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Sunita Williams: अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर सूर्यास्त और सूर्योदय, Sunita Williams के अद्भुत अनुभव

2024 को अलविदा कहकर हम 2025 में प्रवेश कर चुके हैं। भारतीय-अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री Sunita Williams, जो वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर फंसी हुई हैं, नए साल यानी 1 जनवरी 2025 को पृथ्वी पर 16 सूर्यास्त और सूर्योदय देख सकेंगी। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि सुनीता विलियम्स 16 बार नए साल का जश्न मनाएंगी। यह असंभव नहीं है, क्योंकि वह फिलहाल अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर हैं। ISS लगातार घूमता रहता है, जिसके कारण सुनीता और उनके सहकर्मी अंतरिक्ष यात्री स्टेशन पर कई सूर्यास्त और सूर्योदय देख सकते हैं।

अंतरिक्ष स्टेशन से साझा की गई सूर्यास्त की तस्वीरें

सुनीता विलियम्स के साथ उनके सहकर्मी अलेक्जी ओवचिनिन, बूटच विलमोर, इवान वागनर, डॉन पेटिट, अलेक्जेंडर गोरबुनोव और निक हैग भी फंसे हुए हैं। हालांकि, सुनीता विलियम्स, जो इस समय अंतरिक्ष स्टेशन पर हैं, लगातार पृथ्वी पर लोगों से संवाद करती रहती हैं और अपने अनुभवों को दुनिया के साथ साझा करती हैं। ISS ने अपने X अकाउंट पर एक पोस्ट साझा करते हुए बताया कि जैसे ही 2024 का समापन होता है, Exp 72 क्रू 16 सूर्यास्त और सूर्योदय देखेगा और नए साल का स्वागत करेगा।

अंतरिक्ष स्टेशन ने सूर्यास्त की कुछ तस्वीरें भी साझा की हैं, जो पिछले वर्षों में स्टेशन से ली गई थीं। ये तस्वीरें अंतरिक्ष स्टेशन से ली गई सूर्यास्त की अद्भुत छवियां हैं, जिन्हें पृथ्वी के सतह से देख पाना संभव नहीं है।

Sunita Williams: अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर सूर्यास्त और सूर्योदय, Sunita Williams के अद्भुत अनुभव

सुनीता विलियम्स के साथ कई सहकर्मी भी फंसे हुए

सुनीता विलियम्स और उनके साथी अंतरिक्ष यात्री बूटच विलमोर 5 जून को बोइंग के अंतरिक्ष यान स्टारलाइनर से ISS पर पहुंचे थे। उनकी योजना केवल 9 दिनों के लिए ISS पर रहने की थी, लेकिन बाद में NASA ने स्टारलाइनर को मानव यात्रा के लिए अनुपयुक्त घोषित कर दिया। इसके बाद, स्टारलाइनर खाली पृथ्वी पर लौट आया। अब सुनीता और उनके साथियों को मार्च या अप्रैल के अंत तक पृथ्वी पर लौटने की उम्मीद है।

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अंतरिक्ष स्टेशन पृथ्वी के चारों ओर लगभग 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चक्कर लगा रहा है। यह हर 90 मिनट में एक पूरा चक्कर लगाता है। अंतरिक्ष स्टेशन पर रहने वाले अंतरिक्ष यात्री 45 मिनट के अंतराल पर सूर्यास्त और सूर्योदय देखने का अनुभव करते हैं। हालांकि, अंतरिक्ष स्टेशन पर अंतरिक्ष यात्रियों का जीवनशैली और दिनचर्या स्थिर रहती है, जिसमें भोजन, नींद, व्यायाम आदि एक निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार होते हैं।

अंतरिक्ष में मनाई गई दिवाली

सुनीता विलियम्स, भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री, ने अंतरिक्ष में दिवाली भी मनाई। उन्होंने ISS पर, पृथ्वी से 260 मील की ऊंचाई पर दिवाली का जश्न मनाया। NASA के अनुसार, सुनीता ने अब तक अंतरिक्ष में कुल 322 दिन बिताए हैं, और वह अंतरिक्ष में सबसे अधिक बार चलने वाली दूसरी महिला अंतरिक्ष यात्री हैं।

इस दौरान सुनीता ने न केवल अपने व्यक्तिगत अनुभवों को साझा किया, बल्कि अंतरिक्ष में भारतीय संस्कृति और त्योहारों को भी मनाने की परंपरा को कायम रखा। उनके इस प्रयास ने न केवल भारतीयों को गर्व महसूस कराया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की संस्कृति और सभ्यता को एक नई पहचान दी।

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) का महत्व

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पृथ्वी के ऊपर 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित एक विशाल प्रयोगशाला है। यह स्टेशन एक संयुक्त परियोजना है, जिसमें अमेरिकी, रूसी, जापानी, यूरोपीय और कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसियों का योगदान है। ISS के माध्यम से अंतरिक्ष यात्री विज्ञान, प्रौद्योगिकी, चिकित्सा और अन्य क्षेत्रों में अनुसंधान करते हैं। यह स्टेशन अंतरिक्ष में मानव जीवन को स्थापित करने और उस पर शोध करने का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका है।

ISS पर रहने वाले अंतरिक्ष यात्री न केवल पृथ्वी से जुड़ी जानकारी प्राप्त करते हैं, बल्कि वे अंतरिक्ष में रहने और काम करने के तरीके भी सीखते हैं, जो भविष्य में अन्य ग्रहों पर मानव जीवन स्थापित करने में सहायक हो सकते हैं। इसके अलावा, ISS से सूर्यास्त और सूर्योदय का दृश्य अद्वितीय होता है और इसे देखना पृथ्वी पर रहकर संभव नहीं है।

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नए साल पर सुनीता विलियम्स के अनुभव

जैसा कि हमने देखा, सुनीता विलियम्स और उनके साथियों के लिए ISS पर नए साल का स्वागत काफी अद्वितीय होगा। वे 16 बार सूर्योदय और सूर्यास्त देखेंगे, जो किसी के लिए भी एक असाधारण अनुभव है। यह सुनीता के लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक होगा, जहां वह अंतरिक्ष में रहते हुए भी अपनी पूरी यात्रा को नए वर्ष की शुरुआत के साथ जोड़ सकती हैं।

वह इस समय अंतरिक्ष में न केवल अपनी व्यक्तिगत यात्रा पर विचार कर रही होंगी, बल्कि इस अद्भुत यात्रा से प्राप्त अनुभवों को अपने देशवासियों के साथ भी साझा करेंगी। उनका यह योगदान न केवल विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत के लिए गर्व का विषय भी है।

सुनीता विलियम्स और उनके सहकर्मी अंतरिक्ष यात्रियों के लिए 2025 का नया साल एक विशेष अनुभव होगा। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर रहते हुए, वे 16 बार सूर्यास्त और सूर्योदय देखेंगे, जो उनके लिए जीवन भर का यादगार अनुभव होगा। इस अद्वितीय घटना ने यह साबित कर दिया है कि अंतरिक्ष में रहने का अनुभव न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह अंतरिक्ष यात्रियों के व्यक्तिगत जीवन पर भी गहरा प्रभाव डालता है। सुनीता विलियम्स की यात्रा ने यह भी दर्शाया है कि भारतीय मूल के अंतरिक्ष यात्री भी अंतरिक्ष में अपने देश का नाम रोशन कर सकते हैं।

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