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Pilibhit encounter: NIA की छापेमारी में ब्रिटिश सैनिक के आतंकवादी लिंक का खुलासा

Pilibhit encounter: पिलिभीत में हुए मुठभेड़ में मारे गए आतंकवादियों के संबंध एक ब्रिटिश सैनिक से जुड़े हैं, जो टारन तारन के गांव मियांपुर का निवासी है। जगजीत सिंह, जो ब्रिटिश आर्मी में तैनात हैं, का नाम अब आतंकवादी संगठन खालिस्तान ज़िंदाबाद फोर्स (KZF) से जुड़ा हुआ पाया गया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने मंगलवार को उनके घर पर छापा मारा और उनके माता-पिता से पूछताछ की। इसके अलावा, NIA की टीम ने पुलिस थाना सराय अमानत खान में भी जगजीत के पारिवारिक रिकॉर्ड की जांच की।

जगजीत सिंह और आतंकवादियों से संबंध

जगजीत सिंह खालिस्तान ज़िंदाबाद फोर्स (KZF) के प्रमुख आतंकवादी रंजीत सिंह नीटा के एक मॉड्यूल से जुड़े हुए हैं। नीटा पाकिस्तान में छिपा हुआ है और भारतीय पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है। इस समय NIA की टीम उच्चस्तरीय जांच कर रही है और जगजीत सिंह के पारिवारिक रिकॉर्ड की गहन जांच की जा रही है।

SP (I) अजयराज सिंह ने कहा कि इस मामले में उच्चस्तरीय जांच की जा रही है और जगजीत के परिवार से संबंधित सभी रिकॉर्ड को खंगाला जा रहा है। जगजीत का नाम इस केस में सामने आने से इस आतंकवादी मॉड्यूल की गंभीरता का संकेत मिलता है, जो भारतीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है।

परिवार का सैन्य पृष्ठभूमि

जगजीत सिंह का परिवार सैन्य पृष्ठभूमि से जुड़ा हुआ है। उनके पिता, जोगिंदर सिंह, और दादा दोनों ने भारतीय सेना में सेवा दी है। उनके बड़े भाई, गुरजीत सिंह, राजस्थान में सेना में तैनात हैं। जोगिंदर सिंह ने बताया कि दस साल पहले उनका छोटा बेटा जगजीत ब्रिटेन गया था, जहां उसने सॉफ़्ट इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और एक डिप्लोमा प्राप्त किया। इसके बाद उसने ब्रिटिश आर्मी में भर्ती हो गया और अफ़ग़ानिस्तान युद्ध में भी भाग लिया।

Pilibhit encounter: NIA की छापेमारी में ब्रिटिश सैनिक के आतंकवादी लिंक का खुलासा

जगजीत सिंह को आठ साल पहले जातिवाद के कारण ब्रिटेन से बाहर कर दिया गया था जब उन्होंने अपनी जाति के बाहर शादी की। हालांकि, उनका नाम अब आतंकवाद से जुड़ने के बाद फिर से सुर्खियों में आ गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उनका ब्रिटेन में रहना और सेना में सेवा करना एक सामान्य जीवन की दिशा नहीं था, बल्कि इसके पीछे किसी बड़ी योजना का हिस्सा हो सकता है।

खालिस्तान आतंकवादी गुरवंत सिंह पन्नू और रंजीत सिंह नीटा का जवाबी हमला

पिलिभीत में मारे गए तीन आतंकवादियों को लेकर पाकिस्तान में छिपे खालिस्तान आतंकवादी गुरवंत सिंह पन्नू और रंजीत सिंह नीटा ने बदला लेने की धमकी दी है। पन्नू ने मंगलवार को एक वीडियो जारी किया, जिसमें उसने पिलिभीत मुठभेड़ का बदला लेने की बात कही। इस वीडियो में पन्नू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ गाली-गलौज की और मारे गए आतंकवादियों के परिजनों को पांच लाख रुपये देने का वादा किया।

रंजीत सिंह नीटा भी अब खुले तौर पर धमकी दे रहा है और उसने उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तर प्रदेश पुलिस, पंजाब पुलिस और भारतीय एजेंसियों को निशाना बनाते हुए जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है। नीटा, जो पाकिस्तान में छिपा हुआ है, खालिस्तान आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए कश्मीर और खालिस्तान आतंकवादी संगठनों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य कर रहा है।

रंजीत सिंह नीटा की गतिविधियाँ और पाकिस्तान का समर्थन

रंजीत सिंह नीटा खालिस्तान ज़िंदाबाद फोर्स (KZF) का प्रमुख है और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI द्वारा उसे आतंकवाद और एंटी-नेशनल गतिविधियों में समर्थन दिया जा रहा है। नीटा का मुख्य काम भारतीय सीमा के पार हथियारों और ड्रग्स की तस्करी करना है, जो भारतीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा बन चुका है। उसकी गतिविधियों से यह भी साबित होता है कि वह आतंकवाद के साथ-साथ भारतीय समाज में अशांति और असहमति फैलाने की कोशिश कर रहा है।

नीटा का नाम उस वक्त भी चर्चा में आया था जब पिलिभीत में तीन खालिस्तानी आतंकवादी मारे गए थे, जो गुरदासपुर में पुलिस पोस्ट पर हमले में शामिल थे। मुठभेड़ के दौरान आतंकवादियों से हथियार भी बरामद हुए थे, जो भारतीय पुलिस के लिए एक बड़ी सफलता मानी जा रही है।

भारत और पाकिस्तान के बीच खालिस्तान आंदोलन का बढ़ता खतरा

भारत में खालिस्तान आंदोलन और पाकिस्तान से मिल रहे समर्थन के कारण यह खतरा और भी बढ़ गया है। पाकिस्तान में छिपे आतंकवादी नेता और खालिस्तान समर्थक भारतीय सुरक्षा बलों और पुलिस के खिलाफ अपनी गतिविधियों को बढ़ा रहे हैं। यह घटना साबित करती है कि पाकिस्तान अपने देश में मौजूद खालिस्तानी आतंकवादियों को भारत में आतंक फैलाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है, जो देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर समस्या बन चुकी है।

पिलिभीत में मुठभेड़ के बाद आतंकवादी संगठनों के द्वारा दी जा रही धमकियाँ यह साफ दर्शाती हैं कि खालिस्तान आंदोलन अब भी सक्रिय है और पाकिस्तान की मदद से भारत में आतंक फैलाने की कोशिश की जा रही है। NIA की छापेमारी और जांच से यह साबित होता है कि आतंकवाद की जड़ें अब देश के भीतर और बाहर दोनों जगह फैल चुकी हैं। इस स्थिति में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का यह कर्तव्य है कि वे आतंकवाद के इस नेटवर्क को समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाएं और देश की सुरक्षा को सुनिश्चित करें।

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