राष्‍ट्रीय

Fighter aircraft crash: वायु सेवा के फाइटर प्लेन क्रैश होने पर उठ रहे हैं सवाल? 1वर्ष में छह विमान हो चुके हैं क्रेश?

Fighter aircraft crash: हरियाणा के  रेवाड़ी जिले के  गांव भालकी माजरा निवासी 28 वर्षीय वायु सेवा में लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव शहीद हो गए। किसी भी वीर सैनिक की ख्वाहिश होती है कि वह देश के दुश्मनों से लोहा लेते सैकड़ों दुश्मनों को मार कर ही वीरगति को प्राप्त करें,लेकिन इस घटना ने शहीद सिद्धार्थ यादव कि यह इच्छा पूरी नहीं हुई। यह हादसा उस वक्त हुआ जब ग्रुप कैप्टन मनोज कुमार सिंह के साथ फ्लाइंग लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव गुजरात के जामनगर में नाइट ट्रेनिंग मिशन पर थे, इस दौरान लड़ाकू विमान में कुछ तकनीकी खराबी आई। 

तकनीकी खराबी को ठीक करने के लिए तमाम कोशिश की गई। लेकिन जब यह लगा कि विमान क्रैश होना लाजमी है, तो शहीद ने अपनी जान की परवाह न करते हुए साथी को एग्जैक्ट कराया और खुद वीरगति को प्राप्त हो गया। लोगों में चर्चाएं है कि अब तक ऐसी दुर्घटनाओं के लिए पुरानी लड़ाकू विमान को ही दोषी माना जाता था। 

मिग सीरीज के विमानों को तो हवा में उड़ने वाले ताबूत कहा गया। मिग लड़ाकू विमान रूस में बने हैं, उनकी तकनीक पुरानी है इसलिए यह दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं । लेकिन वर्ष 2000 के बाद सुखोई, तेजस खरीदे या विकसित किये, उसके बावजूद भी लड़ाकू विमान दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं। गत वर्ष 4 जून 2024 से लेकर 2 अप्रैल 2025 तक यानी कि करीब 1 वर्ष में 6 फाइटर प्लेन क्रैश हुए हैं। जिनमें दो जगुआर, एक मिराज, एक सुखोई शामिल है। गत माह भी एक फाइटर प्लेन क्रैश हुआ था। 

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पिछले माह में ही पश्चिम बंगाल में वायुसेना का माल वाहक  एयर -32 भी दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। दो इंजन वाले इस माल वाहक हवाई जहाज काफी सुरक्षित माना जाता है। यह भी दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यदि पिछले आंकड़ों पर गौर करें तो  यह साफ दिख रहा है कि पुरानी पीढ़ी से लेकर नई पीढ़ी के एयरक्राफ्ट दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं।अगर मिग सीरीज का विमान दुर्घटनाग्रस्त होता है तो यह बात मानी जा सकती है कि यह लड़ाकू विमान काफी पुराने हो चुके हैं, लेकिन जब नई तकनीक के अपग्रेड विमान दुर्घटनाग्रस्त होते हैं तो इसके पीछे के कारणों को लेकर कई गंभीर सवाल उठते है। 

सरकार व वायु सेना भी कई बार इस पर गंभीर चिंता जता चुकी है। संसद भवन में दिसंबर 2024 में स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट पेश की गई, जिसमें बताया गया कि वर्ष 2017 से वर्ष 2022 तक कुल 35 फाइटर जेट, हेलीकॉप्टर, माल वाहक विमान शामिल थे। इन दुर्घटनाओं में 54 प्रतिशत दुर्घटनाएं ऐसी थी जिनमें फाइटर जेट कोई तकनीकी खराबी नहीं थी बल्कि यह 54 प्रतिशत दुर्घटनाएं मानवीय गलती के कारण हुई थी। यह दुर्घटनाएं पायलट या  किसी और पायलट की गलती के कारण हुई थी। शायद यही कारण है कि हमारे देश में मिग विमानों के बाद जो नए विमान की खेत आई उनके भी कई विमान दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं लेकिन सरकार ने संसद में यह भी बताया था कि अब भारत में ऐसी दुर्घटनाएं कम हो रही है। 

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पहले जहां 10 हजार उड़ान घंटे में दुर्घटना होने की दर 0.9 प्रतिशत थी, अब यह दर 0.2 प्रतिशत रह गई। अब वायु सेना को  सोचना होगा कि अगर मानवीय भूल के कारण दुर्घटनाएं हो रही है तो वीर सैनिकों को बचाया जा सकता है। जब कोई विमान दुर्घटनाग्रस्त होता है तो बड़ा नुकसान जेट विमान का नहीं बल्कि देश के वीर सैनिकों के शहीद होने से होता है।

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