ताजा समाचार

PM Modi ने MT Vasudevan Nair के निधन पर शोक व्यक्त किया, साहित्य और सिनेमा के क्षेत्र में उनकी अपूर्व योगदान को याद किया

प्रसिद्ध मलयालम लेखक और ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता MT Vasudevan Nair का 91 वर्ष की आयु में बुधवार को कोझीकोड, केरल के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। उनके निधन से साहित्य और सिनेमा जगत में एक युग का समापन हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) के माध्यम से एमटी वासुदेवन नायर के निधन पर शोक व्यक्त किया। प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा, “मैं श्री एमटी वासुदेवन नायर जी के निधन पर शोक व्यक्त करता हूं। वह मलयालम सिनेमा और साहित्य के सबसे सम्मानित व्यक्तित्वों में से एक थे। उनके कार्यों में मानवीय भावनाओं की गहरी खोज ने कई पीढ़ियों को प्रभावित किया है और आने वाले समय में भी उनकी रचनाएं प्रेरणा का स्रोत बनी रहेंगी। उन्होंने बेजुबानों और हाशिए पर रहने वाले लोगों की आवाज दी। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी शोक संवेदनाएं। ओम शांति।”

केरल सरकार ने घोषित किया आधिकारिक शोक

एमटी वासुदेवन नायर के निधन पर केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने गहरा शोक व्यक्त किया। राज्य सरकार ने 26 और 27 दिसंबर को दो दिन के लिए आधिकारिक शोक की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक फोटो साझा करते हुए लिखा, “एमटी वासुदेवन नायर के निधन से मलयालम साहित्य का एक महान शख्सियत हमसे छिन गया है, जिन्होंने हमारी भाषा को वैश्विक ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनके धर्मनिरपेक्षता और मानवता के प्रति अडिग प्रतिबद्धता ने एक ऐसा धरोहर छोड़ा है जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। उनके परिवार और सांस्कृतिक समुदाय के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं।”

एमटी वासुदेवन नायर: साहित्य और सिनेमा का महान व्यक्तित्व

एमटी वासुदेवन नायर मलयालम साहित्य के सबसे महान लेखकों में से एक माने जाते हैं। वह साहित्य के साथ-साथ मलयालम सिनेमा के भी एक प्रमुख हस्ताक्षर थे। उनके लेखन ने न केवल साहित्यिक दुनिया में एक महत्वपूर्ण स्थान पाया, बल्कि मलयालम सिनेमा को भी एक नई दिशा दी। उनका योगदान साहित्य और सिनेमा दोनों में अविस्मरणीय रहेगा।

वह ‘मैथ्रभूमी’ साप्ताहिक पत्रिका के संपादक भी रहे और उनके विचारों ने मलयालम साहित्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने 54 से अधिक फिल्मों के लिए पटकथाएँ लिखी और सात फिल्मों का निर्देशन भी किया। इसके अलावा, उन्होंने मलयालम सिनेमा के लिए कई प्रेरणादायक पटकथाएँ दी, जिनमें से कुछ फिल्मों को राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले।

रचनात्मकता की असाधारण ऊंचाइयां

एमटी वासुदेवन नायर के साहित्यिक और सिनेमाई योगदान के कारण उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, उन्हें 1995 में भारत के सर्वोच्च साहित्यिक पुरस्कार ‘ज्ञानपीठ’ से नवाजा गया, जो साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान को मान्यता देने का सबसे बड़ा प्रमाण है। उन्होंने चार बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीते, जो उनके सिनेमाई योगदान को भी दर्शाता है।

उनकी रचनाएँ मलयालम साहित्य की धरोहर बन चुकी हैं, और उनकी फिल्मों के द्वारा उन्होंने भारतीय सिनेमा को भी एक नई पहचान दी। उनका लेखन और सिनेमा में योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बने रहेंगे।

दूसरे राष्ट्रीय और राज्य पुरस्कार

एमटी वासुदेवन नायर को 2013 में मलयालम सिनेमा में जीवन भर के योगदान के लिए ‘जेपी डेनियल अवार्ड’ से नवाजा गया था। इसके अलावा, उन्हें 2022 में केरल सरकार द्वारा ‘केरल ज्योति अवार्ड’ भी दिया गया, जो राज्य सरकार का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।

घर में चोरी की घटना

एमटी वासुदेवन नायर इस साल अक्टूबर में भी एक खबर की वजह से सुर्खियों में थे। उनके घर से सोने के आभूषण चोरी हो गए थे, जब वह और उनकी पत्नी घर से बाहर गए हुए थे। इस घटना ने उनके प्रशंसकों और राज्यभर में हलचल मचा दी थी, लेकिन इसके बावजूद उनका जीवन साहित्य और सिनेमा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता में कोई कमी नहीं आई।

साहित्य और समाज में योगदान

एमटी वासुदेवन नायर ने साहित्य और सिनेमा में अपना योगदान समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी से निभाया। उनके लेखन में समाज के विविध पहलुओं को उकेरा गया, और उनका कार्य मानवता, प्रेम, संघर्ष और समर्पण की कहानियों से भरा हुआ था। उनकी रचनाओं में आम आदमी की आवाज को ऊंचा किया गया, खासकर उन लोगों की जो समाज के हाशिए पर रहते थे।

उनकी लेखनी ने मलयालम साहित्य को न केवल राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसे व्यापक मान्यता मिली। उनकी कृतियों में लोकजीवन और इतिहास का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है, जिसने मलयालम साहित्य को नई ऊंचाईयों तक पहुंचाया।

एमटी वासुदेवन नायर का निधन मलयालम साहित्य और सिनेमा की दुनिया के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा, और उनकी रचनाएँ आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेंगी। उनके निधन से एक युग का समापन हुआ है, लेकिन उनके कार्यों का प्रभाव हमेशा जीवित रहेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केरल सरकार द्वारा उनके निधन पर शोक व्यक्त करना इस बात का प्रतीक है कि उनके कार्यों ने न केवल साहित्य और सिनेमा की दुनिया को समृद्ध किया, बल्कि समाज के हर क्षेत्र में उनका प्रभाव महसूस किया गया।

Back to top button