह से सक्रिय है।

मंत्रियों और विधायकों के घरों पर हमले

16 नवंबर को मणिपुर के तीन मंत्रियों और छह विधायकों के घरों पर हमले किए गए थे। यह हमला उस समय हुआ जब छह लापता लोगों के शव मिले थे। प्रदर्शनकारियों ने इन सार्वजनिक प्रतिनिधियों के घरों को निशाना बनाया और उनकी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया। यह घटना राज्य के राजनीतिक माहौल को और अधिक जटिल बना रही है, जहां पहले से ही हिंसा और असुरक्षा का वातावरण था।

Manipur Violence: मणिपुर में सुरक्षा संकट, मंत्री और विधायक के घरों पर हमले के बाद स्थिति तनावपूर्ण

16 नवंबर को मणिपुर के जिरीबाम जिले में सुरक्षा व्यवस्था के बीच छह अपहृत और मारे गए लोगों का अंतिम संस्कार किया गया। इनमें तीन महिलाएं और तीन बच्चे शामिल थे, जो मणिपुर के मैती समुदाय से थे। इन शवों का पोस्टमॉर्टम असम के सिलचर मेडिकल कॉलेज में हुआ था और बाद में परिजनों को सौंपे गए। यह घटना मणिपुर के संकट को और बढ़ाती है, जहां पहले ही समुदायों के बीच तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है।

मंत्री की सुरक्षा बढ़ी, पैतृक घर के चारों ओर कांटेदार तार

मणिपुर में जारी हिंसा और अशांति के बीच राज्य के मंत्री भी भय के वातावरण में जी रहे हैं। मणिपुर के उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री एल. सुसिंद्रो मेइती ने अपने पैतृक घर के चारों ओर कांटेदार तार और लोहे की जालियां लगवाकर सुरक्षा बढ़ाई है। इसके साथ ही, सुरक्षा बलों के लिए अस्थायी बंकर भी बनाए गए हैं। मंत्री ने बताया कि उनका घर 16 नवंबर को हमलावरों के निशाने पर था और यह घर मई 2023 से अब तक तीन बार हमले का शिकार हो चुका है।

मंत्री का बयान: हमलावरों ने आगजनी और लूटपाट का किया प्रयास

मंत्री सुसिंद्रो ने कहा कि हमलावरों ने 16 नवंबर को अपनी मंशा को स्पष्ट करते हुए बिजली के ड्रिल और हथौड़े के साथ उनके घर पर हमला किया। उनका उद्देश्य आगजनी करना और संपत्ति को नुकसान पहुंचाना था। मंत्री ने बताया कि इस प्रकार के हमले पहले भी हो चुके हैं, और यह स्थिति मणिपुर में सुरक्षा की गंभीर समस्या को दर्शाती है।

जेपी नड्डा का बयान: कांग्रेस की विफलताओं का असर मणिपुर में दिख रहा है

भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने कहा कि मणिपुर में कांग्रेस की विफलताओं का असर आज भी देखा जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने स्थानीय मुद्दों को ठीक से संभाला नहीं, जिसका परिणाम जनता को भुगतना पड़ रहा है। नड्डा ने कहा कि कांग्रेस मणिपुर की स्थिति को राजनीति के नजरिए से देख रही है और इसने स्थिति को गलत तरीके से प्रस्तुत किया है।

कांग्रेस का पलटवार: नड्डा के आरोपों को बताया झूठा और गुमराह करने वाला

कांग्रेस ने जे.पी. नड्डा के आरोपों का जोरदार जवाब दिया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि नड्डा का पत्र झूठे आरोपों और गुमराह करने से भरा हुआ है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मणिपुर की स्थिति पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा था और नड्डा ने उसी का जवाब दिया है। जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर लिखा कि नड्डा का पत्र “4D” रणनीति का हिस्सा है – इनकार, विकृति, विचलन और मानहानि।

मणिपुर में शांति की जरूरत: सभी पार्टियों को मिलकर काम करना होगा

मणिपुर में जारी हिंसा और तनाव को देखते हुए यह आवश्यक है कि सभी राजनीतिक दल मिलकर काम करें ताकि राज्य में शांति स्थापित हो सके। पुलिस और प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए निरंतर प्रयास किए हैं, लेकिन राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। एकजुट होकर सभी पक्षों को राज्य में शांति बहाल करने के लिए आगे बढ़ने की आवश्यकता है।

मणिपुर में हिंसा और राजनीतिक उथल-पुथल का दौर जारी है। राज्य में मंत्री और विधायक के घरों पर हमले, और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप ने राज्य की स्थिति को और कठिन बना दिया है। मणिपुर में सुरक्षा बलों और प्रशासन के प्रयासों के बावजूद, राजनीतिक स्थिरता की जरूरत अब पहले से कहीं अधिक है। राज्य में शांति और विकास की राह तभी संभव है जब सभी दलों और संगठनों के बीच संवाद और सहयोग बढ़े।

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