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Shri Guru Gobind Singh Ji के प्रकाश पर्व पर लाखों श्रद्धालुओं ने माथा टेका

Shri Guru Gobind Singh Ji के प्रकाश पर्व के अवसर पर सोमवार को सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब में लाखों श्रद्धालुओं ने पहुंचकर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इस पवित्र अवसर पर लगभग दो लाख श्रद्धालुओं ने पिछले 24 घंटों में सचखंड में माथा टेका। इस दौरान गुरुद्वारा मंजी साहिब, दीवान हॉल में कथा-किर्तन की अमृतवर्षा भी हो रही है।

श्रद्धालुओं ने ठंड के बावजूद पवित्र सरोवर में डुबकी लगाई

गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में श्री अकाल तख्त साहिब, गुरुद्वारा अटल राय साहिब और श्री हरिमंदिर साहिब में सुंदर जलूस सजाए गए। पूरे सचखंड में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। कड़ाके की ठंड के बावजूद श्रद्धालुओं ने पवित्र सरोवर में आस्था की डुबकी लगाई।

शाम को श्री रहिरास साहिब के पाठ के बाद आतिशबाजी और दीपमाला का आयोजन किया गया। इस पवित्र अवसर पर श्री हरिमंदिर साहिब में दीयों की रोशनी और आतिशबाजी का अद्भुत दृश्य देखने को मिला।

नगर कीर्तन और पांच प्यारों की अगुवाई

प्रकाश पर्व के अवसर पर भाई वीर सिंह हॉल से नगर कीर्तन निकाला गया, जिसकी अगुवाई पांच प्यारों ने की। श्रद्धालुओं ने कतारबद्ध होकर श्री हरिमंदिर साहिब में मत्था टेका और पवित्र स्थल की परिक्रमा की।

Shri Guru Gobind Singh Ji के प्रकाश पर्व पर लाखों श्रद्धालुओं ने माथा टेका

नगर कीर्तन के दौरान सिखों ने गटका प्रदर्शन किया, जो गुरु गोबिंद सिंह जी की वीरता और शौर्य का प्रतीक है। इस प्रदर्शन ने श्रद्धालुओं के मन में जोश और आस्था का संचार किया।

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मुख्यमंत्री भगवंत मान ने किया मत्था टेक

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस पावन अवसर पर रोपड़ स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री भट्टा साहिब में पहुंचकर मत्था टेका। उनके साथ उनकी पत्नी डॉ. गुरप्रीत कौर मान भी उपस्थित थीं। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर गुरु गोबिंद सिंह जी के उपदेशों को याद करते हुए सभी को उनके दिखाए मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।

गुरु गोबिंद सिंह जी का जीवन और योगदान

श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का जीवन सिख धर्म के इतिहास में प्रेरणादायक और ऐतिहासिक महत्व का रहा है। 1666 में पटना साहिब, बिहार में जन्मे गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने जीवन को धर्म, सत्य और न्याय के लिए समर्पित किया। उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की और सिखों को धर्म और स्वाभिमान की रक्षा के लिए प्रेरित किया।

खालसा पंथ की स्थापना

गुरु गोबिंद सिंह जी ने 1699 में बैसाखी के दिन आनंदपुर साहिब में खालसा पंथ की स्थापना की। उन्होंने सिखों को “पांच ककार” धारण करने की प्रेरणा दी और उन्हें “संत-सिपाही” बनने का मार्ग दिखाया। खालसा पंथ ने सिख समुदाय को एकजुट किया और धर्म की रक्षा के लिए लड़ने की शक्ति दी।

धर्म और न्याय के लिए बलिदान

गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने पूरे परिवार को धर्म और न्याय की रक्षा के लिए बलिदान कर दिया। उनके चारों पुत्रों ने धर्म के लिए अपने प्राण न्यौछावर किए, जिसे “चोटे साहिबजादे” और “वड्डे साहिबजादे” के नाम से जाना जाता है।

सिख धर्म के मूल सिद्धांत

गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिख धर्म के मूल सिद्धांतों को मजबूत किया और गुरु ग्रंथ साहिब को सिखों का अंतिम और शाश्वत गुरु घोषित किया। उनका जीवन सिखों के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शन का स्रोत है।

प्रकाश पर्व का महत्व

गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व का सिख समुदाय में विशेष महत्व है। यह पर्व उनके जीवन और उपदेशों को याद करने का अवसर है। इस दिन सिख समुदाय के लोग गुरुद्वारों में जाकर सेवा करते हैं, लंगर में भाग लेते हैं और गुरु जी के बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं।

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आध्यात्मिकता और आस्था का पर्व

प्रकाश पर्व न केवल सिख समुदाय के लिए, बल्कि पूरी मानवता के लिए आध्यात्मिकता, सहिष्णुता और सेवा का संदेश देता है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि धर्म और सत्य के लिए हमेशा खड़ा रहना चाहिए।

श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व का यह उत्सव न केवल सिख धर्म के अनुयायियों के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए प्रेरणा का स्रोत है। गुरु जी के उपदेश हमें सिखाते हैं कि धर्म, सत्य और न्याय के मार्ग पर चलते हुए अपने जीवन को मानवता की सेवा में लगाना चाहिए।

इस प्रकाश पर्व के अवसर पर हम सभी को गुरु गोबिंद सिंह जी के दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए और उनके उपदेशों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए।

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