Anna University यौन उत्पीड़न मामला, चेन्नई में विरोध प्रदर्शन और जांच की मांग तेज
चेन्नई स्थित Anna University के परिसर में एक छात्रा के साथ कथित यौन उत्पीड़न का मामला दिन-प्रतिदिन तूल पकड़ता जा रहा है। इस घटना ने न केवल चेन्नई बल्कि पूरे तमिलनाडु को झकझोर कर रख दिया है। बढ़ते विरोध और जनाक्रोश के चलते राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने मामले की सच्चाई सामने लाने के लिए एक जांच समिति का गठन किया है। वहीं, तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने भी शनिवार को विश्वविद्यालय पहुंचकर घटना के संबंध में जानकारी ली।
क्या है मामला?
23 दिसंबर को अन्ना विश्वविद्यालय के परिसर में एक 19 वर्षीय छात्रा के साथ कथित यौन उत्पीड़न की घटना सामने आई। यह मामला तब उजागर हुआ जब पीड़िता ने स्वयं पुलिस को इस घटना की शिकायत की। हालांकि, शुरुआत में पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया और कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। बाद में जब यह मामला सोशल मीडिया पर चर्चा में आया, तो पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए कार्रवाई की और एक आरोपी को गिरफ्तार किया।
गिरफ्तार आरोपी 37 वर्षीय है, जो विश्वविद्यालय परिसर के पास फुटपाथ पर बिरयानी बेचता है। आरोपी के खिलाफ पहले से ही 15 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें 2011 में एक लड़की से दुष्कर्म का मामला भी शामिल है। पुलिस ने बताया कि आरोपी के मोबाइल से अन्य आपत्तिजनक वीडियो मिलने की संभावना है, जिसकी जांच की जा रही है।
राष्ट्रीय महिला आयोग का हस्तक्षेप
राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस गंभीर मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए कार्रवाई शुरू की है। आयोग ने यौन उत्पीड़न की इस घटना की जांच के लिए दो सदस्यीय तथ्य-जांच समिति का गठन किया है। यह समिति न केवल घटना की जांच करेगी, बल्कि घटना के पीछे की परिस्थितियों का विश्लेषण करेगी और अधिकारियों द्वारा उठाए गए कदमों का मूल्यांकन भी करेगी।
समिति के सदस्य और उनकी भूमिका
महिला आयोग की इस दो सदस्यीय समिति में राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य ममता कुमारी और महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी एवं एनएचआरसी के विशेष रिपोर्टर आईपीएस (सेवानिवृत्त) प्रवीण दीक्षित शामिल हैं। समिति का उद्देश्य पीड़िता, उसके परिवार, दोस्तों, संबंधित अधिकारियों और एनजीओ के साथ बातचीत कर सच्चाई का पता लगाना है। साथ ही, यह समिति ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के उपाय भी सुझाएगी।
तमिलनाडु डीजीपी को नोटिस जारी
राष्ट्रीय महिला आयोग ने तमिलनाडु के पुलिस महानिदेशक (DGP) को इस मामले में नोटिस जारी किया है। आयोग ने अधिकारियों से घटना के संबंध में विस्तृत जानकारी मांगी है। समिति 30 दिसंबर को चेन्नई का दौरा कर सकती है और संबंधित पक्षों से बातचीत करेगी।
मद्रास हाईकोर्ट का हस्तक्षेप और एसआईटी का गठन
मामले की गंभीरता को देखते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने शनिवार को विशेष जांच दल (SIT) के गठन का आदेश दिया। इस विशेष टीम में तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को शामिल किया गया है। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि मामले की जांच निष्पक्ष और तेज़ी से की जाए, ताकि पीड़िता को न्याय मिल सके।
घटना का सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
अन्ना विश्वविद्यालय में हुई इस घटना ने तमिलनाडु की राजनीति को भी गर्मा दिया है। विपक्षी दल इस मामले में राज्य सरकार पर निशाना साध रहे हैं। उनके अनुसार, यह घटना कानून-व्यवस्था की विफलता को दर्शाती है। वहीं, इस घटना ने महिलाओं की सुरक्षा पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं।
आरोपी की पृष्ठभूमि और आपराधिक इतिहास
गिरफ्तार आरोपी के खिलाफ पहले से ही गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। पुलिस के मुताबिक, आरोपी पर 15 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें चोरी, लूटपाट और यौन उत्पीड़न शामिल हैं। 2011 में उस पर एक लड़की के साथ दुष्कर्म का मामला भी दर्ज किया गया था। आरोपी का आपराधिक इतिहास यह दर्शाता है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है।
जनता और छात्रों का विरोध प्रदर्शन
इस घटना के बाद चेन्नई में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। अन्ना विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं और सामाजिक कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए हैं। वे विश्वविद्यालय प्रशासन और पुलिस से जवाबदेही की मांग कर रहे हैं। विरोध प्रदर्शन में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने और दोषियों को सख्त सजा देने की मांग प्रमुख रूप से उठाई जा रही है।
महिला सुरक्षा के लिए उठाए जाने वाले कदम
इस घटना ने महिला सुरक्षा के प्रति सरकार और प्रशासन की गंभीरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग और मद्रास हाईकोर्ट द्वारा उठाए गए कदम सराहनीय हैं, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि इस मामले से सबक लेकर भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस नीति बनाई जाए।
अन्ना विश्वविद्यालय में हुई यौन उत्पीड़न की इस घटना ने समाज, प्रशासन और न्याय प्रणाली को एक बार फिर चेतावनी दी है कि महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना अत्यधिक आवश्यक है। राष्ट्रीय महिला आयोग और मद्रास हाईकोर्ट की पहल से उम्मीद है कि पीड़िता को न्याय मिलेगा और दोषियों को कठोर सजा दी जाएगी। इसके साथ ही, समाज को यह सुनिश्चित करना होगा कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों को रोकने के लिए एकजुट होकर कार्य किया जाए।