Punjab University में छात्रों को धमकी, ‘कैरियर बर्बाद होने में देर नहीं लगेगी’ – एसएचओ की चेतावनी पर बवाल
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Punjab University (पीयू) में चल रहे धरने के दौरान छात्रों और पुलिस के बीच तनाव एक नया मोड़ ले चुका है। शनिवार को सीनेट चुनाव से जुड़ी मांगों को लेकर धरने पर बैठे छात्र करणवीर को एसएचओ नरेंद्र पाटियाल ने धमकी देते हुए कहा कि “कैरियर बर्बाद होने में देर नहीं लगेगी।” इतना ही नहीं, एसएचओ पर छात्र को धक्का देने का भी आरोप लगा है। एनएसयूआई (नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया) के पंजाब राज्य अध्यक्ष ईशरप्रीत सिंह ने चंडीगढ़ पुलिस के इस रवैये का कड़ा विरोध किया है।
पुलिस पर तानाशाही का आरोप
एनएसयूआई के अध्यक्ष ईशरप्रीत सिंह ने पुलिस के इस व्यवहार की निंदा करते हुए कहा कि “पुलिस पूरी तरह तानाशाही पर उतर आई है।” उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शन करना हर नागरिक का अधिकार है, लेकिन एक पुलिस अधिकारी छात्रों को धमकी देकर और धक्का देकर उनके अधिकारों का हनन कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस प्रकार के अधिकारियों के कारण ही चंडीगढ़ जैसे शहरों में लॉरेंस बिश्नोई जैसे अपराधी उभर रहे हैं।
छात्रों की मांगें और प्रदर्शन
पंजाब विश्वविद्यालय में पिछले दो महीनों से नए सीनेट के गठन को लेकर छात्रों और पूर्व सीनेट सदस्यों के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं। छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन उनकी मांगों को नजरअंदाज कर रहा है।
शनिवार को, पीयू बचाओ मोर्चा के सदस्यों ने कुलाधिपति से मुलाकात के लिए समय मांगा था, लेकिन उन्हें अनुमति नहीं दी गई। इसके बाद, आक्रोशित सदस्यों ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का पुतला विश्वविद्यालय के छात्र केंद्र पर जला दिया। प्रदर्शनकारियों ने इसे प्रशासन की उदासीनता और लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन के खिलाफ प्रतीकात्मक विरोध बताया।
पुलिस और छात्रों के बीच टकराव
धरने पर बैठे छात्र करणवीर और उनके साथियों का कहना है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। तभी एसएचओ नरेंद्र पाटियाल वहां पहुंचे और उन्हें धमकी दी। छात्रों का आरोप है कि एसएचओ ने कहा, “कैरियर बर्बाद करने में देर नहीं लगेगी।”
पंजाब यूनिवर्सिटी में धरने पर बैठे छात्र को एसएचओ की धमकी pic.twitter.com/mBNC8LloVL
— RAJIEV (राजीव) (@mishrarajiv08) December 21, 2024
इसके अलावा, छात्रों ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें बलपूर्वक हटाने का प्रयास किया और उन्हें धक्का दिया। घटना के समय वहां मौजूद अन्य पुलिसकर्मी मूकदर्शक बने रहे और एसएचओ को रोकने का कोई प्रयास नहीं किया।
एनएसयूआई का समर्थन
एनएसयूआई के पंजाब अध्यक्ष ईशरप्रीत सिंह ने छात्रों को अपना समर्थन देते हुए कहा कि पुलिस की यह कार्रवाई अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि छात्रों का विरोध प्रदर्शन लोकतांत्रिक अधिकार है और इसे दबाने का कोई प्रयास नहीं होना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस का यह रवैया छात्रों को डराने और उनके अधिकारों को कुचलने की साजिश है। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि एसएचओ नरेंद्र पाटियाल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और छात्रों को न्याय दिलाया जाए।
पुस्तकालय और अन्य सुविधाओं को लेकर भी विवाद
सीनेट चुनाव के अलावा, पंजाब विश्वविद्यालय के छात्र पुस्तकालय की सुविधाओं, फीस वृद्धि और छात्रावास की समस्याओं को लेकर भी लंबे समय से प्रदर्शन कर रहे हैं। छात्रों का कहना है कि प्रशासन उनकी समस्याओं को सुलझाने के बजाय उनके आंदोलन को दबाने का प्रयास कर रहा है।
प्रदर्शनकारियों का आरोप और प्रशासन की चुप्पी
छात्रों ने आरोप लगाया कि प्रशासन सीनेट चुनाव के मुद्दे को जानबूझकर टाल रहा है। उन्होंने कहा कि प्रशासन को छात्र हितों से ज्यादा अपने व्यक्तिगत एजेंडे की परवाह है। वहीं, विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस मुद्दे पर अब तक कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है।
छात्रों के समर्थन में पूर्व सीनेट सदस्य
पीयू बचाओ मोर्चा के सदस्य, जो पूर्व सीनेट सदस्य हैं, ने भी छात्रों का समर्थन किया है। उन्होंने प्रशासन पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि सीनेट का गठन विश्वविद्यालय के सुचारू संचालन के लिए अनिवार्य है।
चंडीगढ़ प्रशासन की भूमिका पर सवाल
चंडीगढ़ पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पुलिस प्रशासन का काम छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, न कि उन्हें धमकाना। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस का व्यवहार छात्रों को डरा-धमकाकर प्रदर्शन खत्म करने का प्रयास है।
पंजाब विश्वविद्यालय में छात्रों और प्रशासन के बीच चल रहा यह टकराव विश्वविद्यालय के लोकतांत्रिक मूल्यों पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। छात्रों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, वे अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे।
यह घटना यह भी दिखाती है कि छात्रों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन और पुलिस को अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लेना होगा। वहीं, छात्रों को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण और सकारात्मक दिशा में आगे बढ़े।
इस मामले में अब देखना होगा कि विश्वविद्यालय प्रशासन और चंडीगढ़ पुलिस किस तरह से छात्रों की मांगों का समाधान निकालते हैं और उनके लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा करते हैं।