“Priya Bapat’s struggle story: 25 साल चॉल में बिताए, 100 बार मिली नकारात्मकता”
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Priya Bapat’s struggle story: बॉलीवुड सिर्फ ग्लैमर का नाम नहीं है, बल्कि यहां संघर्ष और बेबसी की कई ऐसी कहानियां हैं, जो आपको सोचने पर मजबूर कर देती हैं कि जिंदगी में कितनी मुश्किलें आती हैं। हर दिन, हर पल आपको खुद को साबित करना होता है, मायानगरी में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है और फिर जब कहीं काम मिलता है, तो किस्मत बदल जाती है। बॉलीवुड की एक ऐसी अभिनेत्री प्रिय बापट हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत और संघर्ष से इस मायानगरी में अपनी पहचान बनाई है।
प्रिय बापट ने मुंबई की चॉल्स में 25 साल बिताए और कई मुश्किलों का सामना किया, लेकिन आज उनकी मेहनत का फल उन्हें मिल रहा है। वह सिर्फ एक अभिनेत्री ही नहीं, बल्कि एक प्रेरणा भी हैं, जो यह साबित करती हैं कि अगर मेहनत और समर्पण हो तो सफलता जरूर मिलती है।
प्रिय बापट कौन हैं?
प्रिय बापट, जिनका नाम आज मराठी सिनेमा में प्रसिद्ध है, ने बॉलीवुड में भी अपनी एक अलग पहचान बनाई है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1998 में फिल्म “डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर” से की थी। इस फिल्म में उन्होंने एक बाल कलाकार के रूप में अभिनय किया था, जिसमें वह मम्मूटी के साथ नजर आईं थीं। इस फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था, और प्रिय बापट के अभिनय को भी सराहा गया था।
प्रिय ने 2003 में बॉलीवुड में अपनी पहली फिल्म “मुन्ना भाई MBBS” से कदम रखा। इस फिल्म में उनका किरदार सहायक अभिनेत्री का था और यह फिल्म सुपरहिट रही थी। इसके बाद, प्रिय ने “लगे रहो मुन्ना भाई” में भी एक विशेष उपस्थिति दर्ज की।
प्रिय बापट का संघर्षपूर्ण जीवन
प्रिय बापट का जीवन हमेशा से आसान नहीं था। प्रिय ने मुंबई के दादर इलाके में स्थित एक छोटी चॉल में अपनी ज़िन्दगी के पहले 25 साल बिताए। उन्होंने 2018 में टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए अपनी कठिन दिनों की यादें साझा की थीं। प्रिय ने कहा था, “मैंने अपनी ज़िन्दगी के 25 साल एक चॉल में बिताए। मैं वहाँ तब तक रही जब तक मैंने शादी नहीं कर ली। दीवाली से लेकर हर त्यौहार मनाने तक, मेरी ज़िन्दगी में चॉल के साथ जुड़ी हुई कई यादें हैं। खास बात यह थी कि चॉल के सभी घर एक दूसरे से जुड़े हुए थे। सारे घर अंदर से दरवाजों से जुड़े हुए थे, इसलिए आप बिना बाहर जाए पूरे चॉल में इधर-उधर जा सकते थे। इस सिस्टम की वजह से सभी परिवार एक दूसरे से जुड़े रहते थे। अब लगता है कि अपार्टमेंट सिस्टम ने लोगों के बीच दूरी बना दी है।”
प्रिय बापट का जीवन संघर्षों से भरा था, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उनके लिए बॉलीवुड में जगह बनाने का सफर आसान नहीं था। प्रिय ने बॉलीवुड हंगामा से एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्हें अपने करियर के शुरुआती दिनों में 100 बार नकारा गया था। वह बार-बार असफल होती रही, लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी और अंततः एक विज्ञापन के जरिए अपनी पहचान बनाई।
100 बार नकारे जाने के बाद मिली पहली सफलता
प्रिय बापट का सफर किसी भी कलाकार के लिए प्रेरणा से कम नहीं है। जब प्रिय ने अपने करियर की शुरुआत की थी, तो उन्हें सफलता की राह पर चलने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा था। प्रिय ने बताया था कि उन्होंने 100 बार अस्वीकृति का सामना किया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। वह कहती हैं, “मैंने 100 बार नकारे जाने के बाद पहली बार एक टीवी एड के लिए काम पाया। इस संघर्ष ने मुझे और मजबूत बनाया और मुझे यह समझने का मौका दिया कि सफलता मेहनत का ही परिणाम होती है।”
प्रिय बापट ने यह भी बताया कि इस अस्वीकार्यता के दौर में उन्होंने खुद को कभी कमजोर महसूस नहीं किया। उन्होंने खुद को यह समझाया कि एक दिन ऐसा आएगा जब उनकी मेहनत रंग लाएगी और तब वह खुद को साबित कर पाएंगी।
प्रिय बापट का फिल्मी करियर
प्रिय बापट ने मराठी सिनेमा में भी खुद को साबित किया है। उन्होंने मराठी फिल्म “City of Dreams” में भी अपनी बेहतरीन एक्टिंग से सभी का ध्यान खींचा। इसके अलावा वह “Rafoochakkar”, “Raat Jawan Hai” और “Zindaginama” जैसी वेब सीरीज और टीवी शो में भी नजर आई हैं। इन शो में उनकी अभिनय की सराहना की गई और वह एक बेहतरीन अभिनेत्री के रूप में उभर कर सामने आईं।
प्रिय ने अपने अभिनय के जरिए यह साबित किया कि सिर्फ ग्लैमर से नहीं, बल्कि अच्छे अभिनय से ही सफलता हासिल की जा सकती है।
प्रिय बापट की प्रेरणा
प्रिय बापट का जीवन उन सभी के लिए एक प्रेरणा है जो संघर्ष के दौरान हार मानने वाले होते हैं। प्रिय ने अपने संघर्ष के दिनों में यह सीखा कि जीवन में कभी भी हार नहीं माननी चाहिए और सफलता पाने के लिए मेहनत और आत्मविश्वास सबसे महत्वपूर्ण होते हैं।
प्रिय का मानना है कि अगर आप अपने लक्ष्य के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं और मेहनत करते हैं, तो कोई भी मुश्किल आपको आपकी मंजिल तक पहुँचने से नहीं रोक सकती। उन्होंने यह भी बताया कि उनके लिए संघर्ष का सबसे बड़ा हिस्सा यह था कि वह हमेशा अपने परिवार से दूर रहती थीं, लेकिन उनकी मेहनत और विश्वास ने उन्हें कभी हारने नहीं दिया।
प्रिय बापट का सफर बॉलीवुड में किसी भी संघर्षशील कलाकार के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनकी कहानी यह साबित करती है कि मेहनत, संघर्ष और समर्पण से ही सफलता मिलती है। प्रिय बापट ने न केवल बॉलीवुड में, बल्कि मराठी सिनेमा में भी अपनी पहचान बनाई है और वह एक प्रेरणा हैं उन सभी लोगों के लिए जो अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।