Punjab Roadways और PRTC कर्मचारियों की हड़ताल, यात्रियों को हो रही परेशानियाँ
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Punjab Roadways और पंजाब रोडवेज़ ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (PRTC) की बसों की हड़ताल सोमवार से बुधवार तक जारी रहेगी। यह हड़ताल पंजाब रोडवेज़ पनबस-पीआरटीसी कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन के आह्वान पर की जा रही है। सोमवार को कर्मचारियों की तीन दिन की हड़ताल के पहले दिन पनबस पीआरटीसी की बसों का परिचालन पूरी तरह से प्रभावित हुआ, जिससे यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
कर्मचारियों ने किया डिपो में धरना
हड़ताल के दौरान अमृतसर के डिपो नंबर 1 और 2 के बाहर कर्मचारी एकत्रित हो गए हैं। इस दौरान कर्मचारी 7 जनवरी को मुख्यमंत्री के आवास के बाहर धरना देने का भी ऐलान कर चुके हैं। इस हड़ताल के कारण पंजाब के कई छोटे और बड़े रूटों पर बसों का परिचालन प्रभावित हो गया है, जबकि यात्रियों को प्राइवेट बसों में अधिक भीड़-भाड़ के साथ यात्रा करनी पड़ रही है।
प्रभावित रूट
हड़ताल के कारण अमृतसर से चंडीगढ़, दिल्ली, पठानकोट, जालंधर, गंगानगर, चित्पूर्णी, ज्वाला जी, श्री मणिकरण साहिब, डेरा बाबा नानक, अजनाला, अटारी, खेड़करन, लखनपुर समेत कई प्रमुख शहरों के रूट प्रभावित हो गए हैं। इन रूटों पर चलने वाली बसों की कमी से यात्रियों को काफी परेशानी हो रही है। यात्रियों का कहना है कि बिना बसों के, उन्हें बहुत लंबा समय इंतजार करना पड़ रहा है और प्राइवेट बसों में भीड़ होने के कारण यात्रा असहनीय हो रही है।
हड़ताल के कारण और मांगें
पंजाब रोडवेज़ पनबस पीआरटीसी कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जोध सिंह ने बताया कि 1 जुलाई 2024 को पंजाब के मुख्यमंत्री ने पंजाब के मुख्य सचिव, एडवोकेट जनरल, परिवहन विभाग के प्रधान सचिव और राज्य परिवहन निदेशक के साथ बैठक की थी। इस बैठक में कर्मचारियों की कुछ प्रमुख मांगों को लेकर आदेश दिए गए थे। इनमें अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी करना, अनुबंध प्रणाली को समाप्त करना, वेतन वृद्धि, सेवा नियमों को लागू करना और अन्य मांगों को सरकार से मंजूरी दिलवाना शामिल था। लेकिन इसके बाद भी कर्मचारियों के हित में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।
सिंह ने यह भी बताया कि अब अधिकारियों के बदलने के साथ नीतियां भी बदल गई हैं। 2 जनवरी 2025 को पंजाब भवन में एक बैठक हुई थी, जिसमें एक नई नीति बनाई जा रही है, जिसे कर्मचारी स्वीकार नहीं कर रहे हैं।
प्रबंधन की ओर से कोई सकारात्मक कदम नहीं: हरकेश विकी
पीआरटीसी कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष हरकेश विकी ने भी कर्मचारियों की समस्याओं को लेकर बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि पीआरटीसी के मेहनती कर्मचारी लगातार अपनी मांगों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन विभाग के मंत्री और अधिकारी उनके अनुरोधों को नजरअंदाज कर रहे हैं। पिछले वर्ष एक बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें परिवहन मंत्री, सचिव और निदेशक समेत शीर्ष अधिकारी शामिल हुए थे, लेकिन इसके बावजूद कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला। इसके बजाय यूनियन की मांगों को अनदेखा किया जा रहा है और कोई ठोस समाधान नहीं निकल रहा है।
कर्मचारियों की मांगें
- अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी करना: कर्मचारियों का कहना है कि अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी किया जाए ताकि उन्हें नौकरी में स्थिरता मिल सके और वे अपनी पूरी मेहनत से काम कर सकें।
- अनुबंध प्रणाली को समाप्त करना: यूनियन का कहना है कि अनुबंध प्रणाली को समाप्त कर स्थायी नौकरी दी जाए। इससे कर्मचारियों को अधिक सुरक्षा और लाभ मिलेगा।
- वेतन में वृद्धि: कर्मचारियों का वेतन बहुत कम है, और वे यह चाहते हैं कि उनका वेतन बढ़ाया जाए ताकि उनका जीवन स्तर बेहतर हो सके।
- सेवा नियमों को लागू करना: कर्मचारियों ने मांग की है कि उनके लिए सेवा नियमों को लागू किया जाए ताकि उनके अधिकारों की रक्षा की जा सके और उन्हें उचित सेवाएं मिल सकें।
- अन्य मांगें: इसके अलावा, कर्मचारियों ने अपनी अन्य लंबित मांगों को लेकर भी सरकार से शीघ्र कार्रवाई की उम्मीद जताई है।
यात्रियों के लिए प्रभाव
इस हड़ताल का सबसे बड़ा असर यात्रियों पर पड़ा है। हड़ताल के कारण पंजाब में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था प्रभावित हुई है, जिससे लाखों यात्री अपने गंतव्य स्थान तक पहुंचने में परेशानी महसूस कर रहे हैं। कई यात्री सार्वजनिक बसों का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन समय पर बसें नहीं मिल पा रही हैं। इसके अलावा, निजी बसों में अधिक भीड़ होने के कारण यात्रा करना भी कठिन हो गया है।
यात्री संगठन और नागरिक समाज भी इस समस्या को लेकर चिंतित हैं और सरकार से अपील कर रहे हैं कि इस मुद्दे का शीघ्र समाधान निकाला जाए।
पंजाब रोडवेज़ और पीआरटीसी के कर्मचारियों की हड़ताल ने एक बार फिर सार्वजनिक परिवहन प्रणाली की समस्याओं को उजागर किया है। कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करना जरूरी है, लेकिन साथ ही यात्रियों को भी उनके यात्रा अनुभव को बेहतर बनाने के लिए सरकार को कदम उठाने चाहिए। यह हड़ताल सरकार और कर्मचारियों के बीच एक महत्वपूर्ण संवाद की आवश्यकता को दिखाती है, ताकि भविष्य में ऐसी समस्याओं का समाधान किया जा सके और यात्रियों को सहुलत और कर्मचारियों को उनके अधिकार मिल सकें।