अलाहाबाद हाई कोर्ट के Justice Shekhar yadav ने की सुप्रीम कोर्ट के 5 सीनियर जजों से मुलाकात, अपने भाषण पर दी सफाई
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अलाहाबाद हाई कोर्ट के जज शेखर यादव, जो अपने विवादास्पद भाषण को लेकर सुर्खियों में आए थे, ने मंगलवार (17 दिसंबर 2024) को सुप्रीम कोर्ट के पांच सीनियर जजों से मुलाकात की। यह मुलाकात सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम द्वारा आयोजित की गई थी, जिसमें जज यादव से उनके विवादित भाषण पर स्पष्टता मांगी गई थी। सूत्रों के अनुसार, जज यादव ने कहा कि उनका भाषण पूरी तरह से संदर्भ से बाहर उठाया गया और कुछ हिस्सों को लेकर विवाद खड़ा किया गया।
कॉलेजियम ने जज यादव को दी समझाईश
सुप्रीम कोर्ट के एक उच्च पदस्थ सूत्र ने बताया कि इस बैठक के दौरान कॉलेजियम के सदस्यों ने जज यादव को यह समझाया कि किसी भी जज के बयान को सार्वजनिक जांच के दायरे में लिया जाता है। जजों के बयान संविधानिक मूल्यों के अनुसार होने चाहिए। इस मुलाकात में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना के अलावा जज बीआर गवई, जज सूर्यकांत, जज हृषिकेश राय और जज अभय एस ओका भी मौजूद थे।
विवादास्पद भाषण का संदर्भ
8 दिसंबर को शेखर यादव ने विश्व हिंदू परिषद (VHP) के एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया था, जिसका विषय था ‘यूनिफॉर्म सिविल कोड’। इस कार्यक्रम में अपने भाषण के दौरान उन्होंने कहा था कि भारत हिंदुओं की बहुमत की भावना के अनुसार चलेगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि हिंदू अपने बच्चों को दया और सहनशीलता सिखाते हैं, जबकि मुसलमान अपने बच्चों के सामने जानवरों की हत्या करते हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि हिंदू संस्कृति में महिलाओं को देवी का दर्जा दिया जाता है, जबकि मुसलमानों के लिए तिहरी तलाक, चार बीवियां और हलाला अधिकार हैं।
‘कटमुल्ला’ शब्द का उपयोग और विवाद
अपने भाषण में शेखर यादव ने मुसलमानों के लिए ‘कटमुल्ला’ शब्द का इस्तेमाल किया, जो कि एक बड़ा विवाद बन गया। इस भाषण के बाद कई संगठनों जैसे ‘कैम्पेन फॉर ज्यूडिशियल एकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म्स’ (CJAR) और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले का संज्ञान लेने की मांग की। सीजेएआर के संयोजक वकील प्रशांत भूषण ने चीफ जस्टिस को एक पत्र लिखकर शेखर यादव के आचरण को न्यायधीशों के आचार संहिता के खिलाफ बताया और एक आंतरिक जांच समिति गठित करने की मांग की।
सुप्रीम कोर्ट की रिपोर्ट और जज यादव की सफाई
10 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने शेखर यादव के भाषण पर इलाहाबाद हाई कोर्ट से रिपोर्ट मांगी। इसके बाद जज यादव को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया गया। करीब आधे घंटे चली इस बैठक में सुप्रीम कोर्ट के पांच वरिष्ठतम जजों ने जज यादव से उनका स्पष्टीकरण लिया। जज यादव ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट पहले भी ‘यूनिफॉर्म सिविल कोड’ के पक्ष में अपने विचार दे चुके हैं, और उन्होंने भी वही कहा था, लेकिन मीडिया ने भाषण के कुछ हिस्सों को उठाकर विवाद खड़ा किया।
सुप्रीम कोर्ट के जजों की सलाह और भविष्य की कार्रवाई
सूत्रों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के जजों ने जज शेखर यादव को यह याद दिलाया कि किसी भी जज का सार्वजनिक बयान निजी नहीं होता और उसे हमेशा संविधानिक मानदंडों के अनुरूप बोलना चाहिए। इस मुलाकात के बाद चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने जज यादव से कुछ समय तक व्यक्तिगत रूप से भी बात की और भविष्य में सतर्क रहने की सलाह दी। फिलहाल, यह स्पष्ट नहीं है कि इस बैठक के बाद सुप्रीम कोर्ट की ओर से आगे क्या कार्रवाई की जाएगी।
जज शेखर यादव की सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम जजों के साथ हुई मुलाकात में उनके विवादास्पद भाषण पर सफाई दी गई। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने जजों से जुड़े सार्वजनिक बयानों के बारे में सतर्क रहने की सलाह दी है और भविष्य में इस तरह के बयानों से बचने की उम्मीद जताई है। आगे की कार्रवाई इस मुलाकात के बाद क्या होगी, यह देखना बाकी है।